Responsive Ad Slot

Latest

latest

उदभव साहित्यिक मंच की तृतीय साहित्यिक गोष्ठी सम्पन्न

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

/ by Vipin Shukla Mama
ग्वालियर। उदभव साहित्यिक  मंच की गोष्ठी संस्था के अध्यक्ष डाक्टर केशव पाण्डे की अध्यक्षता में दिनाँक 15/04/2022  को 
सम्पन्न हुई। इस अवसर पर अतुल अजनबी विशेष रूप से उपस्थित थे। सर्वप्रथम अथितियों द्वारा माँ सरस्वती का माल्यार्पण कर गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। श्री जगदीश गुप्त द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। तत्पश्चात संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर केशव पांडे एवं सचिव दीपक तोमर ने शायर अतुल अजनबी का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया| अपने उद्बोधन में डॉक्टर केशव पांडे ने साहित्यिक मंच के आगामी कार्यक्रमों के बारे में प्रकाश डाला। इसके उपरांत गोष्ठी का प्रारम्भ करते हुए नयन किशोर " धरती गरम आसमाँ गरम, उमस भरा महीना रे
मेघा अबकी झूमके बरसो
मुश्किल होने जीना रे"
सुरेन्द्र सिंह परिहार ने कुछ इस तरह  प्रस्तुत किया "ओ राम लला मेरे प्रभू तुम कब आओगे,
मुझको कब मिल पाओगे"
आलोक शर्मा ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा " अपनी जिद्द पर आज भी है हम अड़े हुए, 
आँधी मैं भी जलता दिया लेकर खड़े हुए"
 किंकर पाल सिंह जादोन ने पढ़ा " ये कैसे उजाले हैं किरणों के लिये तरसे, 
वनवास मिले ऐसे मिलों के लिए तरसे"
 जगदीश गुप्त का आलेख  इस प्रकार था "देखना खुद की नजर से आ गया तो देखना, 
हर नजर चाहेगी फिर तेरी नजर से  देखना "
अनंगपाल सिंह भदौरिया ने पढ़ा " "झड़ गए सब पांत पीले कोपलें,
आगमन नव वर्ष का बतला रहीं,
अब जाने कहां ठिठुरे भी गई ,
देखकर नव वर्ष शोक मना रहीं"
प्रदीप  पुष्पेंद्र ने कुछ इस तरह कहा " ये घुटन ये दूरियाँ मजबूरियां रे,
बस मुझे तन्हाइयाॅ तुमसे मिली हैं "
-शायर अतुल अजनबी ने कुछ इस प्रकार पढ़ा " तुम्हारी बज्म में संजीदगी ज्यादा है,
चिराग कम हैं यहां रोशनी ज्यादा है"
गोष्ठी का समापन प्रोफेसर अवधेश चांसोलिया ने अपनी रचना से कुछ इस तरह किया "  धूप कुछ अच्छी लगी है, 
गीत गुनगुनाने लगी है, 
कान मैं मधु घोलती है,
नेह के रस में पगी है"
 गोष्ठी का संचालन सुरेन्द्रपाल सिंह कुशवाहा एवं आभार संस्था के सचिव श्री दीपक तोमर ने किया। उक्त अवसर पर श्रीमती रजनी तोमर, शुभाषेन्दु श्रीवास्तव विषेश रूप से उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129