शिवपुरी। मध्यप्रदेश सरकार के निर्देशानुसार जेल मुख्यालय भोपाल द्वारा प्रदेश की सभी जेलों में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर दिनांक 11 दिसम्बर 2024 को सर्किल जेल शिवपुरी में गीता महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत गीता जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के अंतर्गत जेल अधीक्षक द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का पूजन एवं माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम के दौरान पं. दिनेश पारीक, निवासी कुँवरपुर, जिला शिवपुरी द्वारा श्रीमदभगवद् गीता के अध्याय 11 में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना चतुर्भुज विष्णु रूप दिखाया। इस रूप को देखकर अर्जुन भयभीत हो गया और कृष्ण से सौम्य रूप में वापस जाने के लिए कहा। कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि इस तेजस्वी दृश्य को किसी और ने नहीं देखा है। कृष्ण ने बताया कि आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता होती है। श्रीकृष्ण ने बताया कि आत्मज्ञान केवल शास्त्रों के अध्ययन, यज्ञ, दान या कठोर तपस्या से प्राप्त नहीं किया जा सकता। श्रीकृष्ण ने बताया कि अनन्य भक्ति से ही उन्हें देखा जा सकता है। श्रीकृष्ण ने बताया कि जो मेरे लिए कर्म करता है, मेरे प्रति समर्पित है और मुझे सर्वोच्च मानता है, वह मुझे प्राप्त करता है। भगवान के विराट रूप का वर्णन करते हुये अपने कर्मो को सुधारने की प्रेरणा दी गई तथा अध्याय 12 में ईश्वर की भक्ति से परमगति प्राप्त होती है का वर्णन सरल भाषा में व्याख्यान किया गया एवं अध्याय 15 में आत्मा के विचारों को शुद्ध रखने हेतु प्रेरित किया गया। श्रीमद भगवद् गीता के तीनों अध्यायों का सस्वर पाठ एवं अनुवाद कर बंदियों को गीता उपदेश दिया गया।
जेल अधीक्षक श्री आर्य द्वारा अपने उद्बोधन में कर्म की प्रधानता के प्रति बंदियों को जागरूक किया गया। इस अवसर पर श्री दिलीप सिंह उप जेल अधीक्षक, एवं जेल स्टाफ तथा बंदीगण उपस्थित रहे। जेल अधीक्षक श्री रमेशचंद्र आर्य द्वारा पं. दिनेश पारीक का आभार व्यक्त किया गया।

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