शिवपुरी। माननीय प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय ने भरण पोषण का परिवाद निरस्त कर दिया हैं। संक्षेप में मामला इस प्रकार है कि आवेदिका का विवाह अनावेदक के साथ सन् 2020 को हुआ था आवेदिका के अनुसार विवाह में उसके माता-पिता ने 22000 नगद और दान दहेज का सामान दिया था शादी के बाद अनावेदक ने एक दो वर्ष ठीक रख उसके बाद ₹1लाख मांगते थे नहीं देने पर मारपीट करते थे इस तरह आवेदिका को दिनांक 20 फरवरी सन 2023 को मारपीट करके अपने घर से भगा दिया तब उसने अनावेदक के विरुद्ध भरण पोषण का दावा पेश किया और अनावेदक को किराने की दुकान से एवं 20 बीघा भूमि पर खेती करके लगभग ₹50000 /-रुपए महीने की आय बताई और स्वयं के लिए ₹10000/- रुपए महीना दिलाए जाने का निवेदन किया ।
दोनों की साक्ष्य उपरांत माननीय न्यायालय द्वारा अपने आदेश में आवेदिका का अलग रहने का कोई पर्याप्त कारण नहीं माना एवं अपनी मर्जी से अपने मायके रहना आवेदिका का स्वयं के भरण पोषण में सक्षम होना मानकर आवेदिका द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र निरस्त कर दिया। अनावेदक की ओर से मामले की पैरवी एडवोकेट रीतेश निगम एवं सुरभि सांखला ने की।

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