प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले पंखे, लाइट,हीटर या अन्य बिजली के उपकरणों के अनावश्यक प्रयोग से बचेंः रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता
अत्यधिक और फालतू ऊर्जा के उपयोग के स्थान पर कम ऊर्जा के प्रयोग के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना - रवि तोमर शिक्षक प्राथमिक विधालय गढी बरोद
शिवपुरी। भारत में हर साल 14 दिसम्बर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा लागू किया गया था ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग से बचते हुए कम.से.कम ऊर्जा का उपयोग करना है ताकि भविष्य में उपयोग हेतु ऊर्जा के स्रोतों को बचाया जा सके । इस खास दिवस पर शक्तिशाली महिला संगठन द्वारा आदिवासी वस्ती गढ़ीबरोद में बच्चों के साथ ऊर्जा संरक्षण के लिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें कि एक सैकड़ा बच्चों को दैनिक जीवन में उपयोगी विदयूत उपकरणों के अनावश्यक प्रयोेग से बचने की नसीहत दी गई जितनी लाईट की जरुरत है उतना ही उपयोग करें अनावश्यक विजली की बर्बादी न करें इसके बच्चे अपने माता पिता को जागरुक कर सकते है। कार्यक्रम संयोजक शक्तिशाली महिला संगठन रवि गोयल ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण दिवस को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए हर इंसान को अपने व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण को शामिल करना चाहिए । राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य हर साल एक विशेष विषय के साथ कुछ लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लोगों के बीच अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये मनाया जाता है यह लोगों के बीच जीवन के हर क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण के महत्व का संदेश भेजने के लिए मनाया जाता है। कार्यक्रम में रवि तोमर शिक्षक प्राथमिक विधालय गढी बरोद ने कहा कि हम सबको मिलकर विजली बचाने का प्रयास करना चाहिए और सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना चाहिए अत्यधिक और फालतू ऊर्जा के उपयोग के स्थान पर कम ऊर्जा के प्रयोग के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए । कार्यक्रम में रवि गोयल ने बच्चों के दो जागरुकता समूह का गठन किया जो कि गांव में विजली बचत के लिए कार्य करेगें जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले पंखे, लाइट, हीटर या अन्य बिजली के उपकरणों के अनावश्यक प्रयोग को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की बचत कर सकते हैं, यह ऊर्जा के अतिरिक्त उपयोगों को बचाने का सबसे आसान और कारगर तरीका है, जिसके द्वारा राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण अभियान की दिशा में बड़ी भूमिका निभाई जा सकती है । उन्होने कहा कि जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल, कोयला और प्राकृतिक गैस आदि दैनिक जीवन में उपयोग के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं लेकिन दिन.ब.दिन इनकी मांग बढ़ती जा रही है, जिससे भविष्य में प्राकृतिक संसाधनों की कमी या समाप्त होने का डर पैदा हो गया है, अतः ऊर्जा संरक्षण को ध्यान में रखते हुए हमें ऊर्जा के गैर.अक्षय संसाधनों की जगह अक्षय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। हमें लोगों को इस बात के लिए जागरूक करना चाहिए कि कार्यस्थल पर अधिक रोशनी वाले बल्ब से तनाव, सिर दर्द, रक्तचाप, थकान जैसी विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती है और श्रमिकों की कार्य कुशलता में भी कमी आती है, जबकि दिन के प्राकृतिक प्रकाश में श्रमिकों की कार्य कुशलता के स्तर में भी वृद्धि होती है और ऊर्जा की खपत में भी कमी आती है। कार्यकम को सफल बनाने में विधालय के बच्चे, शिक्षक , सुपोषण सखी , आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुसुम गुप्ता , सहायिका के साथ समुदाय की महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं ने भाग लिया कार्यक्रम को शक्तिशाली महिला सगठन की पूरी टीम ने मिलकर सफल बनाया।

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