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#धमाका बड़ी खबर: लाखों भक्तों की आस्था के केंद्र प्राचीन मंशापूर्ण हनुमान मंदिर का सालों से खुला रास्ता बंद करने की साजिश, भू माफिया ने रेलवे की भूमि पर ही शुरू कर दिया निर्माण, भक्त बोले, मंदिर का रास्ता बंद हुआ तो कैसे जाएंगे मंदिर, कैसे होंगे आयोजन

मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
ऋषि शर्मा ऑन स्पॉट
शिवपुरी। शहर में भू माफिया किस कदर हावी है इसकी बानगी किसी से छुपी नहीं है। सरकार और जिला प्रशासन अवैध भूमि, प्लाट, कॉलोनी घोषित कर रोक लगाने का जाप भले ही करता रहे लेकिन शहर में खुलेआम अवैध ढंग से भूमि विक्रय का दौर जारी है तो कहीं सरकारी या रेलवे की भूमि पर कब्जे की कोशिश जारी है। इसी कड़ी में कुछ नामचीन भू माफिया ने शहर में लाखों भक्तों की आस्था के केंद्र प्राचीन मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के वर्षों से खुले रास्ते को बंद करने की तुक तान लगाते हुए निर्माण शुरू कर दिया है। जिससे लाखों भक्त आक्रोशित हैं और सड़कों पर उतरना शुरू हो गए हैं। आज सैकड़ों भक्त कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और जिला कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी को ज्ञापन सौंपा।
जिसमें मंदिर के रास्ते को सरकारी बताते हुए उसे खोले रखने की मांग की है।
मंशापूर्ण पुजारी पंडित अरुण कुमार शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सालों से जिस रास्ते से भक्त मंदिर आते हैं अब उसी को बंद करने की साजिश हो रही है। बिना सर्वे के कागजात को आधार मानकर रजिस्ट्री पर रजिस्ट्री होती जा रही हैं और मंदिर के रास्ते तक को कब्जाने की कोशिश जारी है। उनके साथ सैकड़ों भक्त आज कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। इधर दूसरा पक्ष भी सामने आया और कहा कि उसने जमीन खरीदी है और घर का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि लोगों का कहना है कि मौके पर दुकानों का निर्माण किया जा रहा है और व्यवसायिक उद्देश्य से दुकान बनाई जा रही हैं। 
आस्था पर भारी भू माफिया
इस मामले में आस्था वान भक्त मंदिर के लिए रस्ते की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि भू माफिया उक्त सालों से विवादास्पद भूमि को सस्ते में खरीदकर रसूख का इस्तेमाल करते हुए मंदिर के रास्ते को ही बंद करने पर आमादा है। 
रेलवे लाइन की भूमि पर निर्माण कैसे
बता दें कि उक्त स्थल पर पहले छोटी रेलवे लाइन निकली थी। साल 1980 में जब ब्रांड रेल परियोजना कैलाशवासी श्रीमंत माधवराव सिंधिया लेकर आए तब नई लाइन दूसरी जगह बिछाई गई लेकिन सवाल ये है कि रेलवे की भूमि कहा चली गई। पूरी की पूरी पटरी लाइन सरकारी होने के बाद भी निर्माण किस तरह वैध है ये जिला प्रशासन को देखना चाहिए। ऐसा लोगों का कहना है। 















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