इन पर गिरी हार की गाज
प्रमुख रूप से बात की जाए तो भाजपा की आंखों की किरकिरी बने हुए पूर्व उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा की पत्नी बबीता शर्मा चुनाव हार गईं। हालाकि अन्नी के जिला बदर होने और छोटे भाई देवेंद्र लल्लू की पत्नी अंजलि के दूसरे वार्ड से मैदान में उतरने से यह दो घोड़ों का दाव भी उन पर उल्टा पड़ गया। जिससे बीते कई बार से अन्नी के सामने दाव आजमा रहे गोपी शर्मा इस बार पताका फहराने में कामयाब रहे। ये जीत भाजपा के कैंप के लिए उसकी खुद की विजय से अधिक खुशी वाली है।
तंबाकू बाबा हारे
इधर दूसरे दिग्गज APS चौहान जिन्होंने एक समय एनएसयूआई के अध्यक्ष पद पर कई सालों तक काबिज रहकर एक तरफा राज किया। फिर नपा में उपाध्यक्ष भी रहे। इस बार डिंपल जैन के खिलाफ चल रही आंधी में भी वार्ड 9 से कमल को खिलने से रोक नहीं पाए। भाजपा ने इस हार पर भी ठंडी सांस ली है।
आमने सामने की टक्कर में निपटे रामू
इधर पूर्व उपाध्यक्ष नपा रामसिंह यादव ने भी तीन दफा के पार्षद विनीत रामू गुर्जर को अपने वार्ड 20 में मात दे डाली। इस वार्ड में कांग्रेस का कोई प्रत्याशी तो छोड़िए इन दोनों का ही आमने सामने का मुकाबला रहा। रामसिंह और रामू दोनों ने ही पूरा जोर लगाया लेकिन बाजी रामसिंह यादव के खाते में गई।
पंडित जी को घर से मिली टक्कर
इधर वार्ड 15 से भाजपा के अरुण पंडित भी चुनाव हारे हैं। उन्हें घर यानी भाजपा से ही निर्दलीय टक्कर मिली थी, जिसका नुकसान हार के रूप में सामने आया।
व्यवहार भी पड़ा भारी
इस बार वोटर फुल मूड में दिखाई दिए। उन्होंने दल के अलावा व्यक्तिगत व्यवहार को भी महत्व दिया। बात बड़ी इसलिए है की भाजपा के जिलाध्यक्ष राजू बाथम जिन्होंने कूल रहकर नगर के टिकिट बांटे खुद मात खा गए और व्यवहारिक निर्दलीय मट्टू खटीक उनके वार्ड से चुनाव जीत गए।
यही हाल वार्ड 1 का भी कहा जा सकता हैं। भाजपा के अमरदीप शर्मा जो मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया से लेकर उद्योग पति अरविंद दीवान की पसंद हैं। उन्होंने वार्ड में लगातार सक्रिय कांग्रेस की भावना पाल के पति राजकुमार पाल को अपनी व्यक्तिगत छवि के बूते पर मात दे डाली। राजकुमार सीधे मुकाबले में भी नहीं थे निर्दलीय से अमरदीप की भिड़ंत हुई।
बात एक पत्रकार और व्यवहारिक इंसान की हो तो विजय बिंदास ने भी लोगों का विश्वास जीता। जनता ने उनका चुनाव लडा। बड़े अंतर से विजय का बिगुल बिंदास ने फूंका हैं।
एक और प्रत्याशी हैं महेंद्र यानि MD गुर्जर जिन्होंने जनता के दिलों को जीतकर झंडा फहराया। उनके वार्ड में मतदान से पहले निकली विशाल रैली ने उनकी जीत की झलक दिखला दी थी।
यही बड़ी रैली रवीना इस्माइल खान की भी उनके वार्ड 33 में निकली थी। जिसने जीत की झलक दे दी थी, उनके सामने पूर्व भाजपा पार्षद और इस बार निर्दलीय ताल ठोक बैठे रामश्री मथुरा प्रजापति को करारी हार झेलनी पड़ी। रवीना सबसे ज्यादा वोटों से जीती।
पुराने दिग्गजों को चखना पड़ा हार का स्वाद
इधर नपा के पूर्व अध्यक्ष गणेशीलाल जैन को भी इस चुनाव ने दर्द दे दिया। वृद्धावस्था के चलते अब सक्रिय राजनीति से दूर हो चले जैन की सुपुत्री और महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष इंदु जैन को वार्ड 7 से जनादेश नहीं मिला। जनता ने काम को वजन दिया। भाजपा से ओबीसी के चक्कर में सामान्य वार्ड से ठुकराए गए अरविंद ठाकुर जनता की पहली पसंद बने। उन्होंने वार्ड का दामन बीते दो साल से थाम रखा हैं। जनता को पानी से लेकर हर तरह की मदद करने के चलते उन्हें निर्दलीय विजय मिली। हालाकि एक समय गणेशीलाल जैन जो की नपा चुनाव हों या मंगलम या फिर नागरिक बैंक उनकी रणनीति सभी के छक्के छुड़ा दिया करती थी। उनका नाम स्वर्गीय सेठ सांवलदास गुप्ता, सोहनमल सांखला, इंद्र प्रकाश गांधी जेसे बड़े नामों में शामिल होता रहा।
