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बड़ा धमाका: कलेक्टर प्रशासक फिर भी नपा में अटके महीनों से सैंकड़ों 'नामान्तरण', हर वर्ग परेशान

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। नगर के सैकड़ों लोग नामांतरण ना होने से भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। नगर पालिका परिषद शिवपुरी भंग होने से लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। उनकी बात सुनने वाला कोई जनप्रतिनिधि मौजूद नहीं है। उस पर भी कलेक्टर वाली प्रशासक नगरपालिका में नामान्तरण महीनों से अटके पड़े हैं और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर पालिका के नामांतरण की प्रक्रिया इतनी बोझल है कि लोगों को कई महीने तक न्याय नहीं मिल पाता। इसके लिए उन्हें सबसे पहले आवेदन करना होता है जो कई दिन बाद एआरआई के पास पहुंचता है। वे अगर ऑफिस में मौजूद रहे तो यहां से फाइल सीएमओ के पास भेजी जाती है। सीएमओ अगर दफ्तर आते हैं या उनका ध्यान नामांकन पर गया तो फिर फाइल को अगली प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है। इस सबसे निबटने के बाद फाइल को एडीएम के समक्ष पेश किया जाता है। यहां महीनों फाइल अटकी रहती है और अगर यहां से भी फाइल किसी तरह पास हो गई तो फिर अंत में कलेक्टर के पास फाइल जाती है। कुल मिलाकर इस सारी प्रक्रिया में महीनों लग जाते हैं। इसी का नतीजा है कि शिवपुरी नगर पालिका में इन दिनों सैकड़ों आवेदन अटके पड़े हैं और लोगों के नामांतरण नहीं हो रहे। ऐसी स्थिति में उन परिवारों की मुश्किल बढ़ गई है जिनके यहां किसी की मौत हो गई और अब संपत्ति में बदलाव किया जाना है या फिर बैंक की प्रोसेस में नामान्तरण की जरूरत है। किसी को लोन चाहिए तो किसी को अन्य कामों में नामंतरण अनिवार्य रूप से लगता है लेकिन नगरपालिका की हीला हवाली के चलते नामांतरण प्रक्रिया मजाक बनकर रह गई है। इस तरफ गंभीर विषय यह है कि नगर पालिका के प्रशासक कलेक्टर अक्षय सिंह के होते हुए भी नामंतरण समय पर नहीं हो पा रहे। प्रदेश में एक विंडो और ऑनलाइन नगरीय प्रशासन के काम किए जाने के दावे शिवपुरी में औंधे मुँह नजर आते हैं। यहां नगर पालिका में लोगों को चक्कर पर चक्कर लगाने के बावजूद भी नामंतरण जैसी सरल प्रक्रिया के लिए महीनों इंतजार करना पड़ रहा है। जबकि इसी नामंतरण के लिए ग्वालियर में सरल प्रोसेस अपनाया जाता है। जिसमें किसी अखबार में संबंधित प्रक्रिया के लिए विज्ञप्ति का प्रकाशन होता है। 1 महीने की आपत्ति का समय दिया जाता है। यदि किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं आती तो 1 महीने में नगर निगम ग्वालियर नामंतरण कर देता है। लोगों का कहना है कि ठीक इसी तरह की प्रक्रिया शिवपुरी नगर पालिका में भी अपनाई जानी चाहिए।
एडीएम की शर्त से बड़ी परेशानी
नामान्तरण के लिये जब फ़ाइल एडीएम कार्यालय पहुंचती है तो वहां एक शर्त है कि जिस भूमि, भवन का नामान्तरण होना है उसके कालोनाइजर की अनुमति जरूरी है। यह नियम नव विकसित कॉलोनी, भूमि, भवन के लिये फिर भी समझ आता है लेकिन जिनके पैतृक, पुराने भवन, कॉलोनी हैं और पहले से नामान्तरण भी हैं उनके नामान्तरण पर यह नियम बेकार की सजा है। अमूमन जितनी फ़ाइल एडीएम के यहां रुकी हैं उनमें ओल्ड हाउस भूमि भवन के ही मामले हैं। 
करीब 1 हजार फ़ाइल फसी
कुलमिलाकर ऑनलाइन नामान्तरण प्रक्रिया के बाबजूद एक हजार फ़ाइल भवर में फसी हुई हैं। 150 एडीएम के कार्यालय, इतनी ही सीएमओ के पास और इतनी ही बाबुओं के पास जबकि नई फाइलें अभी तैयार नहीं कि जा रही इसलिये की पुराने नामान्तरण हों तब नये किये जायें। 
जागरूक एडवोकेट राजीव शर्मा ने भेजा रिमाइंडर 
शहर के जागरूक ख्यातिनाम एडवोकेट राजीव शर्मा ने दिसंबर महीने में कलेक्टर अक्षय सिंह को आमंत्रण प्रक्रिया की तरफ ध्यान देने और इस प्रक्रिया को सरल बनाने का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा था लेकिन इस बीच कोरोनावायरस आ गया शायद जिससे उस पत्र पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसके बाद अब एडवोकेट राजीव शर्मा ने कलेक्टर अक्षय सिंह को एक रिमाइंडर भेजा है जिसमें उन्होंने नामांतरण की प्रक्रिया को जल्द सुधारने की अपील की है। उन्होंने इस संबंध में प्रदेश की कद्दावर मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया को भी अवगत कराया है। उन्हें बताया है कि नगर के सभी तरह के वर्ग के लोग नामंतरण न होने से परेशानी भुगत रहे हैं। इस प्रक्रिया में जल्द सुधार करने का अनुरोध किया गया है।

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