* बायोटेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम विभाग की विषय विशेषज्ञ संकाय डा. अनुजा मिश्रा द्वारा दृढ़ता से शुरू किया गया है
मथुरा। बायोटेक्नोलॉजी अब केवल एक विज्ञान नहीं, बल्कि एक वैश्विक क्रांति बन चुकी है। यह क्षेत्र आज देश और विदेशों में सबसे तेजी से उभरते हुए, आकर्षक एवं रोजगारपरक क्षेत्रों में प्रमुखता से उभर रहा है। पारंपरिक विषयों की तुलना में आज के
विद्यार्थी तकनीकी एवं नवाचार आधारित शिक्षा की ओर रुख कर रहे हैं और बायोटेक्नोलॉजी उनकी पहली पसंद बनती जा रही है। जीव प्रौद्योगिकी और विज्ञान के प्रति बढ़ती अभिरुचि अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रही है, बल्कि मथुरा, हाथरस, आगरा जैसे टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी विद्यार्थियों के बीच बायोटेक्नोलॉजी की लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले छात्रों को उच्च वेतन पैकेज, गुणवत्तापूर्ण शोध में भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है। बायोइन्फॉर्मेटिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक, क्लोनिंग, जीन थेरेपी और जेनेटिक्स जैसे अत्याधुनिक विषयों में विद्यार्थियों की विशेष रुचि देखी जा रही है। यही नहीं, अब अभिभावक भी इस क्षेत्र की महत्ता को समझते हुए अपने बच्चों को बायोटेक्नोलॉजी विभागों में प्रवेश दिलाने हेतु प्रोत्साहित कर रहे हैं। मॉरिशस, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव जैसे देशों में भी बायोटेक्नोलॉजी विभागों की स्थापना इस बात का प्रमाण है कि इसकी मांग अब वैश्विक स्तर पर भी अत्यधिक बढ़ चुकी है।बायोटेक्नोलॉजी अब केवल एक शैक्षणिक विषय नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और औद्योगिक विकास के लिए एक मजबूत आधार बन चुका है। कोविड-19 महामारी के दौरान इस क्षेत्र की उपयोगिता और शोध का जो प्रभाव सामने आया, उसने इसकी महत्ता को और भी मजबूत बना दिया है।विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बताया कि जीएलए बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। विभागीय शिक्षकों और विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत से अब तक 327 पेटेंट्स प्रकाशित, 630 शोध पत्र प्रकाशित तथा केन्द्र सरकार से शोध फंडिंग भी प्राप्त हुई है। इसी फंडिंग विद्यार्थी और शोधार्थीकैंसर बायोलॉजी एवं वायरोलॉजी लैब, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एवं नैनोटेक्नोलॉजी लैब, बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोकैमिस्ट्री लैब, प्लांट बायोटेक्नोलॉजी लैब, सेंटर फॉर काउ साइंस एंड रिसर्च लैब, बायोइन्फॉर्मेटिक्स लैब आदि में विद्यार्थी न केवल वैश्विक शोध मानकों पर कार्य कर रहे हैं, बल्कि समाज और मानवता के लिए भी नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।जीएलए में एमएससी बायोइन्फॉर्मेटिक्स छात्रों की पसंदवर्तमान में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशाल जीनोमिक डेटा के उत्पादन के कारण जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में ऐसे छात्रों की मांग में वृद्धि हुई है। जैव प्रौद्योगिकी उद्योगों की इन तेज़ी से विकसित होती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जीएलए विश्वविद्यालय ने जैव सूचना विज्ञान में एक नया स्नातकोत्तर
(एमएससी) पाठ्यक्रम शुरू करने का बीड़ा उठाया है, जिसका उद्देश्य छात्रों को पाठ्यक्रम की पूरी अवधि में वैज्ञानिक डेटा को संभालने और उसका विश्लेषण करने का प्रशिक्षण देना है। यह पाठ्यक्रम सॉफ्टवेयर के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा और दवा अनुसंधान में सक्रिय जैव प्रौद्योगिकी उद्योगों में छात्रों के लिए रोजगार के अवसर प्रस्तुत करता है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को प्रशिक्षित करना है। इस प्रकार के प्रशिक्षण से कैंसर, वायरल और संक्रामक रोगों जैसे कई मानव रोगों के लिए नई दवाओं की खोज और टीके के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। पाठ्यक्रम विभाग की विषय विशेषज्ञ संकाय डा. अनुजा मिश्रा द्वारा दृढ़ता से शुरू किया गया है और विभाग के डॉ. सुहास टिकोले की सक्रिय भागीदारी से इसे उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण के लिए आगे बढ़ाया गया है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश वर्तमान में शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए खुले हैं। बता दें कि शिवपुरी डाक विभाग में पोस्ट मास्टर के के मिश्रा की होनहार बेटी हैं डॉ अनुजा मिश्रा।
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