* संपूर्ण भारत और वैश्विक पटल पर मध्य प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल के रूप में रेखांकित करना हमारी प्राथमिकता
● अतुल्य भारत का हृदय प्रदेश, हमारा मध्यप्रदेश पर्यटन की असीम संभावनाओं वाला प्रदेश
● पिछले साल मध्यप्रदेश की धरती पर 14 करोड़ से अधिक पर्यटकों का हुआ आगमन
● पर्यटन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिये विभाग को पिछले 2 वर्षों में 18 से अधिक पुरस्कारों और सम्मानों से किया गया सम्मानित
● प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा संपूर्ण भारत वर्ष
● 900 करोड़ रूपये से अधिक की लागत से 20 सांस्कृतिक और धार्मिक लोकों का हो रहा निर्माण
● विकसित भारत की संकल्पना के अनुरूप 'विकसित मध्यप्रदेश' के स्वप्न को साकार करने के लिये संकल्पित है हमारी सरकार
● वैश्विक पटल पर 10 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों और भोपाल, इंदौर एवं महेश्वर को 'क्रिएटिव सिटी' के रूप में विकसित करना हमारी सरकार की प्राथमिकता
● हमारा लक्ष्य प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन का योगदान बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना
● विकास और सेवा के 2 वर्ष पर पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने पत्रकार वार्ता में दी जानकारी
भोपाल : पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का सांस्कृतिक पुर्नजागरण हो रहा है। डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हमारी सरकार प्रदेश के सांस्कृतिक अभ्युदय के लिए प्रतिबद्ध है। पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेश संपूर्ण भारत में एवं वैश्विक पटल पर सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल के रूप में रेखांकित हो ऐसी हमारी प्राथमिकता है। आने वाले समय में निश्चित ही आपको पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में अनेक अद्वितीय कार्य देखने को मिलेंगे। भारत के कुल 69 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से 18 विरासत स्थल मध्यप्रदेश में हैं। विगत 2 वर्षों में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये 400 से अधिक होमस्टे का निर्माण कर प्रारंभ किये गये हैं। जिनसे ग्रामीण परिवारों को 7 करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्राप्त हुआ है। सरकार का लक्ष्य 1000 हजार होम स्टे निर्माण करने का है। पर्यटन के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिये रीजनल टूरिज्म कॉन्क्लेव और मध्यप्रदेश ट्रैवल मार्ट जैसे बड़े आयोजन किये गये हैं। इन आयोजनों के माध्यम से लगभग 10 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं। राज्य मंत्री श्री लोधी मंगलवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय सभागार में विकास और सेवा के 2 वर्ष पर केन्द्रित पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर अपर प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड डॉ. अभय अरविंद बेडेकर, संचालक संस्कृति विभाग श्री एन. पी. नामदेव तथा विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे।
राज्य मंत्री श्री लोधी ने कहा कि ओमकारेश्वर को अद्वैत लोक के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसके प्रथम चरण में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है तथा द्वितीय चरण में अद्वैत लोक के निर्माण हेतु रूपये 2424 करोड़ से अधिक राशि की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। पर्यटन के क्षेत्र में सरकार द्वारा जो विकास कार्य एवं नवाचार किये गये हैं, उसी का परिणाम है कि पिछले साल मध्यप्रदेश की धरती पर 14 करोड़ से अधिक पर्यटकों का आगमन हुआ है तथा प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो देश में सर्वाधिक है। पर्यटन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिये विभाग को पिछले 2 वर्षों में 18 से अधिक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है। प्रदेश में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये हमारी सरकार द्वारा 900 करोड़ रूपये से अधिक की लागत से 20 सांस्कृतिक और धार्मिक लोकों का निर्माण किया जा रहा है, जो लगभग पूर्णता की ओर है। विगत 2 वर्षों में सरकार द्वारा भगवान श्री राम को समर्पित श्री रामचन्द्र वनगमन पथ की संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान किया गया है, और युग अवतार भगवान श्री कृष्ण पर केंद्रित श्री कृष्ण पाथेय योजना की संकल्पना को स्वीकृति प्रदान की गई है।
