Kota कोटा। कोटा में चंबल सफारी करने गया दस सदस्यीय दल आज सुबह एकाएक भारी संकट में आ गया जब बीच नदी में उनकी वोट खराब हो गई। बचाव दल को सूचित किया लेकिन वह एक घंटे तक मदद लेकर मौके पर नहीं पहुंचा। खास बात ये है कि मगरमच्छों वाली इस झील के बीच परिवार दहशत में बना रहा और चप्पू चलाकर किनारे जाने की कोशिश की गई।
जानकारी के अनुसार कोटा स्थित जवाहर सागर डैम क्षेत्र में संचालित चंबल सफारी की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। कोटा के बजरंग नगर निवासी आशीष जैन का परिवार, जिसमें 10 से 11 सदस्य शामिल थे, शनिवार सुबह करीब 10 बजे चंबल सफारी पर गया था। इसी दौरान नदी के बीच उनकी बोट अचानक खराब हो गई। बोट चालक द्वारा संचालक बनवारी यादव को सूचना देने के बावजूद करीब एक से डेढ़ घंटे तक कोई वैकल्पिक बोट नहीं पहुंची, जिससे पूरा परिवार नदी के बीच फंसा रहा। (सुनिए क्या बोले जैन बंधु)
इस दौरान चंबल नदी में 12 से 15 फीट लंबे भारी-भरकम मगरमच्छ वीडियो में साफ नजर आए, जिससे बोट में सवार परिवार दहशत में आ गया। परिवार ने वीडियो बनाकर चंबल सफारी के रेस्क्यू सिस्टम, सेफ्टी इंतजाम और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पीड़ितों का कहना है कि यदि इस दौरान कोई बड़ा हादसा हो जाता तो डेढ़ घंटे बाद रेस्क्यू पहुंचने की स्थिति में उनके परिवार के सदस्यों के अवशेष भी शायद नहीं मिलते।
परिवार ने आरोप लगाया कि चंबल सफारी के नाम पर प्रति व्यक्ति करीब 2 हजार रुपये लिए जा रहे हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। बोट खराब होने के बाद चप्पुओं की मदद से किसी तरह किनारे लगाने का प्रयास किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में टाइगर, पैंथर और भालू जैसी वन्यजीवों की साइटिंग होती रहती है, ऐसे में अगर किसी जानवर का हमला हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
ये बोले अधिकारी
चंबल सफारी में चलने वाली सभी वोट का हर 6 महीने में आरटीओ द्वारा फिटनेस दिया जाता है। बोट ऑपरेटर संचालक से बात कर जांच की जाएगी इतनी देर रेस्क्यू में क्यों लगी।










सच्ची और अच्छी खबरें पढ़ने के लिए लॉग इन कीजिये "मामा का धमाका डॉट कॉम"।
ये है, आपकी अपनी आवाज।
फोन कीजिये। खबर भेजिये वाट्सअप नम्बर 98262 11550 या मेल कीजिये 550vip@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें