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#धमाका_खास_खबर: सत्तर के दशक के नामी विद्या मंदिर स्कूल की आधार स्तंभ शिक्षिका श्रीमती सरोज श्रीवास्तव का निधन

बुधवार, 31 दिसंबर 2025

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। दोस्तों ये तो सत्य है कि जो भी दुनिया में आया है उसे जाना ही है लेकिन कुछ महान व्यक्तित्व के बिछड़ने का ख्याल मन से जाता नहीं है। उनके बताए रास्ते पर चलकर आज हम जिस मुकाम पर हैं उनमें सबसे पहले स्कूल आता है जहां शिक्षक हमें अपने सांचे में ढालते हैं। शहर में कई साल पहले यानि करीब पैंसठ, सत्तर के दशक में चुनिंदा स्कूल हुआ करते थे। नामी गिरामी लोगों के बच्चे विद्या मंदिर, छिब्बर स्कूल में पढ़ा करते थे। विद्या मंदिर गांधी पार्क के पास स्थित था जहां बड़ी आंटी उमा जी, नरेश जैन सर, आगबेकर आंटी, शर्मा आंटी और सरोज श्रीवास्तव आंटी इनका गठजोड़ ऐसा था जैसे बॉर्डर पर आर्मी का पहरा। कठोर अनुशासन, कठिन लक्ष्य, नाकामी पर उंगलियों पर पड़ती स्केल या फिर जैन सर की छोटी सी डॉट जो उंगलियों के बीच फसाकर कसम उठाने को मजबूर कर देती थी कि कल तो होमबर्क पूरा होकर रहेगा। इसके साथ बड़ों का अदब कैसे करना है, पैर कैसे छुना है, घर आए मेहमान से कैसे पेश आते हैं, वार्षिकोत्सव में मंच पर कैसे प्रस्तुति दी जाती हैं ये सब हमें इन शिक्षकों ने सिखाकर आज काबिल कहलाने लायक बना दिया। अतीत के इन पन्नों पर हस्ताक्षर के पीछे आज एक दर्द को साझा करना है जिसमें इस टीम की एक सशक्त लीडर श्रीमती सरोज श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं रहीं। हम सभी विद्यार्थी जिन्होंने आगे पीछे उनके अमृत वचनों से जिंदगी बनाई उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। भगवान उन्हें बैकुंठ में उच्च स्थान प्रदान करें। विपिन शुक्ला मामा, चीफ एडिटर मामा का धमाका डॉट कॉम शिवपुरी।
उनके निधन की खबर हमारे अनुज प्रिय हरिशरण गुप्ता बॉबी से मिली। उन्होंने दर्द साझा करते हुए लिखा कि "आज विद्या मंदिर के एक  युग पर अकस्मात पूर्ण विराम लग गया जब इस संस्था के शैशव से तरुणाई तक का प्रबुद्ध सफर अपनी प्रखर और तीक्ष्ण प्रबंधन क्षमता से सफलतापूर्वक अपने कंधो पर वहन करने वाली सासें क्षितिज तक थम गईं...... अद्भुद था श्रीवास्तव आंटी का व्यक्तित्व..... वो नारियल थीं या बेर में आज तक मूल्यांकन न कर पाया... आज से 45वर्ष पूर्व कभी स्वप्न में भी उनकी आवाज़ आ जाती थी तो हम सुबह school का  रास्ता ही भूल जाते थे या बुखार आ जाता था...उस समय का उत्कृष्ट विद्यालय बनाने में आपका... आग्वेकर आंटी और जैन साहब का विशेष योगदान था.... श्रीवास्तव आंटी न सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी विषयों में पारंगत थीं अपितु संस्कृति.. कला.. साहित्य एवं इतिहास में भी दक्ष थीं.... हम सभी मित्र अक्सर कुछ वर्षों पहले तक उनके निवास जाकर उनसे मिलते रहे.... आश्चर्य होता था जब वे हमें हमारे नामों से सम्बोधित करती थीं... सोचिये कितनी संवेदनशील रही होंगी अपने बच्चों.. अपने कार्य के प्रति... आज जब उनके निर्वाण का समाचार प्राप्त हुआ... अश्रु अनायास ही उन्हें श्रद्धांजलि दे गए.... आदरणीय स्वर्गीय सरोज श्रीवास्तव मैडम को विनम्र श्रद्धांजलि। 
उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ऋचा शर्मा भारद्वाज ने लिखा "ये खबर सुनकर  आज श्रीवास्तव mam की बहुत सारी यादें ताजा हो गई ।वो 8th class में हमारी क्लास टीचर थी और हिंदी और इंग्लिश दोनों पढ़ाती थी।
वे हिंदी और इंग्लिश की एक उत्कृष्ट अध्यापिका थीं—अनुशासनप्रिय होते हुए भी बच्चों से अत्यंत स्नेह रखने वाली।
उनसे हमने केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि जीवन के मूल्य भी सीखे।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏🌺”
एक और तृप्ति लिखती हैं "आदरणीय आण्टी जी को विनम्र श्रद्धांजलि!!!आपका स्नेह इतना अधिक था कि हम 8थ क्लास में अपने आपको उनकी मानस पुत्री ही समझते थे और पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा था कि क्लास में ही सब कुछ याद हो जाता था। भाग्यशाली थे हम जो हमे उनके जैसे अद्भुत शिक्षक मिले!!!🙏🙏🙏"
मेरे मित्र दिलीप शिधोरे ने लिखा "कक्षा में कैसे बच्चों को अनुशासन के साथ पढ़ाया जाए , कैसे उनमें विषय के प्रति रुचि उतपन्न की जाए ये उन्होंने ही मुझे सिखाया था। 
कल ही मुझे हेमलता मैडम ने उनके गिरते स्वास्थ्य की जानकारी दी थी और मैने आज उनसे मिलने जाने का तय किया था। लेकिन अफ़सोस!!!!! ये हो न सका।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और सभी को यह दुःख सहन करने की शक्ति दे।"

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