सरकार द्वारा प्रदेश के सभी जिलों का साहित्यिक गैजेटियर तैयार किये जा रहे हैं। विगत 2 वर्षों में 15 जिलों के साहित्यिक गैजेटियर तैयार किये जा चुके हैं। इसके साथ ही हमारी सरकार द्वारा उज्जैन, भोपाल, ग्वालियर, सागर, पन्ना, जबलपुर, महेश्वर जैसे अनेक स्थानों पर विशिष्टता को सम्मिलित करते हुये पूरे प्रदेश में संग्रहालयों की एक नवीन श्रृंखला का निर्माण किया जा रहा है। संस्कृति के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने 8 विश्व कीर्तिमान स्थापित किये हैं। विगत 2 वर्षों में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत लगभग 25 हजार तीर्थ यात्रियों को लाभान्वित किया गया है। इसके साथ हीं विगत 2 वर्षों में 132 शासन संधारित मंदिरों का जीर्णोद्धार भी हमारी सरकार द्वारा किया गया है। आने वाले समय में हमारा लक्ष्य प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन का योगदान बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये आने वाले समय में 500 नये होटलों के माध्यम से 20 हजार कक्षों और 500 मार्ग सुविधा केन्द्रों का निर्माण किया जाएगा। समावेशी विकास एवं सेफ टूरिज्म के लिए 50 हजार महिलाओं और बालिकाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। वैश्विक पटल पर 10 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों और भोपाल, इंदौर एवं महेश्वर को 'क्रिएटिव सिटी' के रूप में विकसित करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।
दो वर्षों की उपलब्धियाँ
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
● मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में 20 ट्रेनों का सफल संचालन कर 16 हजार तीर्थयात्रियों को लाभान्वित किया गया।
● वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक 08 ट्रेनों का सफल संचालन कर 6 हजार 400 तीर्थयात्रियों को लाभान्वित किया गया।
● 25 वायुयानों से 800 यात्रियों को लाभान्वित किया गया।
मंदिरों का जीर्णोद्धार
● विगत दो वर्षों में शासन संधारित 132 मंदिरो के जीर्णोद्धार के कार्य स्वीकृत किये गये।
● शासन संधारित मंदिरों के पुजारियों के लिये लगभग 32 करोड़ का अनुदान आबंटित किया गया है।
● शासन संधारित देवालयों में पुजारियों के लिये उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किये गये।
● पुजारियों के मानदेय में वृद्धि की गई।
शासन संधारित देवस्थानों का दस्तावेजीकरण
● प्रदेश के सभी जिलों में स्थित शासन संधारित देवस्थानों का दस्तावेजीकरण किया गया। जिसका डिजिटलाइजेशन का कार्य प्रकियाधीन है।
नवाचार
● धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग एवं स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर के बीच विरासत संरक्षण, रेट्रोफिंटिंग और स्मारकों के पुनर्वास, मंदिर परिसरों और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के दायरे में आने वाली सुविधाओं सहित परामर्श सेवाओं के सभी पहलुओं को शामिल कर समझौता एम.ओ.यू. किया गया।
पर्यटन विभाग
दो वर्षों की उपलब्धियाँ
नई पर्यटन नीति -2025 एवं नई फिल्म पर्यटन नीति -2025
● मध्यप्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा पर्यटन के क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिये नई पर्यटन नीति 2025 बनाई गई, जिसके तहत पर्यटन के क्षेत्र में निवेश से संबंधित प्रावधानों को अधिक पारदर्शी और सरल किया गया ।
● मध्यप्रदेश में फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने तथा इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिये नई फिल्म पर्यटन नीति 2025 बनाई गई, जिसके तहत फिल्म निर्माण से संबंधित अनुमतियों एवं अनुदान संबंधी अधिक पारदर्शी प्रावधान किये गये हैं, साथ ही स्थानीय विषयों एवं मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं विरासत से संबंधित विषयों पर फिल्म निर्माण हेतु अतिरिक्त अनुदान की व्यवस्था की गई है।
अंतरराज्यीय पर्यटन वायु सेवा एवं पर्यटन हेली सेवा का प्रारंभ
● मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं धार्मिक स्थलों को वायुसेवा से जोड़ने के लिये पीएमश्री पर्यटन वायु सेवा प्रारंभ की गई है।
● पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा से मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली, खजुराहो, उज्जैन एवं सतना को जोड़ा गया।
● प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘पर्यटन हेली सेवा’ प्रारंभ की गई है, जिससे प्रदेश को तीन सेक्टर में बांटकर सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों को वायु सेवा से जोड़ा गया है।
विश्व धरोहर विस्तार
● वर्ष 2025 में मध्यप्रदेश के 15 और स्थलों को यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया यह दर्शाता है कि राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता विश्व मानकों पर खरा उतरती है। भारत के कुल 69 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से 15 विरासत स्थल मध्यप्रदेश में हैं।
● ओरछा, माण्डू एवं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित करने हेतु नॉमिनेशन डोजियर यूनेस्को को प्रस्तुत।
● भेड़ाघाट एवं लम्हेटाघाट को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित करने हेतु नॉमिनेशन डोजियर शीघ्र प्रस्तुत किया जा रहा है।
अधोसंरचना विकास
● कुशाभाऊ कन्वेशन सेन्टर, भोपाल को अंतर्राष्ट्रीय कन्वेशन सेंटर के रूप में विकसित किए जाने का कार्य प्रारंभ (राशि रू. 99.38 करोड़)
● उज्जैन में हेरीटेज होटल सम्राट विक्रमादित्य, शहडोल में सरसी आईलैण्ड एवं पचमढ़ी में होलट निलाम्बर स्काई लाइन का संचालन प्रारंभ किया गया।
● विभाग द्वारा अभिनव पहल करते हुये प्रदेश में महिलाओं द्वारा संचालित एकमात्र एमपीटी होटल अमलतास, पचमढ़ी का संचालन प्रारंभ किया गया।
● तीन नवीन फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट का निर्माण किया गया ।
● ओरछा अ मेडिवल स्पलेंडर का कार्य प्रारंभ (राशि रू. 99.92 करोड़)
