ये है पूरा मामला
बता दें की राज्य सरकार ने 2018 में हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की थी। फिर 2019 में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए नियम बनाए और उसे लागू कर दिया। इसके पहले अनारक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम अंक 60 निर्धारित किए गए थे।
बाद में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए उसमें बदलाव कर 50 अंक कर दिए गए। इस परीक्षा के परिणाम के आधार पर कुछ नियुक्तियां कर दी गईं, लेकिन बहुत से पद खाली रह गए।
इसके बाद सरकार ने 2023 में नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी। ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 2018 के रिक्त पदों को पहले भरने के बाद 2023 की भर्ती प्रक्रिया कराने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रोक दी है। सरकार की ओर से दलील दी गई कि पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से प्रक्रिया बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। इधर सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बैंच में मध्य प्रदेश शासन की ओर से दो रिट अपील दायर की गई। शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल ने पक्ष रखा। उनके तर्कों को सुनकर हाईकोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा कि आप शासन के खिलाफ हैं या पक्ष में, क्योंकि आपके तर्क सरकार के हित के खिलाफ प्रतीत हो रहे हैं। तब उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के स्टे आदेश के कारण सरकार शिक्षकों की भर्ती नहीं कर पा रही है।
मई 2024 के आदेश को बनाया आधार हाईकोर्ट ने उक्त आदेश को रेखांकित करने के लिए कहा। इस पर एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा कि हाईकोर्ट में शासन ने शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाने की मौखिक अंडर टेकिंग दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने इस साल 27 मई को आदेश पारित करके शिक्षकों की आगामी भर्तियों को उक्त रिट अपीलों के निर्णयाधीन कर दिया। सुनवाई में हाईकोर्ट ने 27 मई के आदेश के तहत 2023-शिक्षक भर्ती करने का आदेश दिया है।
EWS आरक्षण लागू करने पर जताई नाराजगी
"एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया की सुनवाई करते हुए न्यायालय के संज्ञान में आया कि 2018 की शिक्षक भर्ती में मध्यप्रदेश शासन द्वारा EWS आरक्षण लागू किया गया है। न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जताते हुए पूछा कि जब पूरे देश में EWS आरक्षण 2019 में आया है तो 2018 की शिक्षक भर्ती में क्यों लागू किया? इसमें 2023 शिक्षक भर्ती का भी मामला शामिल था इसलिए फाइनल बहस के लिए अगला माह निर्धारित किया है।एक्सपर्ट के अनुसार, अब क्या करे सरकार
हाई कोर्ट ने 2023 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से रोक हटा दी है। यानी सरकार के पास अब दो विकल्प हैं या तो अंतिम सुनवाई होने तक इंतजार करे या नियुक्ति पत्र बांटना शुरू कर दे। नियुक्ति पत्र बांटने में सरकार को रिस्क लेना होगा, क्योंकि अंतिम फैसला अगर सरकार के खिलाफ आया तो नियुक्तियां निरस्त करनी होंगी और ऐसे में फिर मामला कोर्ट पहुंचेगा। सरकार के पास दूसरा रास्ता ये है कि वो अंतिम निर्णय तक इंतजार करे। ये रास्ता ज्यादा सेफ है। सरकार 2018 शिक्षक भर्ती मामले में पहले ही सवालों के घेरे में है इसलिए रिस्क लेना सरकार के लिए आसान नहीं है। आज कोर्ट ने जो आदेश दिया वो 2023 भर्ती की प्रक्रिया शुरू करा देगा लेकिन अंतिम सुनवाई के बाद ही अंतिम आदेश आएगा।

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