नरेन्द्र सिंह तोमर व सिंधिया के समर्थकों ने मारी बाजी
मुरैना। अभी हाल ही में भाजपा की कार्यकारिणी घोषित की गई है। इस सूची का अगर गौर से अवलोकन किया जाये तो इसमें मुरैना जिले के नरेन्द्र सिंह तोमर और सिंधिया समर्थकों के नाम तो शामिल किए गए लेकिन मूल रूप से मुरैना निवासी बी.डी. शर्मा के समर्थकों का कार्यकारिणी की इस सूची में कहीं अता पता नहीं है। इससे एक तो उनके समर्थकों को हताशा हुई साथ ही कई वर्षों से उनके द्वारा किए गए कार्यों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है। इससे पहले भी जिले में क्रइसिस के सदस्यों की सूची जारी की गई थी उसमें भी बीडी शर्मा के समर्थकों को शामिल नहीं किया गया।
राजनैतिक सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की बहुप्रतीक्षित सूची जारी कर दी है। इसमें मुरैना जिले से ऐंदलसिंह कंषाना, अशोक अर्गल, दीपक भदौरिया, सरला रावत, रामनरेश शर्मा को सदस्य के रूप में तथा विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में गिर्राज डंडोतिया, रुस्तमसिंह, रघुराज कंषाना, कमलेश जाटव, केदार सिंह यादव,रामकुमार माहेश्वरी, मनोजपाल यादव,बारेलाल जाटव, राजेन्द्र मरैया, उर्मिला त्यागी जबकि शिवपुरी में हरवीर रघुवंशी, विजय शर्मा, महेन्द्र यादव, वीरेंद्र रघुवंशी, सुशील रघुवंशी, सुरेंद्र शर्मा को शामिल गया है। इस सूची को देखने से पता चलता है कि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक कार्यकारिणी में जगह पाने में कामयाब रहे हैं। इसके विपरीत भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा समर्थकों को कोई स्थान नही मिला है। मूलत: मुरैना जिले के निवासी होने के कारण शर्मा समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान मिलेगा लेकिन उनकी मनोकामना अधूरी रह जाने से वो हताश और निराश हो गए हैं। राजनीतिक सूत्रों द्वारा तो यह भी बताया गया है कि भाजपा में नए चेहरे आ जाने के कारण जो कार्यकर्ता वर्षों से पार्टी के लिये काम कर रहे थे उनका स्थान नए चेहरों को मिल रहा है जिससे पार्टी के अंदर ही कहल मची हुई है। ऐसा नहीं है कि समर्थकों ने अपने नेताओं से इन नए चेहरों का विरोध नहीं किया हो। लेकिन जो दिखता है वही बिकता है की तर्ज पर पुराने समर्थकों व कार्यकर्ताओं को समझाइश दे दी गई है। लेकिन वर्षों से पार्टी के प्रति ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ रहे कार्यकर्ता को इस समय किसी भी नेता की दी गई समझाइश रास नहीं आ रही है। इसकी मुख्य वजह एक यह भी है कि शहर में उनके कट््टर भाजपा समर्थक माना जाता रहा है और जब कार्यकारिणी की सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया तो इससे उनकी साख पर भी बात आ चुकी है। हमारे नेता की तारीफ करते हुए हर किसी की मदद का दम्भ भरने वाले पुराने कार्यकर्ताओं को अब ऐसा लगने लगा है कि पार्टी में उनकी उपेक्षा होनी लगी है। कुछ कार्यकर्ताओं ने तो दबी जुवान में यह स्वीकारा भी है कि भाजपा में शामिल हुए नए चेहरे से उनके स्थान रिजर्व हो चुके हैं। जिस पद के हकदार पुराने कार्यकर्ता थे अब उन्हें नए चेहरों ने अप्रत्यक्ष तौर पर हथिया लिया है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भाजपा पार्टी में भी विरोध की ज्वाला भडक उठेगी और अगर ऐसा हुआ तो निश्चित ही भाजपा को बडा नुकसान झेलना पड़ेगा। क्योंकि किसी भी पार्टी की ताकत केवल और केवल उसका कार्यकर्ता होता है जो जमीनी तौर पर मेहनत करता है और पार्टी को खड़ा करता है।

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