ग्वालियर, 7 नवम्बर 2025। समाज में बढ़ते अत्याचार और संवेदनहीनता के बीच एक मिसाल सामने आई है एडवोकेट ऋतु शर्मा की पहल, जिन्होंने एक किशोरी की सुरक्षा और न्याय के लिए हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल कर इंसानियत की सबसे ऊँची आवाज़ अदालत तक पहुँचाई।
यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जो बेहोशी की हालत में शिवपुरी की सड़क पर मिली। उसकी आंखों में डर, शरीर पर तकलीफ़ और आवाज़ में टूटी हुई उम्मीद थी।
होश में आने पर उसने बताया कि वह राजस्थान से भागकर आई है क्योंकि उसके ही परिवार वाले उसे गलत काम में धकेलना
चाहते थे।
एक महिला - निशा खान ने उसे बेटी की तरह घर ले जाकर खाना, दवा और सुरक्षा दी। निशा को क्या पता था, यह दर्द भरी कहानी राज्य से लेकर हाईकोर्ट तक जाने वाली है।
लेकिन असली सवाल यहीं से शुरू हुआ...
जब गुना कैंट पुलिस बच्ची को अपने साथ ले गई, तब सबने सोचा - अब वह सुरक्षित होगी। लेकिन हफ़्तों गुजर गए, ना उसका कोई पता, ना पुलिस का कोई जवाब, ना यह जानकारी कि वह जिंदा भी है या नहीं।
यही वो पल था जब इंसानियत चुप नहीं रही-एडवोकेट ऋतु शर्मा ने संवेदनशीलता और साहस दिखाते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
उन्होंने अदालत से निवेदन किया-"सरकार सुनिश्चित करे कि इस बच्ची की जान, इज़्ज़त और मानसिक स्थिति सुरक्षित है। पुलिस जवाब दे कि बच्ची कहाँ है और किस हाल में है।"
अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को तत्काल रिपोर्ट पेश करने और किशोरी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
यह केवल एक केस नहीं - यह संदेश है।
एडवोकेट ऋतु शर्मा ने मीडिया से कहा "यह सिर्फ एक लड़की की लड़ाई नहीं, बल्कि उस हर बेटी की पुकार है जो अंधेरे में न्याय की किरण खोज रही है। अगर एक आवाज़ उठे तो बदलाव संभव है।"















सच्ची और अच्छी खबरें पढ़ने के लिए लॉग इन कीजिये "मामा का धमाका डॉट कॉम"।
ये है, आपकी अपनी आवाज।
फोन कीजिये। खबर भेजिये वाट्सअप नम्बर 98262 11550 या मेल कीजिये 550vip@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें