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#धमाका_न्यूज: विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से परे, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, प्राकृतिक धरोहरों का प्रत्यक्ष अनुभव कराने किया शैक्षणिक भ्रमण

सोमवार, 17 नवंबर 2025

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी/नरवर। गुरुकुल स्कूल नरवर द्वारा दिनांकित दो दिवसीय सांची–भोपाल शैक्षणिक भ्रमण अत्यंत सफलतापूर्वक एवं शैक्षणिक उद्देश्यों की पूर्ण प्राप्ति के साथ संपन्न हुआ। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से परे जाकर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्राकृतिक धरोहरों का प्रत्यक्ष अनुभव कराना था, जिससे उनका ज्ञान, अवलोकन कौशल एवं समझ का दायरा विस्तृत हो सके।
सांची भ्रमण—इतिहास से साक्षात्कार
यात्रा के प्रथम दिन विद्यार्थियों को विश्व धरोहर स्थल सांची स्तूप का भ्रमण करवाया गया। यहाँ विशेषज्ञ गाइड द्वारा सम्राट अशोक, बौद्ध धर्म, स्तूप वास्तुकला तथा प्राचीन भारतीय इतिहास से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों को सरल एवं रोचक तरीके से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। छात्रों ने स्तूपों, तोरण द्वारों एवं शिल्पकला को करीब से देखकर इतिहास को प्रत्यक्ष रूप से समझा, जो उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
इसके उपरांत सभी विद्यार्थी रिसोर्ट लौटे, जहाँ मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन किया गया। पूल पार्टी, म्यूजिकल नाइट एवं कैंप फायर के दौरान बच्चों ने गीत, नृत्य और विभिन्न प्रस्तुति देकर अपनी प्रतिभा का मनमोहक प्रदर्शन किया। इस दौरान शिक्षकों ने भी बच्चों का उत्साह बढ़ाया तथा उन्हें खुले वातावरण में आत्मविश्वास से अभिव्यक्ति करने का अवसर दिया।
भोपाल भ्रमण—ज्ञान, प्रकृति और संस्कृति का संगम
दूसरे दिन प्रातः भोजन के बाद भ्रमण दल ने भोपाल के लिए प्रस्थान किया।
सबसे पहले विद्यार्थियों ने पीपल्स मॉल में विश्व के सातों अजूबों की प्रतिकृतियों का अवलोकन किया, जिससे उन्हें वैश्विक स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत के बारे में काफी जानकारी मिली।
इसके बाद वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में छात्रों ने शेर, बाघ, भालू, मगरमच्छ, कछुए, पक्षी एवं अन्य वन्यजीवों को प्राकृतिक वातावरण में देखा। बच्चों ने प्रकृति संरक्षण, जैव विविधता और वन्यजीवों के महत्व को समझा और कई जानकारियों को अपने कैमरे में भी कैद किया।
दोपहर के भोजन के पश्चात भ्रमण दल ने साइंस म्यूजियम में विज्ञान की विभिन्न अवधारणाओं को इंटरैक्टिव मॉडल्स के माध्यम से समझा। उसके बाद इंदिरा गांधी मानव जनजातीय संग्रहालय में भारतीय जनजातीय समुदायों की संस्कृति, परंपराएँ, आवास, वेशभूषा तथा जीवनशैली का जीवंत अध्ययन किया।
अंत में शौर्य स्मारक पहुँचकर विद्यार्थियों ने भारतीय सेना के शौर्य, साहस और बलिदान की भावनाओं को समझा, जो सभी के लिए प्रेरणादायी क्षण रहा।
स्कूल डायरेक्टर का संदेश
स्कूल डायरेक्टर धीरज गुप्ता ने इस सफल एवं सुरक्षित यात्रा के लिए समस्त शिक्षकों और सहयोगियों का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा—
“यह भ्रमण विद्यार्थियों के लिए न केवल मनोरंजन का माध्यम रहा, बल्कि उन्हें इतिहास, विज्ञान, प्रकृति और संस्कृति का जो अनुभव प्राप्त हुआ वह उनके व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हम अपने शिक्षकों के समर्पण और सामूहिक सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद करते हैं।”
गुरुकुल स्कूल भविष्य में भी विद्यार्थियों को इसी प्रकार के उपयोगी, प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।















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