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#धमाका_अच्छी_खबर: RBI ने बदले नियम, अब चेक सेम डे कुछ ही घंटों में होंगे क्लियर

रविवार, 5 अक्टूबर 2025

/ by Vipin Shukla Mama
Delhi दिल्ली। आरबीआई ने देश के व्यवसायियों को बड़ी राहत दे दी है। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ही नहीं बल्कि अब चेक भी कुछ घंटों में क्लीयर हुआ करेंगे। 4 अक्टूबर से ये प्रक्रिया लागू हो गई है। इस कदम से ग्राहकों को चेक से मिलने वाली रकम पहले से कहीं तेज़ खाते में आएगी। पहले जहां इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ही जल्दी क्लियर होते थे, अब चेक भी उसी दिन क्लियर हो जाएंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चेक ट्रंकशन सिस्टम (CTS) में बड़ा सुधार किया है। अब चेक क्लियर होने में दो दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। 4 अक्टूबर 2025 से यह प्रक्रिया कुछ घंटों में पूरी हो जाएगी, जिससे चेक प्रोसेसिंग लगभग रियल-टाइम में हो जाएगी। यानि कि 4 अक्टूबर 2025 के बाद, अगर आप शाम 4 बजे से पहले चेक जमा करते हैं, तो उसी शाम तक उसकी पुष्टि या सेटलमेंट हो जाएगा। बशर्ते ड्रॉई बैंक समय पर जवाब दे। जनवरी 2026 से यह समय और घटकर 3 घंटे का हो जाएगा, और रकम अगले एक घंटे में खाते में आ जाएगी।
दो चरणों में नियम होगा लागू
RBI ने कहा है कि पहला चरण 4 अक्टूबर 2025 से 2 जनवरी 2026 तक चलेगा। इस दौरान, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चेक लगातार स्कैन कर क्लियरिंग हाउस भेजे जाएंगे। ड्रॉई बैंक को शाम 7 बजे तक चेक की पुष्टि करनी होगी, वरना उसे उसी रात सेटलमेंट के लिए ऑटो-एप्रूव कर दिया जाएगा। दूसरा चरण 3 जनवरी 2026 से शुरू होगा, जिसमें चेक मिलने के तीन घंटे के भीतर उसकी पुष्टि करनी होगी। इसके बाद सेटलमेंट होते ही एक घंटे के अंदर रकम खाते में आ जाएगी।
RBI ने दिया उदाहरण
RBI ने बताया कि अगर कोई चेक सुबह 10 से 11 बजे के बीच ड्रॉई बैंक को मिलता है, तो बैंक को दोपहर 2 बजे तक (यानी 3 घंटे में) उसकी पुष्टि करनी होगी। अगर समय पर जवाब नहीं दिया गया, तो चेक को मंजूर मानकर उसी दिन 2 बजे सेटलमेंट में शामिल कर लिया जाएगा।
यह बदलाव क्यों है फायदेमंद
इस कदम से ग्राहकों को चेक से मिलने वाली रकम पहले से कहीं तेज़ खाते में मिलेगी। पहले जहां इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ही जल्दी क्लियर होते थे, अब चेक भी उसी दिन निपट जाएंगे। इससे व्यक्तिगत और कारोबारी नकदी फ्लो में अनिश्चितता कम होगी। साथ ही, अगर बैंक समय पर जवाब नहीं देते तो चेक ऑटो-एप्रूव हो जाएगा, जिससे भुगतान रुकने की संभावना घटेगी। तेज प्रोसेसिंग से ग्राहकों और बैंकों दोनों के लिए रिस्क भी कम होगा।














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