वक्ताओं ने कहा इस बुराई को सिर्फ कानून नहीं मिटाया जा सकता, समन्वित प्रयासों की जरूरत
शिवपुरी। बालश्रम बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में सबसे बड़ी बाधा है। यह सिर्फ सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि एक दंडनीय अपराध भी है। कानून में 14 साल तक के बच्चों से व्यवसायिक काम कराने को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। 14 वर्ष से ऊपर के किशोरों को कानून शर्तों के अधीन काम करने की इजाजत देता है। जोखिम पूर्ण कार्यों में नियोजन पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। बालश्रम को मिटाने के लिए बालकों की पारिवारिक परिस्थितियों को समझना भी जरूरी है। यह बात जिला विधिक सहायता अधिकारी शिखा शर्मा ने ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम कही।
अंतरराष्ट्रीय बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से ऑनलाइन वेविनार का आयोजन किया गया। वेविनार में विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरालीगल वोलेंटियर, नेहरू युवा केंद्र के युवा स्वयंसेवक, विशेष किशोर पुलिस इकाई, जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी- कर्मचारी, चाइल्ड लाइन टीम सदस्य एवं सामाजिक संस्थाओं के लोगों ने सहभागिता की। कार्यक्रम के दौरान बच्चों के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर परिचर्चा की गई। कार्यक्रम में पूर्व बाल कल्याण समिति अध्यक्ष डॉ अजय खेमरिया ने कहा कि पढ़ाई के साथ यदि सामाजिक जरूरतों की पूर्ति अथवा कौशल विकास की मंशा से यदि कोई किशोर काम करता है,तो उसे बालश्रम नहीं कहा सकता। ऐसे कार्य जिसका बच्चे के जीवन और विकास पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता, बल्कि वह उसके भविष्य के लिए लाभकारी हो सकता है,उन परिस्थितियों को बालश्रम निषेध कानून में आपराधिक श्रेणी में नहीं रख गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेन्द सुंदरियाल ने कहा कि बालश्रम को मिटाने के लिये हमें ऐसे परिवारों को चिन्हित करना होगा, जिनके बच्चे श्रम में नियोजित है या नियोजित होने की संभावना है। उन परिवारों के महिला- पुरुषों को आर्थिक उन्नति के रास्ते पर लाना होगा। उन्हें स्वरोजगार तथा जीविकोपार्जन के माध्यमों से जोड़ने के प्रयास करना होंगे। हम सिर्फ कानून के भय से इसे नहीं मिटा सकते। हमें वास्तविक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा।
- अनाथ बच्चों को मिलता है आर्थिक सहयोग
एक प्रतिभागी ने पूछा कि जिन बच्चों के माता- पिता या दोनों में से किसी एक कि मृत्यु हो गई है,ऐसे बच्चों की बाल मजदूरी में जाने की संभवनाएं अधिक है। इस पर महिला एवं बाल विकास के सहायक संचालक आकाश अग्रवाल ने बताया कि अनाथ बच्चों को विकास के समुचित अवसर मिलें इसके लिए उन्हें आर्थिक सहयोग के लिये स्पॉन्सरशिप योजना संचालित है। हालही में कोविड के कारण जिन बच्चों ने अपने माता- पिता को खोया है उनके लिए सरकार ने मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना शुरू की है,जिसमें बच्चे को निशुल्क शिक्षा, राशन एवं प्रतिमाह 5 हजार की आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
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