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"बच्चों में भोजन की आदत न डालना बन रहा एनीमिया का कारण, शरीर में हो रही विटीमिन डी की कमी"

शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
रिंकी आदिवासी मानपुर सुपोषण सखी ने कहा
शिवपुरी। दौड़भाग भरी जिंदगी में लोग हर काम जल्दी व आसानी से चाहते हैं। ऐसे में अधिकतर लोग अपने बच्चे को बैठाकर खाना खिलाने का समय नहीं निकाल पाते हैं। इसकी वजह से कई बच्चे छह माह के होने बाद भी पाउडर या फिर दूध के भरोसे रहते हैं। बच्चों में अक्सर यह शिकायत देखने को मिलती है कि वह कुछ खाते नहीं। इसकी वजह से उनका सही से शारीरिक विकास नहीं हो पाता है  अलग-अलग उम्र में इसके अलग-अलग कारण होते हैं। वहीं, सुपोषण सखी रिंकी एवम पोषण आहार सलाहकार पूजा शर्मा की मानें तो छह माह बाद बच्चे को भोजन कराना जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर वह एनीमिया का शिकार हो जाते हैं। इसी के मद्देनजर शक्ती शाली महिला संगठन, ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन एवम महिला बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से ग्राम मानपुर , जमोनिया, तिघरा, गहलोनी, कुंवरपुर, माड़नखेड़ी गांव में न्यूट्रीशन चैंपियन एवम बच्चो के साथ उचित खानपान एवम अनीमिया पर खेल खेल में जागरूकता कार्यक्रम चलाया पोषण सलाहकार के मुताबिक बच्च्चों को छह माह पूरे होने के बाद धीरे-धीरे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए। दलिया, खीर, हलवा, दाल आदि से इसकी शुरुआत करनी चाहिए। बच्चे को कभी भी खाना जोर-जबरदस्ती से या मार-पीटकर नहीं खिलाना चाहिए। ऐसा करने से आपका लाडला खाने से और दूर भागेगा।
प्रोग्राम में सामाजिक कार्यकर्ता करण ने  एनीमिया के लक्षण में बताया की 1-बच्चों की त्वचा पीला पड़ना। 2-सुस्ती और कमजोरी होना। 3-भूख कम लगना या खाने में आनाकानी करना। 4-बच्चे का चिड़चिड़ा होना। 6-सांस लेने में परेशानी होना। 7-दिल की धड़कन तेज होना। 8-शरीर में सूजन।
9-सिर, लंबाई और वजन सामान्य रूप से न बढ़ना बच्चों में एनीमिया को रोकने के लिए हमको हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ साथ सरकार द्वारा आयरन फोलिक एसिड की गोलियां का साप्ताहिक सेवन स्कूल एवम आंगनवाड़ी में नियमित करना चाहिए । प्रोग्राम में न्यूट्रीशन चैंपियन सोनम और ललिता आदिवासी द्वारा मानपुर स्कूल की किशोरी बालिकाओं का हर माह  वजन  और ऊंचाई की जा रही है इसके साथ-साथ में उनको बीएमआई चार्ट के माध्यम से एनीमिया के बारे में जागरूक किया जा रहा है सुपोषण सखी लक्ष्मी आदिवासी ने कहा की किशोरी बालिकाओं में समय रहते अगर एनीमिया पर ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर वह एक स्वस्थ मां जो की एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके वह नहीं बन पाएगी इसलिए किशोरी बालिकाओं को एनीमिया से बचाव के लिए जो  जानकारी दी जा रही है उसका पालन अवश्य करें और समुदाय को एनीमिया बनाने में सभी सहयोग करें। प्रोग्राम में शक्तिशाली महिला संगठन की टीम के साथ-साथ सुपोषण सखी न्यूट्रीशन चैंपियन ,गांव की किशोरी बालिकाएं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं ,आशा कार्यकर्ता एवं समुदाय की महिलाओं ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।










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