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#धमाका_न्यूज: स्तनपान सप्ताह में परिछा आंगनवाड़ी केंद्र पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम

सोमवार, 4 अगस्त 2025

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत परिछा आंगनवाड़ी केंद्र पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन 4 अगस्त 2025 को किया गया। 
शक्तिशाली महिला संगठन (SMSS) द्वारा "विश्व स्तनपान सप्ताह" (1-7 अगस्त) के अंतर्गत परिच्छ आंगनवाड़ी केंद्र में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गर्भवती और धात्री महिलाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायिकाओं की सक्रिय भागीदारी रही।
कार्यक्रम का उद्देश्य शिशु के पहले छह माह तक केवल स्तनपान कराने के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना था। उपस्थित महिलाओं को बताया गया कि नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का पहला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) देना जीवन रक्षा में सहायक होता है। साथ ही, छह माह तक बच्चे को केवल माँ का दूध देना शारीरिक, मानसिक और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख महिलाएं और कार्यकर्ता:
मनीषा परिहार, महिला
रानी परिहार, महिला
कल्पना यादव, गर्भवती
अंजली कुशवाह, धात्री
ज्योति कुशवाह, धात्री
शोभा नामदेव, सहायिका
धनिया परिहार, सहायिका
दुलारी यादव, सहायिका
अन्नपूर्णा शर्मा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
मीना जाटव, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
राम मूर्ति, कार्यकर्ता
इस अवसर पर संस्था के समर्पित कार्यकर्ता श्री रवि गोयल ने कहा,
> "स्तनपान एक अधिकार है—हर बच्चे का और हर माँ का। यह केवल पोषण नहीं, बल्कि स्नेह, सुरक्षा और स्वस्थ भविष्य की नींव है। हमारा प्रयास है कि शिवपुरी के हर गाँव तक यह संदेश पहुंचे।"
सामाजिक कार्यकर्ता धर्म गिरी ने कहा कि स्तनपान का महत्व
1. शिशु के लिए सर्वोत्तम पोषण:
माँ का दूध शिशु के लिए संपूर्ण आहार है। इसमें सभी आवश्यक प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज होते हैं, जो शिशु के पहले छह माह के लिए पर्याप्त होते हैं। यह आसानी से पचता है।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है:
माँ के दूध में प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडीज़ होते हैं, जो शिशु को निम्नलिखित बीमारियों से बचाते हैं:
दस्त और डायरिया
निमोनिया
कान के संक्रमण
एलर्जी और त्वचा रोग
3. माँ-बच्चे के रिश्ते को मजबूत करता है:
स्तनपान से माँ और शिशु के बीच गहरा भावनात्मक संबंध बनता है। यह शिशु को सुरक्षा और प्यार की अनुभूति कराता है।
4. कुपोषण से बचाव:
6 माह तक केवल माँ का दूध देने से शिशु कुपोषण, कमजोर विकास और कम वजन जैसी समस्याओं से सुरक्षित रहता है, विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में।
5. माँ के स्वास्थ्य की रक्षा:
स्तनपान करने वाली माताओं को गर्भाशय संकुचन में मदद मिलती है और इससे रक्तस्राव कम होता है। इसके अलावा स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा भी कम होता है।  "स्तनपान केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जीवन की पहली संजीवनी है। यह हर माँ और हर शिशु का अधिकार है।"
कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं ने रुचि और भावनात्मक लगाव के साथ संवाद में भाग लिया। उन्हें पंपलेट, पोस्टर और स्थानीय भाषा में संदेशों के माध्यम से जानकारी दी गई। साथ ही, आंगनवाड़ी केंद्र पर स्तनपान संबंधी चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

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