*पीडीएस गेहूं और चावल की खुर्दबुर्द मामले में पुलिस कार्यवाही कमजोर, अभी तक नहीं बढ़ीं संतोष तायल व अभिषेक तायल पर धाराएँ
शिवपुरी। शहर में बीती 3 सितंबर की रात को नीमडांडा स्थित स्वास्तिक सोरटेक्स इंडस्ट्री में सहरिया क्रांति की शिकायत के बाद हुई छापामार कार्यवाही के दौरान पीडीएस (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) का 1418 क्विंटल गेहूं और चावल बरामद हुआ। यह खाद्यान्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत था और कई कंट्रोल का ये माल था जो गरीबों को वितरित होना था मगर इसे संतोष तायल व उसके पुत्र अभिषेक तायल द्वारा अपनी दो और आपराधिक सहयोगी के इसके खुर्दबुर्द करने की कोशिश की जा रही थी। जांच के बाद देहात थाने में एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन पुलिस ने मामले में विवेचना सही विविचना न कर इस मामले में उचित धाराओं म का इजाफा नहीं किया गया आगे नहीं बढ़ाया और आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं।
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी गौरव कुमार कदम की शिकायत पर 3 से 4 अगस्त की दरम्यानी रात एसडीएम और तहसीलदार के साथ स्वास्तिक सोरटेक्स इंडस्ट्री की जांच की गई। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रक क्रमांक एमएच 18 बीजी 0925 से गेहूं के कट्टे उतारकर गोदाम में रखे जा रहे थे। इस पूरे मामले की विडिओग्राफी हुई । गोदाम के अंदर 1172 कट्टे गेहूं के पाए गए, जबकि ट्रक के अंदर 85 कट्टे और चालक के पास 1580 कट्टे गेहूं थे। इसके अलावा, 314 पैकेट चावल (10 किलो) और 152 बोरे धान के रखे मिले।
गैंग के सदस्य, ट्रक चालक और उद्योग मालिक मौके पर नहीं मिले और भाग गए। मौके पर एक कार भी खड़ी मिली थी, जो बाद में जब्त कर ली गई। यह कार जिस महिला की बताई जा रही है वो प्रदेश स्तरीय कारोबार की मास्टरमाइंड बताई जा रही है । ट्रक और कार भी जब्त कर ली गईं। जांच में पाया गया कि इंडस्ट्री के मालिक अभिषेक तायल और ट्रक मालिक संतोष तायल द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के 628.50 क्विंटल गेहूं और 790 क्विंटल चावल को अवैध रूप से खुर्दबुर्द करने का प्रयास किया गया था।
एसडीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और 7 के तहत आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया।और हालांकि, पुलिस की विवेचना की धीमी गति और कानूनी धाराओं के अभाव ने सवाल उठाए हैं कि क्यों आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
स्थानीय जनता और मीडिया में इस मामले को लेकर भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह मामला केवल खाद्यान्न की चोरी का नहीं, बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सुरक्षा और न्याय की गंभीर समस्या का प्रतीक है।

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