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खास खबर: 'आज है दुनिया के पहले पत्रकार नारद जी की जयंती'

शनिवार, 29 मई 2021

/ by Vipin Shukla Mama
दिल्ली। नारद मुनि  भगवान विष्णु के भक्त थे, उनकी आज जयंती है। जिन्हें पहला पत्रकार कहा जाता है। उनका जन्म ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष (पूर्णिमंत कैलेंडर के अनुसार) के हिंदू महीने में प्रतिपदा तिथि (पहले दिन) हुआ था। हालांकि, अमावसंत कैलेंडर का पालन करने वाले भक्त उनकी जयंती प्रतिपदा तिथि, कृष्ण पक्ष वैशाख को मनाते हैं। ज्येष्ठ माह पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार शुरू होता है, इसलिए कई भक्त आज नारद जयंती मना रहे हैं। प्रतिपदा तिथि 26 मई को शाम 4:43 बजे शुरू हुई और 27 मई को दोपहर 1:02 बजे समाप्त हो जाएगी। 
यह कथा प्रचलित
चिरकाल में एक बार गंधर्व और अप्सराएं भगवान ब्रह्मा जी की उपासना कर रहे थे। उस समय गंधर्व 'उपबर्हण' (नारद जी जो पूर्व जन्म में गंधर्व थे) अप्सराओं के साथ श्रृंगार भाव में उपस्थित हुए। यह देखकर भगवान ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठे और 'उपबर्हण' को शूद्र योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। ब्रह्मा जी के श्राप फलस्वरूप नारद का जन्म 'शूद्रा दासी' के घर पर हुआ। इसके बाद उन्होंने प्रभु की भक्ति आराधना की तो उन्हें ईश्वर के एक दिन दर्शन हुए। इससे उनके मन में ईश्वर और सत्य को जानने की लालसा और बढ़ गई। इसी समय आकाशवाणी हुई कि- 'हे बालक, इस जन्म में अब तुम मेरे दर्शन नहीं कर पाओगे। अगले जन्म में तुम मेरे पार्षद होंगे।' इसके बाद नारद ने भगवान श्रीहरि विष्णु की कठिन तपस्या की, जिसके फलस्वरूप वह कालांतर में ब्रम्हा जी के मानस पुत्र के रूप में फिर अवतरित हुए।
हिन्‍दू शास्‍त्रों के अनुसार ऋषि नारद मुनि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नारद जी की पूजा आराधना करने से भक्‍तों को बल, बुद्धि और सात्विक शक्ति प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त पौराणिक मान्‍यता यह भी है कि नारद मुनि ना केवल देवताओं, बल्कि असुरों के बीच भी आदरणीय माने गए। वह दुनिया के पहले पत्रकार माने गए हैं और सबके बीच सम्मानित हैं। नारद जयंती के व्रत से भक्‍तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नारद जयंती पूजा विधि 
नारद जयंती के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और फिर वस्त्र धारण करके पूजा घर की भी साफ-सफाई कर लें। साथ ही अपने व्रत का संकल्प लें और इसके बाद ऋषि नारद का ध्यान करते हुए पूजा-अर्चना करें। नारद मुनि को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, पुष्प, धूप आदि समर्पित करें। साथ ही अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान भी करें। 

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