दोषी पाया था और मामला कोर्ट में था आज उस मामले में कॉन्स्टेबल को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। जबकि उसके भाई को भी जमानत का लाभ मिल गया है। साल 2012 में शिवपुरी में पदस्थ आरक्षक अनिल भदौरिया ने अपने भाई सुनील भदौरिया को कॉन्स्टेबल बनाने के लिए फर्जी परीक्षार्थी बनकर परीक्षा दी थी। लेकिन परीक्षा के दौरान फोटो व हस्ताक्षर में अंतर होने से अनिल को पर्यवेक्षक ने पकड़ लिया था। तब सख्त पूछताछ करने पर उसने राज खोल दिया कि वह अपने भाई के स्थान पर परीक्षा देने ग्वालियर आया है। जबकि उसकी तैनाती शिवपुरी में कांस्टेबल के रूप में थी। इस मामले में दोनों भाइयों के खिलाफ परीक्षा अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत पुलिस ने मामला दर्ज किया था। एसआईटी की जांच के बाद इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया था। बाद में सीबीआई ने दोनों भाइयों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किया था। दोनों को विशेष कोर्ट ने पिछले साल पांच साल की सजा सुनाई थी दोनों पर अर्थदंड भी लगाया गया था। अपनी सजा के खिलाफ अनिल भदौरिया और सुनील भदौरिया ने अपने अधिवक्ता दीपेंद्र कुशवाहा के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें आरक्षक भर्ती परीक्षा के दोषी भाइयों ने बताया था कि वह पिछले डेढ़ साल से जेल में बंद हैं इसलिए उन्हें जमानत का लाभ दिया जाए हाई कोर्ट ने दोनों भाइयों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए आखिरकार उन दोनों को जमानत का लाभ दे दिया है।

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