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#धमाका_खास_खबर: 24 साल पहले जिसको मान चुके मृत, जिंदा होने की खबर मिली तो पूरा गांव रोया, प. बंगाल से परिवार के साथ आश्रम संस्था लेने पहुंचे भरतपुर

शनिवार, 17 मई 2025

/ by Vipin Shukla Mama
भरतपुर। बिछड़ों को अपनों से मिलवा कर उनके परिवार को साहस, बल और ऊर्जा प्रदान करने का कार्य अपनाघर कर रहा है। अपनाघर इस समय न सिर्फ मानसिक रूप से बीमार 6000 से भी अधिक प्रभुजनों की देखभाल करने का काम कर रहा है बल्कि पिछले प्रभुजनों को उनके परिजनों को ढूंढ कर उनके परिवार की खुशियों को लौटाने का भी नेक कार्य कर रहा है। अपनाघर इन 25 सालों में अब तक 33000 से भी ज्यादा प्रभुजनों को ठीक कर उनके परिवार से मिलवा चुका है। हर महीने संस्था की सभी ब्रांच में 200 से भी अधिक प्रभुजनों को जो गंभीर अवस्था में आते हैं उनको ठीक कर उनके परिजनों से मिलवा रहा है। ऐसा ही मामला पश्चिम बंगाल का अपनाघर में पहुंचा। वर्ष 2021 से अपनाघर में रह रहीं। मनोरोगी रूपाली हेंब्रम प्रभुजन को परिवार वाले मृत मान चुके थे और उसको वापस जीवित देखने की उम्मीद छोड़ चुके थे। पर, मात्र दो दिन में इंटरनेट के माध्यम से पश्चिम बंगाल उनके परिजनों को ढूंढ कर मिलवाने का कार्य किया। संस्था संस्थापक डॉ बी.एम भारद्वाज बताते हैं कि प्रभुजन रूपाली वर्ष 24 पहले ही अपने घर से निकल आए थीं। जयपुर की एक संस्था के माध्यम से भरतपुर अपनाघर में आई थी। वेस्ट बंगाल की होने की वजह से वह अपनी लोकल भाषा ही बोलती थी, हिंदी ना बोलने की कर उनकी भाषा को हम नहीं समझ पाए थे। अपनाघर में एक अलग से अन्य वार्ड में रखा गया और उनका इलाज शुरू किया गया। जिसके बाद प्रभुजन का इलाज किया। ठीक होने के बाद उन्होंने अपने घर का पता बताया, जिसके बाद हमने 2 दिन पहले इंटरनेट के माध्यम से उनके गांव को ढूंढा और वहां की लोकल एरिया को सर्च किया जिसके बाद एक होटल का मोबाइल नंबर हमें मिला। जिनको फोन कर हमने उनके परिवार वालों से पूछताछ की। क्या इस तरीके से कोई महिला गुमशुदा हुई है शुरुआत में लोगों ने मना कर दिया, लेकिन बाद में जानकारी हुई। हां 24 साल पहले एक महिला घर से लापता हो गई थी जिसके बाद वह उनको लेने के लिए पहुंचे।
प्रभुजन रुपाली आदिवासी समाज से थी। परिवार में सिर्फ एक बेटा और पति व अन्य लोग थे, लेकिन आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे। इस कारण उनको वापस ले जाने व अपने परिवार से मिलवाने के लिए गांव के मुखिया नानू मुर्मू, विधायक अभिजीत सिन्हा ने खुद के खर्चे पर परिजनों की हवाई जहाज की टिकट कराई। दिल्ली से भरतपुर तक के लिए वाहन को बुक किया। (साभार)

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