● फूलबाग क्षेत्र ग्वालियर, चित्रकूट के घाट, पीताम्बरा पीठ दतिया, अमरकंटक, दुर्गादास की छतरी का विकास का कार्य रूपये 300 करोड़ की लागत से प्रारंभ किये गये।
● चंदेरी में देश के प्रथम क्राफ्ट टूरिज्म विलेज का निर्माण किया गया है। महेश्वर एवं कुक्षी (घाट) में कार्य प्रारंभ किए जा चुके हैं।
● विगत 2 वर्षों में पूरे प्रदेश में 8000 से अधिक कक्षों का निर्माण नवीन होटलों एवं रिजॉर्ट्स में कराया गया। नागरिक अधोसंरचना परियोजनाओं की निगरानी के लिये कार्य प्रबंधन साफ्टवेयर एवं पट्टे पर दी गई सम्पत्तियों के रख रखाव के लिये लीज प्रबंधन साफ्टवेयर का उपयोग प्रारंभ किया गया।
ग्रामीण पर्यटन का विस्तार
● ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये 400 से अधिक होम स्टे का निर्माण कर प्रारंभ किये गये। हमारा लक्ष्य 1000 होमस्टे निर्माण किये जाने का है।
● अभी तक प्रारंभ इन ग्रामीण होम स्टे में रूकने वाले अतिथियों से ग्रामीण परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से रूपये 7 करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्राप्त हुआ है।
आयोजन एवं विपणन (Events & Marketing)
● राष्ट्रीय स्तर पर 10 नगरों में हितधारकों के साथ पर्यटन प्रदर्शनियों में सहभागिता ।
● राष्ट्रीय स्तर पर चैन्नई, विशाखापट्टनम, लखनऊ, वाराणसी एवं जयपुर में रोड शो आयोजन ।
● ट्रेवल एजेंट एवं टूर ऑपरेटर प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रयागराज एवं नई दिल्ली में आयोजन ।
● अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अरेबियन ट्रैवल मार्केट (ATM) दुबई, IFTM, Top RESA पेरिस (फ्रांस), फुकुयामा (जापान), जापान ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन (JATA) टोक्यो (जापान), Top RESA पेरिस फ्रांस, ITB Asia सिंगापुर, वर्ल्ड ट्रैवल मार्केट (WTM) लंदन, पर्यटन प्रदर्शनियों में सहभागिता ।
● टूरिज्म ट्रेड फेयर (FITUR) मेड्रिड (स्पेन) एवं इंटरनेशनल टूरिज्म बोर्स बर्लिन (ITB ) (जर्मनी) पर्यटन प्रदर्शनियों में सहभागिता प्रस्तावित ।
● मध्यप्रदेश महोत्सव (बैंगलुरु), सूरज कुंड मेला (फरीदाबाद), विक्रमोत्सव (नई दिल्ली), महाकुंभ मेला (प्रयागराज) एवं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (भोपाल) में सहभागिता
निवेश संवर्धन
● कुल 85 लैण्ड पार्सल्स एवं 12 हेरिटेज परिसम्पत्तियों का आवंटन किया गया। जिसके तहत 511 हेक्टेयर क्षेत्र में 1323 करोड़ का निवेश किया। जिससे 12 लाख अधिक लोगो को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है।
● दो अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट परियोजनाओं का आंवंटन जिनमें 385 करोड़ का निवेश प्रस्तावित।
● 97 मार्ग सुविधा केन्द्रों का आवंटन किया गया।
रीजनल टूरिज्म कॉन्क्लेव के आयोजन
● रीवा और ग्वालियर में रीजनल ‘’टूरिज्म कान्क्लेव’’ का आयोजन किया गया,
● इन कॉन्क्लेव के माध्यम से लगभग 6 हजार 5 सौ करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
● ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पर्यटन से संबंधित 06 एमओयू हस्ताक्षर किये गये ।
मध्यप्रदेश ट्रेवल मार्ट का आयोजन
● भोपाल में ‘मध्यप्रदेश ट्रेवल मार्ट’ का आयोजन किया गया, जिसके देशभर के स्टेकहोल्डर्स तथा 28 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लए यह एक मील का पत्थर है।
● मार्ट के माध्यम से 7 हजार से अधिक बिजनेस-टू-बिजनेस बैठकों का सफल आयोजन।
● मध्यप्रदेश ट्रेवल मार्ट में रूपये 3 हजार 565 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तावित ।
अद्वैत लोक विकास
● आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में ओमकारेश्वर में लगभग रूपये 2400 करोड़ की लागत से एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है। प्रथम चरण में आचार्य शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है।
● ओमकारेश्वर में एकात्म धाम के द्वितीय चरण में अद्वैत लोक के निर्माण हेतु रूपये 2424.00 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है।
● संपूर्ण भारत में अद्वैत / वेदांत दर्शन के लोकव्यापीकरण की यह सबसे बड़ी योजना है।
सिंहस्थ - 2028
● उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य होटल निर्मित एवं विस्तार प्रस्तावित ।
● मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा अन्य होटलों की क्षमता का विस्तार किया जा रहा है।
● उज्जैन के समिपस्थ ग्रामों में ग्रामीण पर्यटन परियोजनाओं का क्रियान्वयन।
● 18 ग्रामों को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने हेतु प्रस्ताव।
● कुल 180 होमस्टे निर्माण प्रस्तावित।
● महेश्वर में देवी अहिल्या बाई लोक के निर्माण हेतु रूपये 100 करोड़ की योजना स्वीकृत
● ओमकारेश्वर में ओमकारेश्वर परिक्रमा पथ एवं ममलेश्वर लोक हेतु रूपये 200 करोड़ की योजना प्रस्तावित।
● धर्मावलम्बियों को उचित पर्यटन हेतु 500 गाइड प्रस्तावित।
पर्यटन कौशल मिशन का प्रारंभ
● पर्यटन कौशल मिशन की स्थापना की जा चुकी है।
● पर्यटन गतिविधियों से संबंधित कौशल कार्यक्रम विकसित किये जा रहे है।
● विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं द्वारा पर्यटन कौशल से संबंधित पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन किया जाना है।
● संकल्प पर कार्यवाही 31/12/2026 तक पूर्ण कर ली जायेगी।
