जिला कलेक्टर रवीन्द्र कुमार ने की पुष्टि
12 पार्षदों के नाम से एक अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने का आवेदन कुछ पार्षदों ने दिया है। जो हमें देर शाम प्राप्त के हुआ। वहीं 22 में से 18 पार्षदों हस्ताक्षर वेरिफाई हुई हैं। अब इस संबंध में मंगलवार को निर्णय लेंगे।
रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर शिवपुरी
(सुनिए रामजी व्यास को)
जिसे लेकर रामजी व्यास का कहना है कि हम सभी बगीचा वाले पार्षदों ने बीजेपी जिलाध्यक्ष, विधायक आदि से चर्चा के बाद तय किया था कि हम अविश्वास वापिस लेंगे और अपने इस्तीफे कलेक्टर को दे देंगे। ये करने के लिए सोमवार का दिन तय हुआ था। इस पत्र पर सभी ने हस्ताक्षर भी किए थे लेकिन मुझे धोखे में रखकर आज एक बजे मुझे पार्षद पप्पू ने बताया कि अविश्वास पर पीछे नहीं हटेंगे और इस्तीफे भी नहीं देंगे। ये बात मुझे बुरी लगी क्योंकि बीजेपी जिलाध्यक्ष, विधायक को मैने पीडीएफ में सभी के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपे थे जिन्हें उन्होंने महाराज साहब और भोपाल संगठन को भेज दिए। इसलिए हम अपनी बात से पीछे हटने वाले नहीं है। हमको महाराज, बीजेपी अध्यक्ष की बात मानते हुए डिजाइन इंतजार करना चाहिए जिनका कहना है नपा की हालत जैसी है वैसी नहीं रहेगी। में झूठ नहीं बोलता ये लोग बगीचा सरकार, पीतांबरा पर कसम खा लें ये सच्चे या मैं झूठा।
राजू गुर्जर बोले हस्ताक्षर फर्जी, कल फिर के लें कलेक्टर वेरिफिकेशन
इधर रामजी व्यास ने कहा कि उनको मीडिया माध्यम से पता लगा कोई पत्र अविश्वास वापिस को लेकर कलेक्टर को उपाध्यक्ष ए दिया है। हमारा कलेक्टर से अनुरोध है कि हम अविश्वास और कायम है। हस्ताक्षर फर्जी हो सकते है क्योंकि हम लोगों के कई कागज पर हस्ताक्षर है शायद किसी ने दुरुपयोग किया हो। (सुनिए राजू गुर्जर को)
जनता जमकर दे रही गाली
इस नाटकीय, निर्लज, बेशर्म घटनाक्रम से जनता में आक्रोश है वह जमकर गालियां दे रही है। उसका कहना है कि नगर को नर्क बनाकर रख दिया। प्रमाणित भ्रष्टाचार किया गया, सफाई होती नहीं, गंदा पानी जनता पी रही, सड़कें खुदी पड़ी और बीजेपी संगठन फिर भी कोई ठोस निर्णय नहीं ले सका ये समझ से परे है।
जनता बोली, बीजेपी भुगतेगी परिणाम
वर्तमान हालात के बाद जनता का कहना है कि हमारी फिक्र किसी को नहीं इसलिए अगले चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाना होगा।
बच गई अध्यक्ष की कुर्सी !
कुल मिलाकर अध्यक्ष गायत्री शर्मा की कुर्सी इस घटनाक्रम के बाद बच गई लगती है।
सागर से सीखिए शिवपुरी के पार्षदों
सरकार ने सागर की अध्यक्ष को प्रमाणित भ्रष्टाचार के चलते पद से हटा दिया है। शिवपुरी में तो कई मामले सामने आए लेकिन कोई मतलब नहीं निकला। यानि कि शिवपुरी की लड़ाई सिर्फ दिखावे तक सीमित रही जिसके चलते आधी परिषद एक होते हुए भी खुद के कपड़े फ़ड़वा बैठी है।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें