दिव्य दरबार लगाने की वजह बताते हुए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कोई भी हिंदू हली उल्ला वालों के चक्कर में आकर धर्मांतरण न कर ले। दूसरा मजहब की शक्तियों से आकर्षित न हो जाए, इसलिए हम दरबार लगाते हैं। गुरु परंपरा और बालाजी की कृपा से भला हो जाए। न हम चमत्कारी हैं और न हम जानते हैं। हम अनपढ़ गांव के गवार आदमी हैं। साधारण आदमी हैं। जैसे हैं, बालाजी के हैं, पर इतना कहते हैं, अगर तुम कहो भगवान नहीं होते, दिव्य शक्तियां नहीं होतीं तो तुम्हारी ठटरी। इतना हम हनुमानजी के बल पर कहते हैं।पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को दरबारों में न भटकने की सलाह दी और कहा कि तुम हमारे चक्कर में रहकर कब तक अपना भला करवा पाओगे। हमारा सपना और सोचना अलग है। हम इस देश को पर्चा बनाने की बात नहीं देना चाहते। हम इस देश के लोगों को भविष्य नहीं बताना चाहते। हम इस देश के लोगों का 'भविष्य बढ़िया कैसे बने, ये बात बताना चाहते हैं। क्योंकि बता देने से भला नहीं होता है, पर्चे पर लिख जाने से भला नहीं हो जाता है। बालाजी की कृपा से भला * होता है। हम जिन से जुड़े, तुम भी उनकी भक्ति शुरू करो। जैसे उन्होंने हमारी लाज रखी, लाखों करोड़ों लोगों की लाज रखते हैं, शिवपुरी-करैरा के पागलों तुम्हारी भी वे लाज रखेंगे। जाओ, तुम्हे भी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ेगा। जीवन भर बालाजी से जुड़ने के लिए हाथ उठवाए।
कथा का चौथा दिन, शिव-पार्वती
विवाह का प्रसंग सुनाया
दिव्य दरबार के बाद कुछ देर प्रेत दरबार लगा। शाम को कथा प्रारंभ हुई। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सती का देह त्यागना और दक्ष यज्ञ विध्वंस और माता पार्वती के रूप में अगला जन्म लेना, फिर शिव-पार्वती विवाह का रोचक ढंग से प्रसंग सुनाया। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि पांचवे दिन शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से कथा सुनाएंगे। कथा के दौरान उन्होंने अपने माता-पिता को खुश रखने को कहा।
युवक ने गलत नारा लगाया तो बोले, नककटा
टीकमगढ़ जिले के कुंडेश्वर धाम से आए युवक की अर्जी लगी। युवक ने पहला सपना हिंदू राष्ट्र और दूसरी बात मेरा व छोटे भाई का लड़का नहीं है। धीरेंद्र शास्त्री ने साल 2028 तक किलकारी गूंजने की बात कही। इसी खुशी में युवक माइक लेकर हड़बड़ी में गलत नारा बोला कि भेदभाव की करो तैयारी, हम सब हिंदू भाई-भाई। यह सुन शास्त्री ने पैड अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा कि तैयारी नहीं नककटा, भेदभाव की करो विदाई।
बालाजी के चक्कर में पड़ोगे तो फिर किसी के चक्कर में नहीं पड़ना पड़ेगा
श्रद्धालुओं से कहा कि हमारी तीन बातें मानोगे, तो लोगों ने हाथ उठाकर हां में जवाब दिया। धीरेंद्र शास्त्री बोले कि पहली बात आज से हमारे चक्कर में मत पड़ना। हम जिन बालाजी के चक्कर में पड़े, तुम भी उन्हीं बागेश्वर बालाजी के चक्कर में पड़ो। दूसरी बात लहसुन, प्याज, मास-मदिरा बंद करके (बागेश्वर बालाजी की) पेशी शुरू कर देना। जब भी बालाजी के सामने जाना, एक बात जरूर कहना कि बहुत भटक लिया, आज से तुम हमारे और हम तुम्हारे। इसके बाद कहीं किसी के चक्कर में नहीं पड़ना पड़ेगा।

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