एडवेन्चर गतिविधियाँ
● गांधीसागर, कूनो तथा चंदेरी फेस्टीवल जैसे बड़े आयोजन किये गए।
● गांधीसागर में फ्लोटिंग फेस्टीवल, हनुवंतिया में जल महोत्सव, कूनो महोत्सव जैसे बड़े आयोजन किये गये।
● स्काई डाईविंग एवं स्कूबा डाइविंग जैसे एडवेंचर कार्यक्रम प्रारंभ किये गये।
● बाइकिंग, मैराथॉन, मोटर-स्पोर्ट, ट्रेकिंग, क्लाइम्बिंग और बर्ड-वॉचिंग जैसी गतिविधियों का संचालन
● ग्लोबल सस्टनेबल टूरिज्म काउंसिल के तहत पचमढ़ी को ‘ग्रीन डेस्टिनेशन’ हेतु अनुबंध।
● अधिसूचित जल क्षेत्रों में 41 गतिविधियों के लिए लाइसेंस प्रदान किए गए।
● पर्यटकों की सुविधाओं में विस्तार करते हुये पर्यटकों के लिये 11 नए जंगल सफारी वाहन तथा 10 नई केंटर बसों का संचालन राष्ट्रीय उद्यानों एवं टाइगर रिजर्व में प्रारंभ किया गया ।
● पर्यटकों के लिए भोपाल स्थित बोट क्लब में 20 शिकारा बोट, चप्पू बोट तथा 5 नई वाटर साइकिल का संचालन प्रारंभ किया गया है।
● सैलानी आईलैण्ड के बैक वाटर में पर्यटकों के लिये कयाकिंग की शुरूआत की गई।
● मध्यप्रदेश भवन नई दिल्ली में फूड फेस्टीवल, मैंगो फूड फेस्टिवल एवं भोपाल में पोंगल फूड फेस्टिवल जैसे अनेक सफल आयोजन किये गये।
निमाड़, मालवा एवं चंबल के व्यंजनों हेतु फूड फेस्टिवल का आयोजन
● निमाड़, मालवा एवं चंबल के व्यंजनों की समृद्ध विरासत को प्रोत्साहित करने हेतु, हनुमंतियां खण्डवा (मालवा क्षेत्र) पालनपुर, कुनो (चंबल क्षेत्र) चन्देरी, अशोकनगर (ग्वालियर क्षेत्र) एवं सागर मंदसौर (मालवा क्षेत्र) में उच्च स्तरीय टेंट सिटी लगाकर आयोजन किया जा रहा है।
● ये आयोजन आगामी 10 वर्षों तक लगातार किये जायेंगे।
पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि
● वर्ष 2023-24 में लगभग 11 करोड़ 21 लाख पर्यटकों का आगमन मध्यप्रदेश में हुआ।
● वर्ष 2024-25 में लगभग 14 करोड़ से अधिक पर्यटकों का आगमन मध्यप्रदेश में हुआ।
● मध्यप्रदेश में साल दर साल पर्यटकों की संख्या में 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो देश में सर्वाधिक है।
● मध्यप्रदेश देश के सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन गंतव्यों में से एक के रूप स्थापित
सम्मान एवं पुरस्कार
● 8वें ट्रैवल एंड हॉस्पिटेलिटी अवार्ड्स (हॉस्पिटेलिटी इंडिया) सर्वश्रेष्ठ राज्य पर्यटन बोर्ड और 'प्रचार-प्रसार के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य' पुरस्कार ।
● वर्सेटाइल एक्सीलेंस ट्रैवल अवॉर्ड्स (VETA) - (Travel Scape मैगजीन) "लीडिंग हेरिटेज टूरिज्म डेस्टिनेशन' (Leading Heritage Tourism Destination)" पुरस्कार ।
● साउथ एशिया ट्रैवल एवं टूरिज्म एग्जीबिशन (SATTE) (Travel Trends Today (T3) मैगजीन) "सर्वश्रेष्ठ राज्य पर्यटन पुरस्कार" ।
● इंडिया ट्रैवल अवॉर्ड्स (DDP Publication) बेस्ट स्टेट टूरिज्म बोर्ड पुरस्कार ।
● हेरिटेज टूरिज्म - बेस्ट स्टेट' अवॉर्ड (द वीक मैगजीन) "गोल्डन बैनयन अवॉर्ड" पुरस्कार ।
● 11वां वार्षिक माइस् पर्यटन शिखर सम्मेलन एवं इंडिया माइस् अवार्ड्स 2025 (M/s TravTour MICE Guide) "Most Focused MICE Destination of India" पुरस्कार
● IATO 2024: राज्य द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रचार प्रकाशन
● Today's Traveler Awards 2024: पर्यटन संवर्धन मेलों और त्योहारों के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य
● Global Tourism Awards 2024: सर्वश्रेष्ठ सतत राज्य किडजानिया पुरस्कार
● ICRT इंडिया अवॉर्डस 2024 - रिस्पांसिबल टूरिज्म परियोजना को "Making Travel Inclusive" श्रेणी में स्वर्ण अवार्ड
● ट्रैवल वर्ल्ड ऑनलाइनः ग्लोबल टूरिज्म अवॉर्डज़ 2024 रिस्पांसिबल टूरिज्म मिशन हेतु "बेस्ट सस्टेनेबल स्टेट टूरिज्म अवार्ड
● पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा साबरवानी एवं लाड़पुरा ग्राम (रिस्पांसिबल टूरिज्म) एवं ग्राम प्राणपुर (क्राफ्ट विलेज) "बेस्ट टूरिज्म विलेज 2024' अवार्ड से सम्मानित
● ग्रीन लीफ़ रेटिंग सिस्टम अवार्ड 2024 ग्राम छेड़का के ग्रामस्टे सम्मलित
● नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस 2025 - रिस्पांसिबल टूरिज्म परियोजना को "Most Effective & Transformational Responsible Tourism Project of the Year" अवार्ड प्राप्त
● MP Excellence Awards 2025 "ग्रामीण एवं जनजातीय पर्यटन अंतर्गत होमस्टे संचालन हेतु 02 महिलाओं को एवं STDW अंतर्गत सतपुडा नेशनल पार्क में गाईडिंग हेतु माननीय मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश शासन द्वारा उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित ।
● ATOAI के 16वें अधिवेशन (तवांग, अरुणाचल प्रदेश) में ‘’Best State of Adventure Tourism Award’’ प्राप्त।
● Inland Water Tourism Excellence Award 2024 - अंतर्राष्ट्रीय ट्रेवल मैगज़ीन LUX Life द्वारा।
● क्राफ्ट हैण्डलूम टूरिज्म विलेज, प्राणपुर को बेस्ट टूरिज्म विलेज का अवार्ड प्राप्त
संस्कृति विभाग
दो वर्षों की उपलब्धियाँ
सांस्कृतिक अधोसंरचना विकास
● श्रीराम राजा सरकार मंदिर परिसर, ओरछा में ''श्री रामराज्य'' कला दीर्घा की स्थापना की गई है। कला दीर्घा में श्री राम के चरित्र को स्थापित करते 36 गुणों को देश की अलग-अलग लोकचित्र शैलियों में चित्रांकन कर दिखाया गया है। ''श्रीराम राज्याभिषेक'' की झाँकी उड़ीसा की पारम्परिक मूर्ति और चित्र शैली में प्रदर्शित है।
