जबकि दूसरे मामले में 19 नवंबर, 2024 को इसी क्लिनिक से हेयर ट्रांसप्लांट कराने के बाद एक और व्यक्ति की मौत हो गई थी। मृतक के परिवार ने अब 6 महीने बाद (13 मई) को मामले की पुलिस से शिकायत की है।
आज के समय में बालों का झड़ना, टूटना और गंजापन एक आम समस्या बन चुकीहै, जिसे दूर करने के लिए लोग हेयर ट्रांसप्लांट का विकल्प अपना रहे हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया तब तक सुरक्षित नहीं मानी जा सकती, जब तक इसे सही तरीके से, उचित जांच और एक्सपर्ट की देखरेख में न किया जाए। बता दें कि यह एक सर्जरी होती है, जिसमें बालों को सिर के गंजे या झड़ते हिस्सों में ट्रांसफर किया जाता है। इसे हेयर रेस्टोरेशन या हेयर रिप्लेसमेंट भी कहा जाता है। आमतौर पर यह प्रोसेस उन लोगों के लिए होता है, जिन्होंने पहले बाल झड़ने के इलाज के अन्य तरीके आजमाए होते हैं। मुख्य रूप से दो टेक्नीक से हेयर ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसमें सिर के पीछे के हिस्से में चीरा लगाकर स्किन की एक पतली पट्टी निकाली जाती है, जिसमें हजारों हेयर फॉलिकल्स होते हैं। उस स्किन स्ट्रिप को माइक्रोस्कोप की मदद से कई छोटे-छोटे ग्राफ्ट्स (फॉलिक्युलर यूनिट्स) में बांटा जाता है, जिनमें 1-4 बालों की जड़ें होती हैं। इसके बाद जिन जगहों पर बाल कम हैं या नहीं हैं, वहां छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं और उनमें हेयर ग्राफ्ट्स लगाए जाते हैं। बाद में स्किन को सिल दिया जाता है और कुछ हफ्तों में वहां बाल उगने लगते हैं।इसके लिए सबसे पहले उस हिस्से को ट्रिम किया जाता है, जहां से बाल निकाले जाने हैं। फिर एक माइक्रो पंच टूल की मदद से बालों की जड़ों (फॉलिक्युलर यूनिट्स) को निकाला जाता है। इसमें सर्जिकल स्ट्रिप नहीं निकाली जाती, इसलिए कोई लंबा कट या टांका (stitch) नहीं लगता है। FUE की खासियत यह है कि इसमें बाल केवल सिर से ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों जैसे दाढ़ी, छाती, पेट (एब्डोमेन) और प्यूबिक एरिया से भी निकाले जा सकते हैं।
इनको नहीं करवाना चाहिए
जिन्हें हॉर्मोनल डिसबैलेंस या कोई गंभीर बीमारी है। ऑटोइम्यून डिजीज या गंभीर मेडिकल कंडीशन है। जो सीवियरली डायबिटिक हैं। जिन्हें ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर है। जिनके स्कैल्प में इन्फेक्शन है।18-25 साल के युवा, जिनके सिर्फ थोड़े बाल झड़े हैं।

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