समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि शहर में किन्नरों द्वारा विवाह समारोह, पुत्र जन्म और त्योहारों पर अत्यधिक राशि की मांग की जाती है। कई बार आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से भी कार्यक्रम के दौरान जोर-जबर्दस्ती कर बड़ी रकम वसूल ली जाती है।
राशि कम देने या मना करने पर किन्नरों द्वारा गाली-गलौज, हंगामा और विवाद जैसी स्थितियां उत्पन्न की जाती हैं, जिससे संबंधित परिवारों को मेहमानों के सामने असहजता का सामना करना पड़ता है।
शुल्क तय करने का प्रस्ताव दिया
समाज ने प्रशासन को एक प्रस्ताव भेजते हुए किन्नरों के लिए शुल्क निर्धारित करने की मांग की है। प्रस्तावित शुल्क के अनुसार, पुत्र विवाह पर 2100 रुपए, पुत्र जन्म पर 1100 रुपए और दीपावली व अन्य त्योहारों पर 50 रुपए निर्धारित किए जाएं।
समाज की महिला पदाधिकारियों रेनू अग्रवाल का मानना है कि शुल्क निर्धारण होने से जबरन वसूली और कार्यक्रमों में उत्पात जैसी स्थितियों पर रोक लगेगी, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मध्यादेशी अग्रवाल धर्मशाला में समाज की एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में सदस्यों ने बताया था कि किन्नरों द्वारा शादी समारोहों से लेकर अन्य कार्यक्रम में 21 हजार रुपए या उससे अधिक की राशि वसूली जाती है।
कई परिवार आर्थिक रूप से सक्षम न होने के
बावजूद दबाव में राशि देने को मजबूर हो जाते हैं। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए शुल्क निर्धारण का निर्णय लिया गया और समाज ने प्रशासन से इस मामले में तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने की अपील की है।










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