● 20 फरवरी, 2024 को देश के पहले पारम्परिक कलाओं के गुरुकुल की स्थापना के उद्देश्य से ’आदिवर्त’ संग्रहालय-खजुराहो में भूमिपूजन हुआ।
● स्वर्गीय जनगढ़ सिंह श्याम के जीवन और उनकी सांस्कृतिक दृष्टि को विस्तार प्रदान करने, चित्रकला के साथ गोण्ड समुदाय की कलापरक सभी संभावनाओं के लोकव्यापीकरण के उद्देश्य से ग्राम-पाटनगढ़, जिला-डिण्डोरी में स्व. जनगढ़ सिंह श्याम गोण्ड कला केन्द्र’ की स्थापना।
● धार्मिक नगरी, चित्रकूट में कामदगिरी परिक्रमा मार्ग का लगभग 36.00 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य एवं अमरकंटक में श्रृद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव हेतु लगभग 50 करोड़ के विविध कार्य कराये गये हैं।
● उज्जैन में युगयुगीन भारत के कालजयी महानायकों की तेजस्विता, वीरता पर केन्द्रित वीर भारत संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। संग्रहालय के उन्नयन एवं विकास कार्य आरंभ किये जा चुके है।
● मध्यप्रदेश में धार्मिक मान्यता के महत्वपूर्ण स्थलों में देवलाकों के निर्माण की शृंखला आरंभ की गई है, जिसके अन्तर्गत महाकाल महालोक-उज्जैन, सान्दीपनि आश्रम लोक-उज्जैन, देवी लोक-सलकनपुर एवं दतिया, श्रीहनुमान लोक-पाण्ढुर्ना, श्रीरामराजा लोक-ओरछा, श्रीराम वनवासी लोक-चित्रकूट तथा इसी प्रकार के 20 लोक स्थापित किये गए हैं।
● त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन द्वारा नाद प्रदर्शनी का निर्माण किया है, जिसमें प्रदेश एवं अन्य राज्यों और विदेशों के वाद्ययंत्रों का संकलन कर प्रदर्शित किया गया है। ऐसे 600 से अधिक वाद्ययंत्र प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये जाते हैं।
श्री रामचन्द्र वनगमन पथ
● मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम को समर्पित ‘राम वन गमन पथ’ की संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान किया गया ।
● भगवान श्री राम के वनवास के दौरान उनसे संबंधित स्थलों का चयन कर पर्यटन और संस्कृति की दृष्टि से उनको विकसित करने का कार्य किया जा रहा है।
● श्रीरामचन्द्र वनगमन पथ के प्रदेश से जुड़े आस्था स्थलों का चित्रांकन कराकर प्रदर्शनी तैयार की गई है
श्री कृष्ण पाथेय
● युग अवतार भगवान श्री कृष्ण पर केन्द्रित श्री कृष्ण पाथेय की संकल्पना को स्वीकृति प्रदान की गई।
● श्रीकृष्ण पाथेय योजना अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में जहाँ-जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जायेगा। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के दृष्टिगत विश्व के पथ प्रदर्शक युगावतार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उज्जैन, मध्यप्रदेश को केन्द्र में रख कर की गयी विभिन्न यात्रा स्थलों के पुरान्वेषण तथा तीर्थ के रुप में विकसित करने तथा सम्बन्धित क्षेत्रों का साहित्यिक व सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है।
प्रकाशन
● प्रदेश के सभी जिलों में स्थित भारतीय अध्यात्म परम्परा से सम्बंधित भगवान शिव, देवी, गणेश, हनुमान, विष्णु, कृष्ण और राम मंदिरों का सर्वेक्षण और उन पर आधारित चित्रात्मक पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है।
● मध्यप्रदेश में भारतीय ज्ञान परंपरा का लोक व्यापीकरण ज्ञान परम्परा केन्द्रित पुस्तकों, शोध पत्रिका-विक्रमार्क, यूट्यूब चैनल-भारत विक्रम, विक्रमोत्सव, व्याख्यानमाला, वैचारिक संगोष्ठी, प्रदर्शनी आदि के माध्यम से किया जा रहा है।
● उर्दू अकादमी द्वारा साहित्यकारों का ऑनलाइन पंजीयन का कार्य एवं महत्वपूर्ण पुस्तकों का अनुवाद कार्य भी सम्पन्न हुआ। अकादमी के पुस्तकालय में पुस्तकों के 1817 दुर्लभ पुस्तकों को डिजिटिलाइज किया गया है।
● नर्मदा साहित्य मंथन और भोज महोत्सव धार के अंतर्गत महाराजा भोज के ग्रंथों से युवाओं को परिचय कराने की दृष्टि से एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया इसमें महाराजा भोज के ग्रंथो का परिचयात्मक विवरण दिया गया।
● नाट्य शास्त्र पर आधारित उद्धरण कोश, संस्कृत के प्रकांड विद्वान श्रीधर भास्कर वर्णेकर, हरी रामचंद्र दिवेकर कालिदास के प्रसिद्ध टीकाकार दक्षिणावर्त की टीका का प्रकाशन लगभग पूर्णता की ओर है। व्याकरण की संज्ञा प्रकरण पर परम विद्वान आचार्य बच्चू लाल अवस्थी जी की हिंदी टीका प्रकाशित हो चुकी है।
● मध्यप्रदेश के विभिन्न महत्वपूर्ण मंदिरों क्रमशः देवी, शिव, हनुमान, श्रीकृष्ण, गणेश एवं विष्णु का प्रमाणिक शोध पर आधारित अलग-अलग पुस्तकों का प्रकाशन एवं पारम्परिक रूप से शैव, शाक्त और वैष्णव परम्परा के प्रमुख चरितों पर आधारित नृत्य-नाट्य प्रस्तुतियाँ तथा विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक आख्यानों के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराने का अभिनव प्रयास किया गया है।
● अकादमी द्वारा अध्यात्म विभाग के लिये मध्यप्रदेश के 52 जिलों में मंदिरों के महात्म्य, विशिष्टता, अनुष्ठान आदि पक्षों पर जिलेवार शोध एवं सर्वेक्षण उपरान्त चित्रात्मक पुस्तक प्रकाशन किये गये हैं। वित्त वर्ष में महात्म्य और महिमा आधारित ‘आदिशक्ति’, ‘श्री शिव’ और ‘श्री हनुमान’ पुस्तक का प्रकाशन किया गया है।
● मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल का पारम्परिक आनुष्ठानिक लोकपर्व ‘गणगौर’ के आनुष्ठानिक रूपों का फिल्मांकन कराया गया है। आगामी वर्ष में फिल्मांकन पर आधारित वृत्त चित्र निर्माण का कार्य किया जायेगा।
● त्रिवेणी‘ कला संग्रहालय-उज्जैन के लिए सनातन परम्परा में शाक्त मत में स्वीकार 51 शक्ति पीठों का जलरंग/एक्रेलिक रंग में चित्रांकन का कार्य करवाया जा रहा है। उक्त चित्रों के प्रदर्शन के साथ ही भविष्य में इनसे सम्बद्ध कथाओं सहित पुस्तक रूप में प्रकाशित किया जायेगा।
● महाराजा विक्रमादित्य पर आधारित विक्रमोत्सव 2025 संपूर्ण भारतवर्ष में वैभव के साथ मनाया गया।
● भारत विद्या तथा भारत उत्कर्ष और नवजागरण पर एकाग्र विक्रमोत्सव, वर्ष प्रतिपदा पर उज्जैन में आयोजित किया जा रहा है। वर्ष 2024 में 44 तथा वर्ष 2025 में यह 125 दिवसीय आयोजित किया गया है। भारतीय काल गणना सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति का पुनरस्थापन विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के रूप में उज्जैन में किया गया है। भारतीय काल गणना की इस परंपरा को व्यवहारिक बनाने विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का एप भी तैयार किया जा चुका है। यह एप भारतीय एवं वैश्विक 189 भाषाओं में देखा जा सकेगा।
विक्रमोत्सव का प्रारंभ
● महाराजा विक्रमादित्य पर आधारित विक्रमोत्सव 2025 संपूर्ण भारतवर्ष में वैभव के साथ मनाया गया।
● भारत विद्या तथा भारत उत्कर्ष और नवजागरण पर एकाग्र विक्रमोत्सव, वर्ष प्रतिपदा पर उज्जैन में आयोजित किया जा रहा है। वर्ष 2024 में 44 तथा वर्ष 2025 में यह 125 दिवसीय आयोजित किया गया है। भारतीय काल गणना सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति का पुनरस्थापन विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के रूप में उज्जैन में किया गया है। भारतीय काल गणना की इस परंपरा को व्यवहारिक बनाने विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का एप भी तैयार किया जा चुका है। यह एप भारतीय एवं वैश्विक 189 भाषाओं में देखा जा सकेगा।
जनजातीय संस्कृति का संवर्धन
● विभाग द्वारा तैयार वनवासी चरित्र आधारित क्रमश: निषादराज गुह्य, भक्तिमति शबरी, श्रीहनुमान और गोण्ड समुदाय के आख्यान ''रामायनी'' आधारित लछमन चरित लीला-नाट्य को प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में प्रस्तुति सह-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।
● मध्यप्रदेश की पाँच घुमन्तू जातियों क्रमशः पारधी, कुचबंदिया, बंजारा, गाडुलिया लोहार और बेड़िया समुदायों की विलुप्त होती भाषाओं के शब्द संचय और टॉकिंग डिक्शनरी निर्माण का कार्य कराया गया है। गणतंत्र के लोकोत्सव ’लोकरंग’ के शुभारंभ अवसर पर ’घुमन्तू भाषा शब्दकोष’ का डिजिटल लोकार्पण माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा किया गया है।
● कोरकू समुदाय के ‘महादशहरा‘ पर्व पर केन्द्रित वृत्तचित्र का निर्माण कराया गया है। पारंपरिक उत्सव/पर्वों में तेजी से आधुनिकता का प्रभाव देखा जा रहा हैं, इसलिए समय रहते पारंपरिक देशज ज्ञान के समस्त पहलुओं का दस्तावेजीकरण किया जाना आवश्यक है।
● कोरकू समुदाय के ‘महादशहरा‘ पर्व पर केन्द्रित वृत्तचित्र का निर्माण कराया गया है। पारंपरिक उत्सव/पर्वों में तेजी से आधुनिकता का प्रभाव देखा जा रहा हैं, इसलिए समय रहते पारंपरिक देशज ज्ञान के समस्त पहलुओं का दस्तावेजीकरण किया जाना आवश्यक है।
● ‘’मोड़ी लिपि’’ शोध केन्द्र की स्थापना की गई।
विश्व धरोहर विस्तार
● यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क की सूची में म्यूजिक गतिविधियों में सम्मिलित किया गया है।
● भोपाल को यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी नेटवर्क की सूची में ‘लिटरेचर सिटी’ के रूप में सम्मिलित करने का प्रस्ताव भेजा गया है।
● भारत सरकार की यूनेस्को नोडल एजेंसी संगीत नाटक अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश की तीन विरासतों भगोरिया आदिवासी नृत्य, गोंड आदिवासी चित्रकला (पाटनगढ़) एवं नर्मदा परिक्रमा को 'राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की सूची में सम्मिलित किया गया है।
ऐतिहासिक नायकों का चरित्र-चित्रण
● मध्यप्रदेश में ऐतिहासिक चरित्र नायकों - रानी दुर्गावती, रानी अवंतीबाई, टंट्या भील, शंकरशाह-रघुनाथ शाह, महाराज छत्रसाल, लोकमाता देवी अहिल्या बाई केन्द्रित नृत्य-नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से इनके जीवन और अवदान के लोकव्यापीकरण का कार्य किया गया है।
● गोण्ड नायिका रानी दुर्गावती के 500वें जन्मवर्ष को पूरे देश में मनाये जाने की घोषणा के परिपालन में वीरांगना रानी दुर्गावती नृत्य-नाटिका प्रस्तुति तथा रानी दुर्गावती के जीवन एवं अवदान केन्द्रित चित्र प्रदर्शनी तैयार कराई जाकर प्रदेश के 89 जनजातीय विकासखण्डों में आयोजित की गई है।
● लोकमाता देवी अहिल्या बाई की 300वीं जयंती वर्ष के अवसर पर राष्ट्रसमर्था : देवी अहिल्या की पुण्यगाथा नृत्य-नाट्य प्रस्तुति मध्यप्रदेश के 13 स्थानों में आयोजित की गई है।
● मध्यप्रदेश के 52 जिलों में मंदिरों के महात्म्य, विशिष्टता, अनुष्ठान आदि पक्षों पर जिलेवार शोध एवं सर्वेक्षण उपरान्त चित्रात्मक पुस्तक प्रकाशन किये गये हैं। वित्त वर्ष में महात्म्य और महिमा आधारित ‘आदिशक्ति’, ‘श्री शिव’ और ‘श्री हनुमान’ पुस्तक का प्रकाशन किया गया है।
