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बच्चों को बताए किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधान

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

/ by Vipin Shukla Mama
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिवपुरी
शिवपुरी। किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानो से आज बच्चों को अवगत कराया गया। आज दिनांक 8 फरवरी 2022 को माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमान विनोद कुमार के मार्गदर्शन में एवं श्रीमती अर्चना सिंह माननीय जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में शांतिनिकेतन स्कूल तहसील पोहरी वर्चुअल माध्यम से कानूनी साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें श्रीमती अर्चना सिंह द्वारा सर्वप्रथम विद्यालय में उपस्थित कुछ ऐसे छात्र जो कि मास्क नहीं पहने हुए थे उन्हें कहा गया कि यह भी हमारा एक मौलिक कर्तव्य है कि कोरोना जैसी महामारी के चलते स्वयं अपनी एवं दूसरों के बचाव हेतु मास्क पहनना बहुत आवश्यक है। छात्रों को किशोर न्याय अधिनियम के संबंध में जानकारी देते हुए उनके द्वारा कहा गया कि वर्तमान समय में इंटरनेट का प्रयोग बढ़ने से बालिकाओं के साथ-साथ बालकों के विरुद्ध भी लैंगिक अपराधों में बढ़ोतरी हुई है जिस कारण बच्चों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए पोक्सो एक्ट के अंतर्गत अलग से कोर्ट स्थापित किए गए हैं जोकि चाइल्ड फ्रेंडली होते हैं इसी के साथ साथ यदि बालकों से कोई अपराध हो जाता है तो उनके लिए भी विचारण करने हेतु अलग से न्यायालय स्थापित किए गए हैं जिन्हें किशोर न्याय बोर्ड कहा जाता है जब बालक को बोर्ड के समक्ष ले जाया जाता है तो बालक के द्वारा किए गए अपचार के पीछे की परिस्थितियां, उसकी परवरिश एवं पारिवारिक वातावरण पर भी विचार किया जाता है,एवं उन्हें दंडित न किया जाकर उन्हें सुधार गृह भेजा जाता है जहां उनका सर्वांगीण विकास हो सके एवं अपराध की परिस्थितियों से छुटकारा मिल सके। इसके अलावा कुछ किशोरों को वृद्धजनों की सेवा करने एवं लोगों से ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करवाने संबंधी कार्यकलापों से भी जोड़ा जाता है ताकि वह अपने आप में सुधार ला सकें। इसलिए आवश्यक है कि सभी बच्चे विशेष तौर पर सावधानी बरतें ताकि किसी भी परिस्थिति में ना तो वे स्वयं अपराध में संलिप्त हो और ना ही कोई और उनके विरुद्ध अपराध कारित कर सके। नशे के संबंध में जानकारी देते हुए उनके द्वारा बताया गया कि नशा बच्चों के भविष्य को पूरी तरह बर्बाद कर देता है इसलिए बच्चों को ऐसी संगत से बचना चाहिए जो उन्हें नशा इत्यादि की सलाह देते हों, क्योंकि जब बच्चा नशे का आदी हो जाता है तो नशा करने के लिए वह चोरी जैसे अपराध भी करने लगता है, इस प्रकार नशा मनुष्य के स्वास्थ्य को नुकसान तो पहुंचाता ही है बल्कि सामाजिक स्तर भी घटाता है।
शिविर के दौरान श्रीमती शिखा शर्मा जिला विधिक सहायता अधिकारी द्वारा बच्चों को बताया गया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा द्वारा बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाओं से संबंधित स्कीम चलाई जा रही है जिसका उद्देश्य बच्चों को कानूनी तौर पर साक्षर बनाना तथा सरकार द्वारा बालकों के हितार्थ चलाई जा रही योजनाओं से अवगत कराना है तथा यह भी सुनिश्चित करना है कि उक्त योजनाओं का लाभ बालकों को मिल रहा है या नहीं।संविधान के अनुच्छेद 21 में अन्य व्यक्तियों के साथ साथ बच्चों को भी गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिया गया है जिसके अंतर्गत सबसे सार्वजनिक जगहों पर चाइल्ड फ्रेंडली यूनिट लगाए जाने का प्रावधान किया गया है जिस के क्रम में बालमित्र न्यायालय, बालमित्र पुलिस थाने आदि स्थापित किए जा रहे हैं। इसी के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है जिसके अंतर्गत प्रत्येक गांव में माध्यमिक विद्यालय खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है एवं 2 किलोमीटर की दूरी पर हाई स्कूल बनाए जाने का भी प्रावधान है ताकि बच्चों को उनकी पढ़ाई के लिए ज्यादा दूर ना जाना पड़े। इसी के साथ-साथ सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों के लिए निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ मध्यान्ह भोजन का भी प्रावधान किया गया है ताकि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ पौष्टिक आहार भी एक छत के नीचे मिल सके। बच्चे इसका लाभ ले भी रहे हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत प्राइवेट स्कूलों में भी 25% आरक्षण का प्रावधान किया गया है ताकि प्रतिभाशाली छात्र छात्राएं केवल आर्थिक स्थिति से मजबूर होने के कारण गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त करने से वंचित ना हो। इसी के साथ साथ वालों को को मौलिक अधिकार एवं कर्तव्यों की भी जानकारी दी गई।

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