हार गए काका जीत गए राजू
एक और बड़ा झटका इस बार पुराने दिग्गज पूर्व उपाध्यक्ष पदम चोकसे को लगा हैं। उन्हें पूर्व पार्षद राजू गुर्जर ने हरा दिया। काका द ग्रेट सिंधिया कैंप से आते हैं। इस बार दल बदल कर भाजपा से मैदान में उतरे अल्पसंख्यक वोटर की अधिकता वाले वार्ड में यह बात भी शुरू से उनके खिलाफ रही। उन्हें एहसास भी हुआ की व्यक्तिगत व्यवहार पर पार्टी का टिकिट भारी पड़ रहा है और अंत में चुनाव हार गए। इधर गुगल बॉय की तरह नपा के बायलॉज को मौखिक याद रखने वाले राजू गुर्जर चुनाव जीते। काका तीसरे नंबर पर रहे।
डॉक्टर सुखदेव गौतम की फील्डिंग से सास शशि ने निपटाया वंदना को तो बहु मोनिका ने स्वेता को
नगर के दो वार्डों में नगर के ख्यातिनाम डॉक्टर सुखदेव गौतम की फील्डिंग से दो महारथी चुनाव हार गए। दोनों हारे प्रत्याशियों की बेहतरीन छवि, मृदुल व्यवहार, समाज हित में किए गए कार्य कोई काम नहीं आ सके। माइनस की बात करें तो दोनों ही हारे प्रत्याशी दूसरे वार्ड में आकर ताल ठोक बैठे थे। इधर जब पूर्व विधायक गणेश गौतम खानदान के माहिर डॉक्टर सुखदेव गोतम ने फील्डिंग जमाई तो रिजल्ट विजय में तब्दील हो गए। बता दें की वार्ड 6 से नगर सेठ तरुण अग्रवाल की पत्नी स्वेता अग्रवाल को मोनिका बिरथरे ने पटखनी दी हैं। भाजपा से टिकिट न मिलने के बाद पूरी दम से चुनाव लडे तरुण को हर वर्ग का समर्थन मिला लेकिन विजय दगा दे गई। दूसरी तरफ मोनिका की सास शशि शर्मा ने पत्रकार अशोक अग्रवाल की पत्नी वंदना को शिकस्त दे दी। अशोक के पास वादे नहीं बल्कि हरियाली की चादर ओढ़े नगर का पूर्ण विकसित पटेल पार्क था। वह भी विजय का पर्यावरण वाला माहोल नहीं बना सका। दूसरी तरफ पिछले चुनाव में बेहद कम अंतर से हारी शशि मनीष शर्मा का वार्ड में शालीन व्यवहार। ब्यूटी पार्लर से गरीब कन्याओं को बीते कई साल से निशुल्क प्रशिक्षण देना। वार्ड की महिला शक्ति के दिलों में जगह बनाना उनकी विजय का प्रमुख कारण बताया जा रहा हैं।
बता दें की शशि और मोनिका आपस में रिश्तेदार हैं और डॉक्टर गोतम के खानदान से हैं।
ओमी जैन ने निपटा डाले कई सेठ
एक समय के भाजपा के चुनिंदा लड़ाकों में से एक विनोद गर्ग तोडू के हम सफर ओमी जैन ने नगर के कई सेठों को चटनी चटवा डाली। सिद्धेश्वर मंदिर ट्रस्ट से जुड़े गुड्डे जिन्होंने एक बड़े नेता का नाम लेकर चुनाव लड़ा, सेठ उमेश गोयल, नपा के कॉन्ट्रेक्ट रोहित मंगल सहित कांग्रेस के प्रत्याशी को ओमी ने पटखनी दे डाली।
निर्दलीय बने जनता की पसंद
कई वार्डों में प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस भले ही जीते हैं लेकिन निकटतम प्रत्याशी निर्दलीय हैं। इनमें बगावत पर उतरे नेताओं के अलावा कुछ एकदम नए चेहरे भी शामिल हैं। यही वजह हैं की 7 निर्दलीय जीतकर आए और कुछ बाल बाल जीतते रह गए।
सिर्फ बातों से नहीं चलेगा काम, कीजिए काम वर्ना छुट्टी
कुलमिलाकर जनता का संदेश हैं की जो काम करेगा वही चलेगा। जो सिर्फ बाते करेगा उसे आइना दिखाया जायेगा। नगर की बदहाल सूरत किसी से छुपी नहीं हैं। जिस तरफ देखिए नगर में काम ही काम होना हैं। नपा, लोनिवि, पी एच ई तीनों का कोई समन्वय नहीं हैं। अपने काम के लिए तीनों कहीं भी खुदाई कर लेते हैं। जनता रोती रहती हैं ऐसे में पार्षद को अब रोल मॉडल बनकर काम करना होगा। तभी अगली बार विजय का स्वाद चखने मिलेगा वर्ना जनता इस बार की तरह कई दिग्गजों को घर बैठा देगी।

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