कोलारस। पुराणों में रामचरितमानस की पंक्तियां जहां महामंत्र हैं वहीं श्रीमद्भागवत ग्रंथ ही नहीं बल्कि पथ प्रदर्शक और जीवन में लौकिकता प्रदान करने वाला है। श्रीकृष्ण की लीलाओं व भागवत कथा के स्मरण मात्र से ही समस्त पापों का समूल नष्ट हो जाता है। वहीं जीवन में किए गए कार्यों का पुण्य फल प्राप्त होता है। ये विचार हैं प्रसिद्ध कथा व्यास पं. लक्ष्मी नारायण शास्त्री ने कोलारस तहसील के ग्राम चिलावद में हनुमान जी के मंदिर पर पचौरी परिवार द्वारा दिनाँक 29 से 05 जून तक आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रवचन के दौरान व्यक्त किये, शास्त्री जी ने कहा कि मानव केवल भगवान का स्मरण करता रहे तो जीवन आनंदमयी होकर कई पीढियों में आने वाले संकट को टाल सकता है। कलियुग का मानव लोभ, लालच व तृष्णा से भरकर एक- दूसरे की बुराई व जीवों की हत्या कर रहा है जो मानव को विनाश की तरफ ले जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब- जब धर्म की हानि होती है तो धरती पर भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर अधर्मियों से प्राणी की रक्षा करते हैं तो प्राणी तू भी भगवान का स्मरण कर। महाराज ने कहा कि भगवत भक्ति करने वाले से भगवान प्रसन्न होते हैं पर अभिमानी पुरुष को कुछ नहीं मिलता। पढ़े लिखे लोग तो भगवान पर भी बहस करने लगे हैं पर कम पढ़े लिखे लोग भगवान को पत्थर मानकर पूजते हैं व जीवन में लौकिकता भर लेते हैं।आजकल के परिवेश में पति पत्नी के बीच कलह के बड़ते मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि जिन घरों में दंपति कलह होता है उन घरों से लक्ष्मी सदैव दूर रहती है जबकि मिलकर एक दूसरे का सम्मान करने वाले दंपत्ति पर लक्ष्मी की कृपा बरसती है, कथा का आयोजन ग्राम चिलावद के श्री बृजमोहन, कैलाश चंद्र, महेश कुमार, प्रमोद कुमार पचौरी परिवार द्वारा कराया जा रहा है, श्रीमद्भागवत का मूल पाठ पं.श्री केशव जी कौशिक, गीता जी का पाठ पं कपिल तिवारी, संकीर्तन श्री विवेक तिवारी जी द्वारा किया जा रहा है,

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