अभियोजन के अनुसार
उक्त मामले में 15 साल की किशोरी ने फिजीकल थाने में शिकायत दर्ज कराई कि वह अपने नाना-नानी के घर रह रही है और मां-बाप नहीं हैं। मुझे फहीम खान बहला फुसलाकर ले गया और दो माह तक किशोरी से ज्यादती की। जब मैं गर्भवती हुई तो मुझे नाना नानी के पास भेज दिया मुझे न्याय चाहिए, जिस पर फिजिकल थाना टीआई नवीन यादव ने फहीम पठान के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर प्राथमिक जांच की। एसपी अमनसिंह ने अजाक डीएसपी अवनीत शर्मा को विवेचना अधिकारी नियुक्त किया। गर्भवती किशोरी ने मृत बच्चे को जन्म दिया था। मृत बच्चे के डीएनए की किशोरी व फहीम के डीएनए से जांच कराई। फहीम से मृत बच्चे का डीएनए मैच हो गया। पुलिस विवेचना की बदौलत न्यायालय ने आरोपी फहीम खान को बीएनएस की धारा धारा 65 में आजीवन कारावास द व 1 हजार का अर्थदंड, एससी-एसटी एक्ट की धारा 3 (2) (व्ही) में आजीव कारावास एवं 1 हजार का अर्थदंड, बीएनएस की धारा 64 (2) (ड) एवं एससी-एसटी एक्ट की सहपठित धारा 3 (2) (व्ही) में आजीवन कारावास व 1 हजार रु. अर्थदंड और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 (ञ)/6 में 20 साल का कठिन कारावास एवं 1 हजार रु. के अर्थदंड की सजा सुनाई है। सभी धाराओं में 1-1 हजार रु. का अर्थदंड अदा नहीं करने पर एक साल का सश्रम कारावास अलग से भुगतना होगा। कुल मिलाकर इस पूरे मामले में अजाक डीएसपी अवनीत शर्मा की विवेचना ने अदालत को अकाट्य साक्ष्य दिए जिससे पीड़िता को न्याय मिल सका।

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