डीन को नहीं लगता पत्रकार से मारपीट, आईडी छीन लेना, धक्का मुक्की कर माफी मंगवाना कोई बड़ी बात, बोले, कोई आयेगा तो रखूंगा अपनी बात, डीन साहब ये शिवपुरी की मीडिया है सामूहिक रूप से मीडिया के सामने रखिए अपनी बात, मांगिए माफी
आपको अहंकारी डीन को बताना होगा कि वो जिस एपिसोड को मामूली समझ के बैठे हैं वो शिवपुरी की मीडिया की अस्मत पर वो हमला है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। आज से पहले मीडिया की तरफ किसी ने आंख नहीं उठाई, यहां तो हाथ उठ गया?, कैमरे चेक करवाए गए, मारपीट की गई, माइक आईडी छीन ली गई ? और आप कहते हैं हमारे छात्रों ने कुछ नहीं किया, तो क्या मीडिया को मरवाने का इरादा था ? आपको मेडिकल कॉलेज कैंपस में माइक आईडी पड़ी नहीं मिली ? डीन साहब माना कि मयंक की नस कटी थी, दुख का मामला था लेकिन क्या सभी नशे में थे ? जिन्हें इतना तक याद नहीं कि वो जिस मीडिया पर हाथ उठा रहे हैं वो उनके साथ तब खड़ी थी जब प्रवेश के समय कोई बाधा आई थी, उन्हें प्रदेश के अन्य शहरों से राशि कम दी जा रही थी। तब हड़ताल में इसी मीडिया ने उनकी बात भोपाल और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंचाकर मसला हल करवाया था। लेकिन सब भूल गए। अरे जरा भी शर्म बाकी है तो पूरी मीडिया के बीच आइए और माफी मांग लीजिए अन्यथा सहयोग की उम्मीद मत रखना।
जिसने बीच बचाव किया उसी राहुल को हटा दिया ?
हद देखिए मेडिकल कॉलेज में मारपीट की घटना के दौरान मेडिकल कॉलेज में पी आर ओ राहुल अस्थाना ने झगड़े को शांत करने की कोशिश की। मीडिया और छात्रों के बीच आकर बिगड़ते हालात संभाले उसे आउटसोर्स कंपनी की तरफ से आरोप लगाकर हटा दिया है। एक तरफ सरकार आउट सोर्स के मुद्दे पर युवाओं के टारगेट पर पहले से है कि नौकरी का कोई भरोसा नहीं ऊपर से शिवपुरी में इसी बात को साबित किया जा रहा है। जबकि राहुल के रहते मेडिकल कॉलेज की कई खबरें प्रकाशित होकर चर्चा की बायस बनती रही हैं। छोटे ऑपरेशन की प्रस्तुति भी बेहतर की जाती रही है।
बेचारा अभागा घायल मयंक दिल्ली पहुंचा
मेडिकल कॉलेज शिवपुरी में इंटर्नशिप कर रहे भोपाल निवासी छात्र मयंक दांगी की हाथ की नस कटने ओर गर्दन पर निशान मिले थे। गंभीर हालत में उसे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे 8 यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ा, जान उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
सवाल ये कि कटी कैसे नस
सवाल ये है कि मयंक की नस कटी कैसे ? लवेरिया था तो इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा ? हां उसके तनाव में होने की बात जरूर सामने आई थी अगर ये सही है तो उसे मनोचिकित्सक के पास क्यों नहीं ले जाया गया ? क्यों किसी ने काउंसलिंग की? जो डॉक्टरी की आखिरी दहलीज पर इंटर्नशिप कर रहा है वह छात्र एसी घृणित हरकत करे तो सोचना लाजमी होता है कि आखिर उसका कसूर क्या है।
राजनीतिक दवाब में प्रबंधन, डॉक्टर लगे कौन बनेगा करोड़पति खेलने
मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन पर आरोप हैं कि उनका स्टाफ पर कोई नियंत्रण नहीं है। अधीनस्थ डॉक्टर राजनीतिक रसूख वाले है और उसी के चलते उनके निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। दम से फसल काटी जा रही है, लेकिन कोई की मजाल नहीं जो उन पर कारवाई करे। चंद सालों में करोड़ों की भूमि और संपत्ति जोड़ लिए जाने की भी चर्चा अक्सर लोग करते रहते हैं।










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