"कहा कबाड़ ही बेचा जाए, उसकी आड़ में कीमती सामान नहीं।" गयाराम सिंह धाकड़
कैलारस। कोई बनाता है। कोई उजारता है। कोई बेचता है। सन 1966 में डकैत प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए, बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए सहकारिता के क्षेत्र में दि मुरैना मंडल सहकारी शक्कर कारखाना कैलारस की स्थापना की गई। यह कारखाना सन 1971- 72 में शुरू हुआ। तब से लेकर सीजन 2010-11 तक यह कारखाना चला। इसके चलते क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखी गई। लेकिन इस कारखाने को बंद कर, उजाड दिया गया। कई बार आमसभाओं में चलाने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा घोषणा करने के बावजूद कारखाना चालू तो नहीं किया। लेकिन बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस प्रक्रिया में भी बड़ा घपला करने का प्रयास कॉपरेटिव के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। स्क्रैप(कबाड़) मैटेरियल के नाम पर कीमती सामानों को बेचने की कोशिश की गई, तो उसको रोकने के लिए स्थानीय किसान नेतागण पूर्व संचालक गयाराम सिंह धाकड़, उदय राज सिंह, राम सिंह पटेल, स्थानीय मीडिया ने कहा कि केवल कबाड़ सामान ही बेचा जाए। कबाड़ की रेट में ₹45 प्रति किलो की दर पर कीमती सामान पीतल तांबा अन्य धातुओं के बने हुए सामान मोटर आदि नहीं बेची जाए। तब मजबूर होकर पर परिसमापन अधिकारी उप पंजीयक भदोरिया को कैलारस आना पड़ा। उनके साथ जनरल मैनेजर भास्कर शर्मा, सुरक्षा अधिकारी हरगोविंद सिंह जादौन और स्थानीय अधिकारियों ने मजबूरन कारखाने का दौरा किया। कबाड़ सामानों को चिन्हित किया है और चिन्हित करने की प्रक्रिया जारी है। कबाड़ सामान की सूची बनाई जा रही है। जनप्रतिनिधियों ,मीडिया कर्मियों के प्रयास से कारखाने का अच्छा सामान बेचने से बच गया। वैसे तो सरकार ने टुकड़ों टुकड़ों में कारखाने को बेचने की पूरी तैयारी कर ली है। कार्यवाही जारी है । मध्य प्रदेश किसान सभा, संयुक्त मोर्चा ने क्षेत्र के हित में इस कारखाने को चलाने की मांग गयाराम सिंह धाकड़ पूर्व संचालक शक्कर कारखाना कैलारस ने दोहराई है।

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