शिवपुरी। शिवपुरी स्थित श्रीमंत राजमाता सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय के तत्कालीन डीन को कई मामलों में दोषी मानते हुए दो साल की वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोक दी गई हैं। उन पर स्टाफ के शोषण सहित तमाम प्रशासनिक एवं आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगे थे और शिकायतें सामने आई थीं। इन आरोपों की शिकायतों की जांच उपरांत डायरेक्टोरेट आफ मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) ने कारवाई अंजाम देते हुए आउट सोर्स कर्मचारियों को नियमित पाठ्यक्रम में प्रवेश देने, पत्नी को मेडिकल कालेज में डायटीशियन के पद पर नियुक्त करने सहित कई अन्य मामलों में दोषी मानते हुए उनकी दो साल की वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोक दी हैं।
उल्लेखनीय है कि मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रभारी डीन डा केबी वर्मा पर स्टाफ नर्स लोकेश नामदेव द्वारा आत्महत्या के प्रयास के पश्चात लोकेश नामदेव को लगातार ज्वाइनिंग के सम्बंध में परेशान करने, डीन के स्टेनो जुगल यादव व वाहन चालक विनोद रावत को मेडिकल कालेज में संचालित नियमित डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने, अपनी पत्नी रिंकी वर्मा को महाविद्यालय में डायटीशियन के रूप में रखने के पूर्व किसी सक्षम प्राधिकारी अथवा समिति से अनुमोदन नहीं लिए जाने, कालेज में स्थाई अधिकारी, कर्मचारी उपलब्ध होने के बावजूद आउटसोर्स कर्मचारी को महाविद्यालय में नर्सिंग हास्टल वार्डन जैसे जिम्मेदार पद का प्रभार दिए जाने, कालेज में महिला प्राध्यापक व सह प्राध्यापक होने के बावजूद पुरूष कर्मचारी को इन्टर्न हास्टल का सहायक वार्डन बनाकर उनमें निवास करने की अनुमति देने, विनोद रावत पर ड्रायविंग लायसेंस न होने पर भी उनकी ड्यूटी चिकित्सा महाविद्यालय के सभी वाहनों पर ड्राइवर के रूप में लगाये जाने संबंधी आरोप लगाते हुए शिकायत डीएमई दिनेश श्रीवास्तव को दर्ज कराई गईं। उक्त मामलों की जांच और तत्कालीन डीन डा केबी वर्मा के जबाव उपरांत डीएमई ने पाया कि डा केबी वर्मा द्वारा स्वयं के स्टाफ में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को कार्य के साथ-साथ मेडिकल कालेज में नियमित पाठ्यकमों में दाखिला दिया गया। यह बात उनके संज्ञान में आने के बाद भी किसी एक जगह से कार्यमुक्त न करते हुए अनुचित लाभ दिया जाना सही पाया गया। डा वर्मा की पत्नी रिंकी वर्मा को महाविद्यालय में डायटीशियन के रूप में रखने के पूर्व अनुमति व अनुमोदन न लेना व भुगतान किया जाना डा वर्मा की पक्षपातपूर्ण एवं मनमानी कार्यप्रणाली को दर्शाता है। इसके अलावा महाविद्यालय में अन्य वरिष्ठ एवं स्थायी अधिकारी, कर्मचारी होने के बावजूद आउटसोर्स कर्मचारी को नर्सिंग हास्टल के सहायक वार्डन बनाकर नर्सिंग हास्टल में निवास करने की अनुमति देने सम्बंधी शिकायत सही पाई गई है। महाविद्यालय में आडटसोर्स कर्मचारी विनोद रावत अनस्किल्ड कर्मचारी जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, उसे महाविद्यालय के वाहन में ड्राइवर के रूप में कार्य लिया जाना लापरवाही को दर्शाता
है। मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 16 (क) सहपठित नियम 10 (4) के तहत तथा मध्यप्रदेश स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयीन शैक्षणिक आदर्श सेवा नियम 2018 के नियम 14 (3) अंतर्गत दो वार्षिक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश दिए हैं।
है। मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 16 (क) सहपठित नियम 10 (4) के तहत तथा मध्यप्रदेश स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयीन शैक्षणिक आदर्श सेवा नियम 2018 के नियम 14 (3) अंतर्गत दो वार्षिक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश दिए हैं।
सूची में कांट-छांट के मामले में भी रूकी वेतनवृद्धि
तत्कालीन डीन डा केबी वर्मा द्वारा उनके पत्र क्रमांक 8615-16 स्था./अराज/2023 दिनांक 31.07.2023 से गैर-शैक्षणिक संवर्ग की सूची संभागीय आयुक्त के हस्ताक्षर उपरांत अनुमोदन हेतु संचालक चिकित्सा शिक्षा मध्यप्रदेश भोपाल को भेजी गई। इसके पश्चात कार्यालयीन पत्र कमांक 9280/स्था./अराज/2023 दिनांक 14.08.2023 से संशोधित सूची भेजी गई। गैर शैक्षणिक संवर्ग की सूची-4 के कालम 2 में शैक्षणिक अर्हता में हस्तलिखित संशोधन कर संशोधित अनुसूची भेजी गई। इसमें डीन द्वारा मनमर्जी से कांट-छांट कर संशोधन किया गया। इसे डीएमई ने उनकी स्वेच्छाचारिता एवं अनुशासनहीनता एवं कदाचरण माना। इस मामले में डीएमई ने उनकी एक वार्षिक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश जारी किए हैं।
आरम्भ से ही जो आया भरपूर किया दोहन
मेडिकल कॉलेज शिवपुरी में शुरू से आरोप उछलते रहे हैं। वर्तमान में फिर शिवपुरी में सेवारत इला गुजरिया पर तत्सम्य गंभीर आरोप लगे थे जिसके चलते उनका तबादला किया गया था अब फिर शिवपुरी में है! उसके बाद भी लगातार आरोप अन्य लोगों पर लगते रहे हैं जबकि ताजा मामला पूर्व डीन केवी वर्मा पर है।

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