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#धमाका_खास_खबर: वाह रे नगर पालिका शिवपुरी के बंटाधारों, जांच में आई अध्यक्ष पर आंच, प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर, निर्माण की फाइलें अध्यक्ष के घर पर तो भवन निर्माण अनुमति और नामांतरण के मामले अटकाए, जनता लगाती चक्कर, इधर सिर्फ 7 महीने में लाइट के नाम पर लील गए 88.26 लाख की राशि, जांच में हुए खुलासे के बाद पता चला कि शहर की कुंज गलियां ही नहीं बल्कि बड़े चौराहे, कई नामी चौराहों पर विराजे महापुरुष, मुख्य सड़कें अंधकार में डूबी

रविवार, 31 अगस्त 2025

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। दोस्तों जब बागड़ ही खेत को खाने लगे तब फसल बचना मुश्किल है उस पर भी जब खेत में बिना बीज डाले, कागजों में अच्छी फसल दिखाकर करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया हो तो फिर कहना ही क्या। जी हां हम बात कर रहे हैं प्रदेश भर में बहुचर्चित शिवपुरी की नरक पालिका यानि नगर पालिका परिषद की जिसके जिम्मेदारों ने ही उसे रसातल में पहुंचा डाला है। किसी ने बप्पी लहरी की तरह स्वर्ण आभूषण से गर्दन भर ली, दो करोड़ की कोठी तान डाली, फिर जब करीब दस के लगभग संगीन केस दर्ज के बाद एक और चोरी पकड़ी गई फिर केस दर्ज है तब भी इनाम घोषित आरोपी को पुलिस पकड़ नहीं पाई है। दिखावे के लिए नोटिस चस्पा आदि का खेल खेला जा रहा है जबकि कोई और होता तो अब एक पुलिस उसके कंठ में हाथ डाल चुकी होती! 
तो वहीं किसी के ऐसे दिन फिरे है कि वो ईमानदारी का चोला पहनकर आकंठ भ्रष्टाचार में डूब गए हैं।
खैर बात एक दो की हो तब भी ठीक लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारीयों से लेकर नपाध्यक्ष तक पर हाल ही में कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी द्वारा एडीएम दिनेश चंद्र शुक्ला से कराई जांच में भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं। नपा की कैशबुक में भी गड़बड मिली है।
88.26 लाख पथ प्रकाश पर 7 महीने में खर्च, शहर अंधकार में डूबा, पेट में जल रही लाइटें
जांच में हुए खुलासे के बाद पता चला कि शहर की कुंज गलियां ही नहीं बल्कि बड़े चौराहे, कई नामी चौराहों पर विराजे महापुरुष, मुख्य सड़कें अंधकार में डूबी हैं और इलेक्ट्रिक सामग्री न होने के ढोल पीटे जाते रहे हैं दरअसल उसकी आड में लाखों की राशि निपटाई जा चुकी है, यानि कि जिन इलेक्ट्रिक सामग्री से शहर रोशन होना चाहिए वह डकैतों के पेट में 88.26 लाख खर्च दर्शाकर प्रकाश कर रही हैं। इतना बड़ा आरोप हम नहीं लगा रहे बल्कि सो बका और एक लिखा मामला तहलका मचाने के लिए काफी है। जांच रिपोर्ट में उल्लेख  है कि बिजली का सामान कई बार क्रय किया गया है, जिसकी जांच होना चाहिए।
आप चौंकिएगा नहीं, अक्तूबर 2023 से अप्रैल 2024 यानि सिर्फ 7 महीने में बिजली सामग्री के नाम पर 88,26,175  लाख का भुगतान कर दिया गया। लाइट, चौक सहित अन्य सामग्री खरीदने की 15 फाइलों में से 6 फाइल गायब हैं।
जनता नामांतरण के लिए तरसी, हुए भी तो मोटी रकम लेकर
