दिल्ली। प्रयागराज महा कुम्भ 2025 में दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में विश्व का सबसे विशाल रुद्राष्टाध्यायी रिले-पाठ संपन्न कर एक विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
14 जनवरी से 16 फरवरी 2025 तक, 33 दिवारात्रि, अखण्ड रुद्रीपाठ महा दिव्य अनुष्ठानम् का दिव्य निनाद गंगा तट पर अनवरत गूँजा जो अडिग श्रद्धा और समर्पण के साथ सम्पन्न हुआ। इस विश्व रिकॉर्ड में 5 देशों और 191 शहरों से आए 566 ब्रह्म ज्ञानी वेद पाठियों ने सम्मिलित होकर वैदिक मंत्रों की एकलय गूंज रची, जो अंततः 11,151 संहिता पाठ व 794 घंटों के रूप में अभूतपूर्व उपलब्धि तक पहुँची।
केवल यही नहीं, ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों ने रुद्री पाठ उच्चारण के साथ-साथ 33 दिवा-रात्रि तक अनवरत ब्रह्मज्ञान आधारित अखंड साधना भी की, जिसके माध्यम से सकारात्मक प्राणवायु का विस्तार हुआ जिसने उपस्थित सभी लोगों की आध्यात्मिक ऊर्जा को समृद्ध किया।
यह अनुष्ठान संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (UNSDGs) एवं भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के उद्देश्यों के साथ सम्बद्धता रखें हुए था। इस वृहद अनुष्ठान का एकमात्र उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, सद्भाव एवं विश्व शांति जिसे दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के ब्रह्मज्ञानी वेदपाठी शिष्यों ने कटिबद्धता, निःस्वार्थ भावना एवं सामूहिक प्रयास द्वारा सफ़लतापपूर्वक जीवंत किया है।
25,61,328 मंत्रों, 11,088 संहिता पाठ एवं 504 ब्रह्म ज्ञानी वेद पाठियों के प्रारंभिक लक्ष्य के मापदंड को पार करते हुए दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने अंततः 2,64,249 मंत्रों, 11,151 संहिता पाठ एवं566 ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों के साथ विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। इस उपलब्धि को 16 फरवरी 2025 को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा आधिकारिक रूप से समादृत किया गया , जिसमें आधिकारिक निर्णायक श्री प्रमिल द्विवेदी जी ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सचिव - स्वामी नरेंद्रानंद जी, अध्यक्ष - स्वामी आदित्यानंद जी, वैश्विक कार्यकारिणी अध्यक्षा - साध्वी दीपा भारती जी, लंदन शाखा प्रमुख साध्वी भक्तिप्रिया भारती जी एवं प्रशासनिक प्रमुख सी.ए गीतांजलि जी, को यह पुरस्कार प्रदान किया।
33 दिन तक चले इस महा दिव्य अनुष्ठानम् में कई प्रतिष्ठित गणमान्य अतिथि जनों ने दिव्य ज्योति वेद मंदिर के परिसर में आकर इस दिव्य प्रयास की भव्यता का साक्षात्कार किया:
🔹 श्री श्री रविशंकर, आध्यात्मिक गुरु
🔹 श्री अनुराग ठाकुर, सांसद, भारत सरकार
🔹 श्री दिनेश शर्मा, विश्व हिंदू परिषद
🔹 श्री योगेश्वर दत्त, ओलंपिक पदक विजेता
🔹 श्री राजन जी, कथा व्यास
🔹 शास्त्री अक्षर प्रकाश दास, श्री स्वामी नारायण मंदिर, भुज
🔹 श्री सौरभ राज जैन, अभिनेता
🔹 श्री सुनील भारला, राष्ट्रीय परशुराम परिषद
🔹 श्री अभि मुंडे, मनोवैज्ञानिक शायरी कवि
🔹 डॉ. रश्मि सिंह, आईएएस, उत्तर प्रदेश
🔹 श्री हर्षवर्धन बाजपाई, विधायक, उत्तर प्रदेश
🔹 श्री संजीव सान्याल, भारतीय अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य
🔹 शादानी समाज के सदस्य
रुद्री पाठ के समापन के उपरान्त शंख, घंटा और घंटियों के दिव्य ध्वनियों ने ऐसे दैवीय वातावरण का निर्माण किया जिसकी गूंज को सुन सैकड़ों भक्त प्रांगण के समक्ष एकत्रित हुए। इसके बाद, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी को समर्पित एक वैदिक आरती हुई, जिसने वातावरण को श्रद्धा और भक्ति से भर दिया। इस भव्य समापन के उपरान्त एक महायज्ञ हुआ जिसमें हजारों लोगों ने एकत्रित होकर विश्व शांति और सद्भावना की प्रार्थना की आहुति दी। प्रमुख समाचार चैनल, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने इस दिव्य अनुष्ठान को जनमानस में साँझा किया।
जो इस दिव्य अनुष्ठान के साक्षी बने उनके लिए यह उनके जीवन का अमूल्य अनुभव बना। और वे जो इसे नहीं देख पाए, उनके लिए भी इन पवित्र मंत्रों की गूंज अनंत काल तक ब्रह्मांड में गुंजायमान रह इस शाश्वत सत्य को प्रकाशित करती रहेगी। जब दिव्य प्रयासों के लिए कंठस्वर संगठित होते हैं तब इतिहास लिखा नहीं जाता, वह स्वयं अमर हो जाता है।

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