शिवपुरी। भारत मे लंबे समय तक साहित्य के माध्यम से खलनायकों को नायक और नायकों को खलनायकों के रूप में प्रस्तुत किया गया,अर्थात सत्य से दूर किया गया,जिसकी वजह से भारतीय संस्कृति मूलभूत तत्वों को समझने में दिक्कतें हुई,और उसके कारण तमाम विकृतियों ने जन्म लिया।उक्त उदगार गुरुकुल रोझड से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत शर्मा ने मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग से सम्बद्ध साहित्य अकादमी के श्रीकृष्ण सरल व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में विचार प्रकट किए।आचार्य प्रशान्त शर्मा ने आगे कहा कि श्रीकृष्ण सरल के साहित्य से वास्तविक तथ्यों के दर्शन होते है,गौरवशाली ,समृद्ध व त्याग से परिपूर्ण देशभक्त समाज के दर्शन होते है,योजनाबद्ध तरीके से इस साहित्य को दूर रखकर किसी और के साथ नही बल्कि भारतीय दर्शन से ही समाज को दूर किया गया।महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा प्रस्तुत किया सत्यार्थ प्रकाश हो या वीर सावरकर द्वारा लिखित 1857 एक स्वातंत्र्य समर हो इसे पढ़कर,समझकर आत्मसात करके ही हम भावी पीढ़ी को बौद्धिक रूप से समृद्ध राष्ट्रभक्त रूप में देख सकते है।ऐसे कार्यक्रम का उद्देश्य भी यही होता है।मुख्य अतिथि रूप में बोलते हुए शिवपुरी विधायक देवेंद्र जैन ने कहा कि श्रीकृष्ण सरल जिनका शिवपुरी से भी गहरा नाता रहा,जिनके साहित्य से राष्ट्रभक्ति का संचार होता है,उनके जीवन चरित्र को प्रस्तुत करने युवाओं को खासकर उससे जोड़ने के लिए ऐसे कार्यक्रम अति आवश्यक है।
साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे ने कहा कि साहित्य अकादमी एक स्वस्थ परंपरा को स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है,साहित्य संस्कृति की समस्त विधाओं के लोगो को लेकर श्रीकृष्ण सरल जैसे महामानवों को स्मरण करना और उनके विचारों को जन जन तक पहुचाना यही अकादमी का मूल उद्देश्य मूल धर्म है।
ग्वालियर से आये साहित्य परिषद के प्रांत अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव ने कहा कि श्रीकृष्ण सरल ने क्यों साहित्य लिखने के लिए अपने पत्नी के गहने बेच दिए क्यों बच्चों के कपड़े बेच दिए,इसके पीछे क्या स्वार्थ था?उनकी पंक्तियों से वह स्वतः ही प्रकट होता है कि में अमर शहीदों का चारण उनके यश गाया करता हु,जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है में उसे चुकाया करता हु।ऐसे वास्तविक राष्ट्र भक्त साहित्यकारों को पढ़कर ही हम अपना व राष्ट्र का भला कर सकते है।
कार्यक्रम में शिवपुरी की कला साहित्य संस्कृति से जुड़ी हुई उल्लेखनीय कार्य करने वाली हस्तियों को सम्मानित भी किया गया।वंदना शिवहरे की प्रदर्शनी व अवनी राहुरीकर की रंगोली की सभी ने सराहना की।
कार्यक्रम भारतीय संस्कृति के अनुसार हवन से प्रारम्भ हुआ,समीर गांधी के द्वारा बोले गए वैदिक मंत्रों के साथ सभी साहित्यकारों ने आहुति प्रदान की तत्पश्चात कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक आशुतोष शर्मा ओज ने किया।द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसमे प्रदीप अवस्थी,आशीष पटेरिया पिछोर,सौरभ तिवारी करेरा,अंजली गुप्ता,बसंत श्रीवास्तव, श्याम शास्त्री ,मुकेश शर्मा बदरवास मीनाक्षी शर्मा,कल्पना सिनोरियाने कविता पाठ किया,काव्य गोष्ठी का संचालन शुभाष पाठक जिया ने किया।इससे पूर्व शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद अनुज की कृति तुम चंदन हम पानी का विमोचन भी किया गया।

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