दोस्तों सिर्फ लाइट की बात होती तो हम भी खबर अंधकार में रख लेते लेकिन जिस नामांतरण के पीछे लोग चकर घिन्नी रहते हैं नपा के चक्कर लगाते चप्पलें घिस जाती हैं, पूर्व मंत्री तक जिसे लेकर साफ निर्देश देती रही उनकी ही नहीं शहर की आंखों में धूल झोंक कर लोगों से नामांतरण के बदले मोटी राशि लील जाने वाले अपने घर पर नामांतरण की फाइल रखे बैठे थे! 
मजबूर इंसान कैसे न बनाता अवैध मकान, जब अनुमति के लिए चक्कर पर चक्कर
बात भवन निर्माण की करें तो किसी भी व्यक्ति का एक सपना होता है कि उसका अपना सपनो का घर हो लेकिन धन पिपासु लोगों ने भवन निर्माण तक की फाइलें ताले में कैद कर डालीं। सिर्फ वहीं बाहर आई जिन पर वजन रखा गया। ये भी जांच में सामने आया है। यहां तक कि नगरपालिका में भवन निर्माण अनुमति की 88 फाइलें लंबित मिली, जिसमें से 55 की अनुमति की निर्धारित समयावधि भी निकल गई, जबकि 16 फ़ाइल कंप्लीट होने के बाद सीएमओ की आईडी पर लंबित हैं। वहीं नामांतरण की 520 फाइलें लंबित पाई गईं, जबकि 290 की पीआईसी से अनुमति होना शेष है।
और लो कर लो बात, प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर तो अध्यक्ष के घर
बात जितनी की जाए कम है। नपाध्यक्ष के घर नपा के प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर तक होने का जांच में खुलासा हुआ है।  
अभी तक के अध्यक्ष पर उठे सिर्फ सवाल, पहली बार जांच में बेनकाब
इसके पूर्व जितने अध्यक्ष थे उन पर घपले घोटाले के सिर्फ आरोप लगते रहे लेकिन पहली बार हुई जांच में प्रमाणित घपले के मामले ने धमाका कर डाला है। 
सजग पार्षद और सजग कलेक्टर 
इस मामले में शायद ही कभी पर्दा उठ पाता लेकिन कुछ सजग जागरूक पार्षदों ने जब तथ्य परक शिकायत दर्ज कराई तब उतने ही जागरूक कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने पूरे मामले की जांच उन्हीं के निर्देश पर एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला ने की। काम दोजख भरा था या कहिए कोयले की खान में जाना था लेकिन उन्होंने जांच की। शायद भ्रष्टाचारियों को लगा होगा कि पहले भी कई जांचें होती रही है तो एक और अधिकारी क्या जांच कर लेंगे और शायद यही बात उन पर भारी पड़ गई। एडीएम शुक्ला की जांच के बाद जो रिपोर्ट पेश की गई, उसमें नगरपालिका में भारी भ्रष्टाचार के संकेत मिले। उन्होंने जांच प्रतिवेदन में लिखा कि "नपा की कैशबुक को देखने पर पता चला कि उसमें जल प्रदाय, विद्युत सामग्री क्रय, वाहन मरम्मत एवं रोड रेस्टोरेशन मद की सैकड़ों फाइलें बनाकर अत्यधिक खर्च किया गया। वित्तीय अनुशासन का घोर उल्लंघन भी किया गया है, जिसकी अलग से विस्तृत जांच होना बहुत ही जरूरी है।
प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर एवं निर्माण की फाइलें नपाध्यक्ष के घर
जांच में एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला ने पाया है कि नपा का प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर एवं निर्माण की फाइलें नपाध्यक्ष के घर होने की बात कर्मचारियों ने बताई। इनके अलावा निर्माण की 45 फाइलें नगरपालिका से लापता हैं, जो किसके पास हैं आप खुद समझदार हैं। यानि कि वही जिसके पास पूरी नपा ठेके पर उठी है और वहीं सिरमौर है।
अब देखना होगा कि एडीएम, आयुक्त की जांच में नपा के सीएमओ ही नहीं बल्कि अध्यक्ष पर उठे सवालों के बाद भी सिंहासन बत्तीसी हिलती है या नहीं।


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