* मध्यप्रदेश स्टेट सेक्रेटरी श्री राजकुमार शर्मा को ऑर्गेनाइजेशन लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया
शिवपुरी। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन चेन्नई के सेवन स्टार होटल में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें देश के विभिन्न भागों से आए 200 से अधिक स्कूल प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की प्रारंभिक शिक्षा में नवाचार और रिसर्च को प्रोत्साहित करना तथा बच्चों में बढ़ती एंग्जायटी और तनाव जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करना था।
कार्यक्रम में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शर्माइल अहमद, मुख्य अतिथि के रूप में अभिनेता राहुल रॉय, अन्य विशिष्ट अतिथियों में फरजाना शकील, डॉ. धीरज मल्होत्रा शामिल थे।
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के मध्यप्रदेश स्टेट प्रेसिडेंट श्री पवन कुमार शर्मा ने अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन पर हो रही रिसर्च को आगे बढ़ाते हुए बताया कि बच्चों का ब्रेन डेवलपमेंट 6 वर्ष से 7 वर्ष की आयु तक सबसे तेजी से होता है। वर्तमान में सरकारी नीतियों के अनुसार (एन ईपी के बाद)3 वर्ष की आयु के बाद शिक्षा को औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाता
है, जबकि प्रारंभिक पहले तीन वर्ष बच्चे के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष होते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बच्चे सीमित संसाधनों के साथ घर की चारदीवारी में रहते हैं। यदि हमें श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण करना है, तो जैसा कि कहा जाता है कि बच्चे का पहला गुरु मां होती है इसलिए जरूरी है कि मां को पहले गुरु के रूप में तैयार किया जाए। इसी सोच के साथ “मोमी माय मेंटर” जैसी अवधारणा को उन्होंने सामने रखा, उन्होंने कहा कि बच्चों को उनकी ऐज एक वर्ष दो वर्ष तीन वर्ष के अनुसार एक ऐसा वातावरण दिया जाए जहां वे अपनी मां के साथ प्रतिदिन 1–2 घंटे बिताएं, विभिन्न प्रकार के खिलौनों, एक्टिविटीज, म्यूजिक थेरेपी, फ्रेगरेंस थेरेपी और सामाजिक माहौल के माध्यम से उनका सर्वांगीण विकास हो।
है, जबकि प्रारंभिक पहले तीन वर्ष बच्चे के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष होते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बच्चे सीमित संसाधनों के साथ घर की चारदीवारी में रहते हैं। यदि हमें श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण करना है, तो जैसा कि कहा जाता है कि बच्चे का पहला गुरु मां होती है इसलिए जरूरी है कि मां को पहले गुरु के रूप में तैयार किया जाए। इसी सोच के साथ “मोमी माय मेंटर” जैसी अवधारणा को उन्होंने सामने रखा, उन्होंने कहा कि बच्चों को उनकी ऐज एक वर्ष दो वर्ष तीन वर्ष के अनुसार एक ऐसा वातावरण दिया जाए जहां वे अपनी मां के साथ प्रतिदिन 1–2 घंटे बिताएं, विभिन्न प्रकार के खिलौनों, एक्टिविटीज, म्यूजिक थेरेपी, फ्रेगरेंस थेरेपी और सामाजिक माहौल के माध्यम से उनका सर्वांगीण विकास हो।
उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में बच्चों में बढ़ती एंग्जायटी, गलत दिशा में जाना, कम उम्र में अपराध और माता-पिता से संवाद की कमी जैसे मुद्दों को देखते हुए स्ट्रेस हैंडलिंग ट्रेनिंग और क्वेश्चन आस्किंग ट्रेनिंग अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हो सकती है। इस सम्मेलन में उनके द्वारा बताए गए नवाचारों जैसे मोमी माय मेंटर, स्ट्रेस हैंडलिंग ट्रेनिंग, क्वेश्चन आस्किंग ट्रेनिंग जोकि उसके बौद्धिक संपदा अधिकार है जो बच्चों की रचनात्मकता, बौद्धिक क्षमता और मानसिक संतुलन को मजबूत करती है को राष्ट्रीय मंच पर खूब सराहा गया।










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