शिवपुरी। भारतीय अस्मिता की शान जान प्राण रहीं, देशहित में सप्त सुर निधान रहीं कोकिला।
भाषावाद, धर्म के विवाद को तिलांजलि दे
राष्ट्र हित में नेह संविधान रहीं कोकिला।
जीवन समर्पित है, अर्पित सुरसाधनाएं
भारती की गोद में प्रयाण रहीं कोकिला।
हम धरा के वासी, आज मौन आंख अश्रु भर,
हम धरा के धरा, आसमान रहीं कोकिला।
@डॉ मुकेश अनुरागी शिवपुरी
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