इस दिन पूर्णिमा श्राद्ध मनाया जाएगा तो वहीं पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध यानी प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर को पड़ेगा और महालया श्राद्ध 21 सितंबर को सर्वपितृ मोक्षअमावस्या के साथ रहेगा। सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति हमारी श्रद्धा भाव। हमारे अंदर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाने का विधान बताया गया है। कहते हैं पितृपक्ष में किये गए श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान इत्यादि कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाती है।
कब करें श्राद्ध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध या तर्पण दोपहर 12 बजे के बाद करने से अनुरूप फल प्राप्त होते हैं। इसके अलावा दिन में कुतुप और रोहिणी मुहूर्त श्राद्ध कर्म के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध करने के लिए किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर मंत्रों का उच्चारण करें और पूजा के बाद जल से तर्पण करें। इसके बाद गाय, कुत्ते और कौवे के लिए भोजन निकालें। इन जीवों को भोजन देते समय अपने पितरों का स्मरण जरूर करें।
पितृ पक्ष में तर्पण कैसे करें (Pitru Paksha Mein Tarpan Vidhi)
पितरों को पानी पिलाने की प्रक्रिया को ही तर्पण कहा जाता है।
तर्पण करने के लिए एक पीतल या फिर स्टील की परात लें।
उसमें शुद्ध जल डालें और फिर थोड़े काले तिल और दूध डालें।
इस परात को अपने सामने रखें और एक अन्य खाली पात्र भी पास में रखें।
फिर अपने दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी ऊंगली के मध्य में दूर्वा यानी कुशा लेकर अंजलि बना लें। यानी दोनों हाथों को मिलाकर उसमें जल भर लें।
इसके बाद अंजलि में भरा हुआ जल दूसरे खाली पात्र में डालें।
जल डालते समय अपने प्रत्येक पितृ के लिए कम से कम तीन बार अंजलि से तर्पण करें।
पितृ पक्ष में घर पर कैसे करें श्राद्ध (Pitru Paksha Mein Ghar Par Shradh Kaise Kare)
श्राद्ध वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बाएं पैर को मोड़कर बाएं घुटने को जमीन पर टिका कर बैठ जाएं।
फिर एक तांबे का चौड़ा बर्तन लें जिसमें काले तिल, गाय का कच्चा दूध और गंगाजल पानी डालें।
फिर जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं और इस दौरान अपने पितकों का स्मरण करें।
पितरों के लिए भोजन तैयार करें। श्राद्ध के लिए ब्राह्मण को घर पर बुलाएं और सच्चे मन से उन्हें भोजन कराएं और ब्राह्मण के पैर धोएं।
श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अवश्य अर्पित करें।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले पंचबली यानी गाय, कुत्ते, कौवे, देवता और चींटी के लिए भोजन अवश्य निकालें। ये एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
भोजन के बाद ब्राह्मणों को दान भी करें और उनका आशीर्वाद लें।पितृ पूजन में क्या चीजें वर्जित हैं
पितरों की पूजा में चमड़े का सामान, तंबाकू, शराब, लोहे से बनी चीजें आदि वर्जित मानी जाती है। तामसिक भोजन भी पितृ पूजा में नहीं चढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने से पितरों के निमित्त की गई पूजा सफल नहीं होती है।

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