पुरातात्विक स्मारकों एवं विरासतों का संरक्षण
● पुरातात्विक स्मारकों एवं विरासतों के संरक्षण हेतु 3D स्केनिंग, फोटोग्रामैट्री और GIS मैपिंग द्वारा विरासत स्थलों का दस्तावेजीकरण किया गया ।
● राज्य संग्रहालय की 100 से अधिक कलाकृतियों की 3D स्केनिंग की गई । होल्कर राज्य के 21 लाख अभिलेखों का डिजिटलाइजेशन किया गया।
● 100 से अधिक पुरातत्व महत्व की जल संरचनाओं एवं बावडि़यों की सफाई, सतही प्रलेखन एवं पुर्नभरण का कार्य किया गया ।
● पुरातत्व महत्व की 14 पुस्तकों का प्रकाशन किया गया ।
● नरसिंहपुर में नवीन शैलचित्रों की खोज की गई।
● 60 पुरातात्विक स्मारकों के अनुरक्षण का कार्य किया गया।
राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम से संबंधित दस्तावेजीकरण
● मध्यप्रदेश के स्वाधीनता संग्राम पर केन्द्रीत 52 जिलों के शोध कार्यों का प्रकाशन किया गया।
● लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल से संबंधित समग्र वांगमय पर शोध कार्य करने हेतु स्वराज संस्थान एवं Indian Council of Historical Research (ICHR) के मध्य समझौता ज्ञापन निष्पादित किया गया।
● वर्ष 1800 से 1950 तक ब्रिटिश संसद में भारत से संबंधित डिबेट्स एवं रिकार्ड्स (India in British Parliamentary debate) का संकलन कार्य किया जा रहा है।
ओमकारेश्वर में एकात्म धाम का विकास
● ओमकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट की ‘स्टेच्यू ऑफ वननेस’ की स्थापना के पश्चात् एकात्म धाम परियोजना के अंतर्गत 2424 करोड़ की लागत से अद्वैत लोक के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई जिसमें आचार्य शंकर के जीवन योगदान, अद्वैत वेदांत दर्शन को संपूर्ण विश्व में विभिन्न माध्यमों से प्रसारित किया जायेगा।
● ओमकारेश्वर में पांच दिवसीय आचार्य शंकर प्रकटोत्सव मनाया गया। इस आयोजन को भौतिक रूप से 3000 लोगों द्वारा तथा सोशल मीडिया के माध्यम से लगभग 22 हजार लोगों द्वारा देखा गया।
सांस्कृतिक महोत्सव
● 26 फरवरी, 2025 को महाशिवरात्रि के अवसर पर संस्कृति विभाग द्वारा 9 सांस्कृतिक स्थलों पर एक साथ शिव-शक्ति की कला अभिव्यतियाँ केन्द्रित गतिविधियों का आयोजन किया गया।
● 6 अप्रैल, 2025 को रामनवमी के अवसर पर संस्कृति विभाग द्वारा एक साथ 28 सांस्कृतिक पर श्रीराम केन्द्रित गतिविधियाँ आयोजित की गई।
● 1 से 4 मई, 2025 तक जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर, मुम्बई में आयोजित WAVES Summit- 2025 (Wold Audio visual & Entertainment Summit) के अवसर पर मध्यप्रदेश की कला संस्कृति, समृद्ध विरासत और अनूठी परंपरा को प्रदर्शित किये जाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश केन्द्रित समवेत प्रस्तुति संयोजित की गई।
भारतीय ज्ञान परम्परा
● भारतीय ज्ञान परम्परा के अठारह पुराणों को देश की विविध चित्र शैलियों में चित्रांकन कराया गया है, जिसकी उत्कृष्ट फ्रेमिंग करायी गई है।
● देवी के नौ स्वरूपों का गुजराती ‘मातानी पाछेड़ी‘ शैली में चित्रांकन कराया गया है।
● भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परम्परा पर केन्द्रित आर्ष भारत, वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक वैभव एवं श्रीकृष्ण की चौंसठ कलाएँ, श्रीकृष्ण होली पर्व, चौरासी महादेव, जनजातीय प्रतिरूप, पारंपरिक भारतीय वाद्ययंत्र, देवी के 108 स्वरूप आदि प्रदर्शनियाँ आयोजित की गई।
● उज्जैन स्थिति 84 महादेवों का जलरंग में चित्रांकन कराया गया है।
● मध्यप्रदेश में संस्कृति के मूल आधारों और पूर्वजों की धरोहरों को संरक्षित एवं लोक व्यापीकरण हेतु देश में पहली बार सभी अठारह पुराण आख्यान कथाओं का चित्रांकन कार्य विविध चित्र शैलियों में अलग-अलग चित्रकारों से कराया गया है।
● मध्यप्रदेश में शैव परम्परा में ’नटराज’ 108 स्वरूपों का लाइफ साइज में प्रतिमा निर्माण कराया जा रहा है। जो देश में पहली बार होगा।
● देश में पहली बार शैव, शाक्त एवं वैष्णव ज्ञान धारा से सम्बद्ध पारम्परिक वाद्यों का संग्रह किया गया है।
● पारंपरिक चित्रों, शिल्पों और आर्किटेक्चर की शिक्षा, अभ्यास, शोध एवं प्रशिक्षण पारंपरिक शिल्प कला के लिए शिक्षण केन्द्र विकसित किये जाने के उद्देश्य से उज्जैन में महादेव मूर्तिकला कार्यशाला प्रारंभ की गई है।
● लोक संस्कृति से समृद्धि का सन्देश देते हुए विभाग द्वारा गोवर्धन पर्व का आयोजन किया गया।
● संदीपनि आश्रम-उज्जैन में स्थापित ’सर्वांग’ कला दीर्घा के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सीखी गई चैदह विद्याओं एवं चैंसठ कलाओं का राजस्थान की नाथद्वारा लोकचित्र शैली में चित्रांकन कराया गया।
● देश के जनजीवन में व्याप्त शास्त्रीय, लोक एवं जनजातीय संगीत में प्रयुक्त होने वाले 700 से अधिक वाद्ययंत्रों का वृहद संकलन किया गया गया है।
साहित्य संवर्धन
● प्रदेश के प्रख्यात रचनाकारों के स्मृति प्रसंग कला पंचांग में सम्मिलित कर प्रदेश भर में साहित्यिक आयोजन किये गये।
● एक समृद्ध ग्रंथालय की स्थापना की गई, जिसमें देश भर के साहित्यकारों की लगभग एक लाख से अधिक पुस्तकों का संकलन है।
● 15 जिलों के साहित्यिक गैजेटियर तैयार किये जा चुके हैं। शेष जिलों का कार्य प्रक्रिया में है।
● साहित्यिक आयोजनों को महानगरों से तहसील, ब्लॉक और ग्राम स्तर तक ले जाया गया।
