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#धमाका_खास_खबर: MP नपा अध्यक्ष संघ ने कहा, सीएम साहब पूरे 5 साल कर दो अवधि, इधर 6-11 अगस्त के बीच हो रहे तीन साल पूरे, मप्र में एक बार फिर कुछ नगरपालिका और कुछ नगर परिषद अध्यक्षों की कुर्सी पर खतरे के बादल

सोमवार, 4 अगस्त 2025

/ by Vipin Shukla Mama
भोपाल। आज की ये खबर उन नगर पालिका और नगर परिषद के लिए राहत समझी जा सकती है, जिनमें जारी तना तनी के हालातों के बीच उन्हें पद से हटाने की अटकलों हैं, क्योंकि नपा के कार्यकाल को पूरा पांच साल करने और अविश्वास प्रस्ताव के मसले को खत्म करने की कवायद की जा रही है। हालांकि सरकार एक बार पूर्व की प्रक्रिया को बदल चुकी है और अपने ही फैंसले को फिर से बदलेगी ये अभी संशय में है। बता दें कि प्रदेश में पदों पर काबिज नपाध्यक्ष के कार्यकाल के हिसाब से अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत 6 अगस्त से होने वाली है जिसको लेकर जबरदस्त चर्चा चल निकली है। इस बारे में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार मप्र में एक बार फिर कुछ नगरपालिका और कुछ नगर परिषद अध्यक्षों की कुर्सी पर खतरे के बादल छाने लगे हैं। प्रदेश में कई अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियां हो रही हैं। इसे देखते हुए मप्र नगर पालिका अध्यक्ष संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नियम को एक बार फिर बदला जाए। बताना लाजमी होगा कि पिछले साल अगस्त में सरकार ने कानून में संशोधन कर अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को 2 साल से बढ़ाकर 3 साल कर दी थी। साथ ही ये भी बदलाव किया था कि पार्षद तीन चौथाई बहुमत होने पर ही प्रस्ताव ला सकते हैं।
इससे पहले ये दो चौथाई बहुमत के साथ स्वीकार होता था। नियम में संशोधन के बाद भी अब अध्यक्षों के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है। इसमें बीजेपी के ही पार्षद अपने पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ बगावत करने पर आमादा है। 
इसलिए सरकार ने नियम बदला था नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) में ये हुआ बदलाव
पहले की बात करें तो निर्वाचित अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का कार्यकाल 2 साल पूरे होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। बाद में सरकार ने दो साल की अवधि बढ़ाकर तीन साल कर दी।
16 नगर निगम के मेयर पर ये लागू  नहीं
मेयर का चुनाव जनता ने किया है। अगर कुल पार्षदों में से छठवें भाग के बराबर पार्षद मेयर के खिलाफ एक साथ शिकायत करते हैं तो कलेक्टर हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
6-11 अगस्त के बीच पूरा होगा 3 साल का कार्यकाल
सूत्रों के अनुसार डॉ. मोहन सरकार ने भले ही अधिनियम बदलकर निकायों के अध्यक्षों को कुर्सी बचा ली, लेकिन तीन साल की अवधि पूरी होने पर पार्षद फिर अपने अधिकार का उपयोग करने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि निकायों में अध्यक्षों का तीन साल का कार्यकाल 6 अगस्त से लेकर 11 अगस्त के बीच पूरा होना है। इसके बाद ही अविश्वास प्रस्ताव कलेक्टर को दिया जा सकता है। ऐसे में अध्यक्षों के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले पार्षद पर्दे के पीछे रणनीति बना रहे हैं। माना जा रहा है कि पिछले साल जिन अध्यक्षों को कुर्सी से उतारने की कवायद हुई उससे वहीं ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव आने की उम्मीद इस बार ज्यादा है।


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