इसी को देखते हुए चुनावी साल में ये कर्मचारी मुखर हो गए हैं। पिछले साल भी ये राजधानी में जुटे थे, तब चिनार पार्क से इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस बार भी आउट सोर्स कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें नीलम पार्क, चिनार पार्क या पॉलिटेक्निक चौराहे पर जुटने की मंजूरी दी जाए, लेकिन अभी तक कोई स्वीकृति नहीं दी गई है।
ये हैं मांग जिनको लेकर जुट रहे
आउट सोर्स कर्मचारी जिन मांगों को लेकर जुट रहे हैं उनमें निम्न मांगे शामिल हैं।
*ठेका आउटसोर्सिंग प्रथा बंद की जाए।.
*समान कार्य समान वेतन,
* निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों को 5 से 10 साल हो गए। कुछ ओवरएज हो गए। इसलिए नियमित किया जाए।
* बिना वजह कॉर्पोरेशन से नहीं निकाला जाए।
* पूरी नौकरी के बाद रिटायर्ड लोगों को भी दोबारा आउटसोर्स के जरिए कॉर्पोरेशन में रखा जा रहा है। यह गलत है।
* चिकित्सा सुविधा, सार्वजनिक अवकाश ग्रेच्युटी, अनुकंपा नियुक्ति जैसी सुविधाएं मिलें।
नेता बोले, हमारा पूरा समर्थन
आउटसोर्स, अस्थायी एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। आउटसोर्स में काम करने वालों को 5 से 10 हजार रुपए मिल रहे हैं, जबकि एजेंसियां 12 से 15 हजार रुपए प्रति कर्मचारी सरकार से ले रही हैं। युवा आउटसोर्सिंग सामाजिक कल्याण समिति और सिविल सप्लाई कार्पोरेशन आउटसोर्स कर्मचारी संघ का भी आंदोलन को समर्थन है।

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