हिन्दी सारे राष्ट्र की भाषा, हिन्दी हिन्दुस्तान।
हिन्दी मां के भाल की बिन्दी, नयनों की उजियाली,
कंठहार कंचन का सुंदर, अधरों की मुस्कान।
हिन्दी गंगा, हिन्दी नर्मदा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी,
गोदावरी की गोद में बैठी, हिन्दी बड़ी महान।
हिन्दी हिमालय, विंध्य, सतपुड़ा, निलगिरी की चोटी,
अरवाली के गुरु-शिखर पर, हिन्दी का स्थान।
हिन्दी संस्कृत की बेटी है, संस्कृति की संवाहक,
हिन्दी सहज, सरल और सुंदर, हिन्दी है आसान।
तुलसी, मीरा, सूर, कबीरा, केशव, गंग, रहीमा,
हिन्दी वृंद, बिहारी, भूषण, घनानंद के प्राण।
भारतेंदू, हरिओध, निराला, पंत, प्रसाद, महादेवी,
गुप्त मैथली शरण, सुभद्रा, हिन्दी का सम्मान।
दिनकर, मुक्तिबोध, नागार्जुन, हिन्दी के नक्षत्र
नीरज, बच्चन, प्रेमचन्द्र हैं, हिन्दी के वरदान।
तमिल, तेलगू, कन्नड़ या मलयालम सब प्यारी,
प्यारी भारत की भाषायें, हिंदी पर मुस्कान।
आसमान पर इन्द्रधनुष-सी अलग-अलग भाषायें
श्वेत प्रकाशित पुंज सी हिन्दी, राग-देश सहगान।
आज नही ंतो कल भूलोगे, तुम विरोध की भाषा,
विश्व कर रहा हर्षित होकर, हिन्दी के गुणगान।
अरुण शांत प्रशांत सागर तक, हिन्दी ही है हिन्दी,
हिन्द-महासागर से उठता, हिन्दी का तूफान।
अरुण अपेक्षित
13 सितम्बर 2025

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