प्रदेश में संग्रहालयों की नवीन शृंखला
● उज्जैन में ‘वीर भारत न्यास संग्रहालय’ का कार्य प्रारंभ।
● भोपाल में ‘सिटी म्यूजियम’ का कार्य अंतिम चरण में है।
● ग्वालियर में ‘म्यूजियम ऑफ म्यूजिक’ का कार्य शीघ्र प्रारंभ होना प्रस्तावित।
● ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी पर आधारित ‘अटल म्यूजियम’ का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है।
● सागर में रू. 100 करोड़ की लागत से ‘संत रविदास संग्रहालय’ निर्माणाधीन ।
● पन्ना में ‘डायमंड म्यूजियम’ का कार्य स्वीकृत ।
● जबलपुर के भेड़ाघाट में ‘जियोलॉजिकल म्यूजियम’ का कार्य स्वीकृत।
● महेश्वर में 100 करोड़ की लागत से देवी अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित म्यूजियम स्वीकृत।
● जबलपुर में 100 करोड़ की लागत से रानी दुर्गावती संग्रहालय स्वीकृत।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक लोकों का निर्माण
● ओरछा में श्रीरामराजा लोक के निर्माण हेतु प्रथम चरण का कार्य अंतिम स्तर पर है। 31 मार्च 2026 तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।
● सलकनपुर में देवीलोक के निर्माण हेतु सिविल कार्य पूर्ण तथा म्यूरलस एवं मूर्तियां का कार्य अंतिम स्तर पर है। फरवरी 2026 तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।
● अमरकंटक में माँ नर्मदा का महालोक निर्माण कार्य हेतु प्रथम चरण का कार्य अंतिम स्तर पर है। 31 जनवरी 2026 तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।
● चंदेरी में जागेश्वरी माता मंदिर लोक निर्माण हेतु कार्य प्रगति पर है। 31 मई 2027 तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।
● चित्रकूट में श्रीराम चंद्र वन पथ गमन योजना अंतर्गत कामदगिरी परिक्रमा मार्ग विकास कार्य प्रगति पर है। सितंबर 2026 तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।
● जानापाव में भगवान परशुराम लोक के निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।
● जामसावली में हनुमान लोक का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है, मूर्तियां स्थापन का कार्य अंतिम स्तर पर है। लोकार्पण प्रस्तावित है।
● दतिया में मां पीतांबरा माई लोक के निर्माण हेतु केंद्र शासन से परियोजना स्वीकृत तथा निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। कार्य प्रांरभ । जुलाई 2027 तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।
● महेश्वर में देवी अहिल्या संग्रहालय का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। सिंहस्थ मद अंतर्गत महेश्वर में देवी अहिल्या लोक स्वीकृत। निविदा प्रक्रिया प्रचलन में है।
● मैहर में शारदा लोक के निर्माण हेतु डीपीआर/ कॉन्सेप्ट प्लान तैयार है। कॉन्सेप्ट अनुमोदन की प्रक्रिया प्रचलन में है।
विश्व कीर्तिमान
● दिसंबर 2024 में ग्वालियर में आयोजित 100वें तानसेन समारोह में 546 वादकों ने 9 विभिन्न वाद्य यंत्रों में एक साथ राग मल्हार में प्रस्तुति दी, जिससे एक नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित हुआ।
● संस्कृति विभाग द्वारा कत्थक नृत्य, तबला वादन एवं डमरू वादन में विश्व रिकार्ड स्थापित किये हैं।
● गीता जयंती 3721 मंहतों में बिना देखे गीता पाठ करने विश्व रिकार्ड बनाया है।
● 20 फरवरी, 2024 को खजुराहो में आयोजित विश्वप्रसिद्ध खजुराहो नृत्य समारोह के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर संस्कृति विभाग द्वारा 1484 कथक नर्तक-नृत्यांगनाओं की समवेत प्रस्तुति ‘कथक कुम्भ’ आयोजित की गई, जिसके लिये विभाग का नाम ‘‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’’ में दर्ज हुआ।
● 11 दिसम्बर, 2024 को गीता जयंती के अवसर पर संस्कृति विभाग द्वारा भोपाल में आयोजित गीता महोत्सव के अवसर पर 3721 आचार्यों एवं बटुकों द्वारा सस्वर श्रीमद्भगत गीता के तीसरे अध्याय का वाचन किया। इस गतिविधि को ‘‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’’ में सम्मिलित किया गया है।
● 15 दिसम्बर, 2024 को ग्वालियर में आयोजित ‘‘100वें तानसेन समारोह’’ के अवसर पर 546 विभिन्न शास्त्रीय वाद्यवृंद कलाकारों द्वारा वृहद शास्त्रीय बैण्ड की प्रस्तुति देकर मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग का नाम ‘‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’’ में दर्ज कराया। साथ ही तानसेन समारोह में 100 वर्षों में जिन सुप्रसिद्ध गायक-वादकों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं उन प्रस्तुतियों की ऑडियो रिकॉर्डिंग को गायक-वादकों के छायाचित्र पर लगे बारकोड को स्कैन कर सुना जा सकता था। इस तरह का संकलन देश में पहली बार किया गया था।
● 20 फरवरी, 2025 को खजुराहो में आयोजित विश्वप्रसिद्ध खजुराहो नृत्य समारोह के अवसर पर संस्कृति विभाग द्वारा वृहद शास्त्रीय नृत्य मैराथन (रिले) का आयोजन किया गया है, जिसमें 24 घंटे 9 मिनट 26 सेकंड तक विविध नृत्य शैलियों के 139 कलाकारों ने नृत्य की प्रस्तुति दी है। इस मैराथन (रिले) को ‘‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’’ में दर्ज किया गया है।
● उज्जैन में 05 अगस्त, 2024 को महाकाल की सवारी में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिये 550 डमरू वादन कराया गया।
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