दिल्ली। एक साथ 8 राज्यपाल बदलने के साथ थावरचंद को कर्नाटक के राज्यपाल की जिमेदारी देकर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिये केंद्र में सीट खाली कर दी गई है। आज सभी कार्यक्रम रद्द कर सिंधिया 3.30, बजे इन्दोर से दिल्ली प्रस्थान करेंगे। उन्हें कल मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। पीएम मोदी केबिनेट में सिंधिया को महत्वपूर्ण जिमेदारी देने के संकेत हैं। इस खबर से MP में खुशी की लहर है। हमने 3 दिन पहले ही यह खुलासा किया था।
करीब से जानिये सिंधिया को
सांसद श्रीमंत ज्योतिरादित्य, सिंधिया राजघराने के तीसरी पीढ़ी के नेता हैं और अपने गढ़ में गहरी पकड़ रखते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था और उन्होंने 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री ली। इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रुजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया। ज्योतिरादित्य की 1984 बड़ौदा के गायकवाड़ घराने की लाडली प्रियदर्शिनी राजे से शादी हुई है और उनके एक बेटा महा आर्यमान और बेटी अनन्याराजे हैं।
राजनीतिक सफर की बात करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजनीति विरासत अपने पिता स्व. माधवराव सिंधिया से मिली। माधवराव सिंधिया अपने समय के दिग्गज कांग्रेस नेता थे। शुरुआत में जनसंघ के टिकट से चुनाव लड़ने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए। पहले दादी विजयाराजे सिंधिया, फिर पिता माधवराव सिंधिया और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना की बागडोर संभाल चुके हैं। दादी विजया राजे सिंधिया बीजेपी की रीढ़ यानी फाउंडर थीं।
30 सितंबर 2001 को विमान हादसे में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद विदेश से लौटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीति में उतरने का निर्णय किया। 2002 में पहली बार पिता के देहांत के बाद उनकी पारंपरिक गुना सीट से चुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे। 2004 में भी उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। यूपीए सरकार में पहली बार 2007 में सिंधिया ने केंद्रीय राज्य मंत्री का पदभार संभाला और यूपीए की मनमोहन सरकार 2012 में भी उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार संभाला। 2014 के लोकसभा चुनाव मोदी लहर के बावजूद गुना में जीत दर्ज कराई।

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