शिवपुरी। बीमार या रोगी के स्वास्थ्य के लिए एक डॉक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन हेल्थ सेक्टर में डॉक्टर के साथ ही नर्स भी अहम रोल निभाती हैं। कोरोना काल में डॉक्टर और नर्स कोरोना वॉरियर्स या योद्धा कहलाएं। उस दौरान डॉक्टरों से साथ ही नर्सेस ने दिन रात लोगों की सेवा की। उनकी इसी सेवाभाव को सम्मान देने के लिए शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा अपने बाण गंगा मंदिर परिसर में सम्मान प्रोग्राम आयोजित किया प्रोग्राम समन्वयक रवि गोयल ने बताया की सालों से हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन को नर्सों के योगदान और सम्मान के प्रति समर्पित किया गया है। कोरोना काल में नर्स की भूमिका को लोगों ने समझ लिया लेकिन नर्स दिवस को मनाने की शुरुआत दशकों पहले हो चुकी है। आखिर किस नर्स की सेवा भाव को लोगों ने नोटिस किया और इस दिन को समर्पित कर दिया।अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1974 जनवरी से हुई थी। यह दिन आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को समर्पित है। उनकी याद में ही 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है। हर साल 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है। इसका कारण फ्लोरेंस नाइटिंगेल हैं, जिनका जन्म 12 मई के दिन हुआ था। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ही नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत की थी।फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। उन्होंने जिंदगी भर बीमार और रोगियों की सेवा की। फ्लोरेंस का खुद का बचपन बीमारी और शारीरिक कमजोरी में बीता। उन दिनों स्वास्थ्य संबंधी कई सुविधाओं की कमी ती। बिजली उपकरण नहीं थे। हाथों में लालटेन लेकर अस्पताल में स्वास्थ्य गतिविधियां की जाती थीं। फ्लोरेंस को अपने मरीजों की हमेशा फिक्र रहती थी। उनकी देखभाल के लिए फ्लोरेंस रात में भी अस्पताल में घूम कर चेक करती कि किसी रोगी को कोई जरूरत तो नहीं है। गरीब, बीमार और दुखियों के लिए वह कार्य करती थीं। उनकी नर्सिंग सेवा ने समाज में नर्सों को सम्मानजनक स्थान दिलाया। ऐसे ही हमारे शिवपुरी शहरी अति पिछड़े बस्ती में टीकाकरण कार्य में लगी सिस्टर रेखा रजक को सम्मानित करके ये दिवस मनाया आजकल सिस्टर फ्लोरेंस जैसे महान सिस्टर तो नही मिलती लेकिन उनके जैसा अनुसरण करने वाली सिस्टर रेखा चौहान जो अपने एरिया के एक।भी बच्चे को टीका से वंचित नहीं रखती इसीलिए हमने उनको ये सम्मान दिया साथ ही इस दिन सिस्टर के कंधों से कंधा मिलाकर कार्य करने वाली सुपोषण सखी कमलेश, नर्मदा, कमला एवम विमला बाई जाटव को पौधा एवम प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

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