ब्रजभूमि को प्रणाम करते ही सजल हुए नेत्र
बागेश्वर महाराज जैसे ही यात्रा के साथ वृंदावन की सीमा गरुड़ माधव के पास पहुंचे वैसे ही उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हुए वृंदावन की रज माथे पर लगाई।
ब्रज भूमि को प्रणाम करते ही महाराज श्री भावुक हो गए और उनकी आंखें सजल हो गईं। उन्होंने कहा कि यह वह रज है जहां भगवान कृष्ण ने गायें चराईं। इस पवित्र रज की कृपा से लोगों के भाव में परिवर्तन आएगा। बागेश्वर महाराज के साथ कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर, इंद्रेश उपाध्याय एवं पुंडरीक गोस्वामी जी ने भी ब्रज रज को प्रणाम किया।
बागेश्वर महाराज जैसे ही यात्रा के साथ वृंदावन की सीमा गरुड़ माधव के पास पहुंचे वैसे ही उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हुए वृंदावन की रज माथे पर लगाई।
ब्रज भूमि को प्रणाम करते ही महाराज श्री भावुक हो गए और उनकी आंखें सजल हो गईं। उन्होंने कहा कि यह वह रज है जहां भगवान कृष्ण ने गायें चराईं। इस पवित्र रज की कृपा से लोगों के भाव में परिवर्तन आएगा। बागेश्वर महाराज के साथ कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर, इंद्रेश उपाध्याय एवं पुंडरीक गोस्वामी जी ने भी ब्रज रज को प्रणाम किया।
बागेश्वर धाम महाराज ने हिंदू एकता, सनातन संरक्षण और सामाजिक-धार्मिक जागरण का संदेश दिया। उन्होंने पांच प्रण दिलवाए—जुड़ो-जोड़ो, भगवा अभियान, सुंदरकांड मंडल, घर वापसी और तीर्थ क्षेत्रों में मांस-मदिरा बंदी। संतों ने एकता और जागरण पर बल दिया। बागेश्वर महाराज ने वृंदावन में विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं, यह कहने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए। बच्चों को कट्टर सनातनी बनाएं। हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है। यात्रा ने विरोधियों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है। यात्रा एकता और समर्पण का संदेश देने में सफल हुई है। महाराज श्री ने कहा कि न तो हमें हिंदू हृदय सम्राट बनना है और न ही हमें किसी पार्टी को बनाकर राजनीति करना है, हम सिर्फ सनातन के सिपाही हैं और यही बनकर रहना है। महाराज श्री ने कहा कि हिंदू अपना दर छोड़कर बाहर निकलें, इसीलिए यह यात्रा की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा शोभायात्रा और कलश यात्रा बनकर न रह जाए। सभी लोग एकजुट बने रहेंगे तो विधर्मी हिंदुओं पर अत्याचार करने से घबराएंगे। उन्होंने कहा कि कई सैनिक छुट्टी लेकर यात्रा में शामिल हुए हैं। जब उनसे पूछा गया तो सैनिकों ने कहा कि यह यात्रा बहुत जरूरी है। बागेश्वर महाराज ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य महाराज के गौरी गोपाल आश्रम की ओर से भोजन प्रसाद की व्यवस्था रही। उन्होंने सबका आभार जताया।
ओम शांति नहीं, ओम क्रांति कहना सीखें : रामभद्राचार्य जी
बागेश्वर महाराज के गुरु तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज की पावन उपस्थिति में 10 दिवसीय यात्रा का विराम हुआ। उन्होंने बागेश्वर महाराज को अपने हृदय से लगाया। दृश्य ऐसा था जैसे एक अबोध बालक को मां अपनी गोद में लेकर उस पर स्नेह लुटाती हो। आयोजित धर्म सभा की अध्यक्षता कर रहे महाराज श्री ने कहा कि यह हिंदू एकता महाकुंभ का आयोजन हुआ है। यात्रा ने सबका दंभ तोड़ दिया। पदयात्रा का विश्राम हुआ है लेकिन सबके भीतर यात्रा का उद्देश्य जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू सो रहा है इसीलिए विधर्मियों के अत्याचार हो रहे हैं। अब ओम शांति नहीं ओम क्रांति कहना सीखें। महाराज श्री ने कहा कि सभी संत अपने मत मतांतर भुलाकर एक हों, उपासना अपनी करते रहें लेकिन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एक हो जाएं।
बागेश्वर महाराज के गुरु तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज की पावन उपस्थिति में 10 दिवसीय यात्रा का विराम हुआ। उन्होंने बागेश्वर महाराज को अपने हृदय से लगाया। दृश्य ऐसा था जैसे एक अबोध बालक को मां अपनी गोद में लेकर उस पर स्नेह लुटाती हो। आयोजित धर्म सभा की अध्यक्षता कर रहे महाराज श्री ने कहा कि यह हिंदू एकता महाकुंभ का आयोजन हुआ है। यात्रा ने सबका दंभ तोड़ दिया। पदयात्रा का विश्राम हुआ है लेकिन सबके भीतर यात्रा का उद्देश्य जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू सो रहा है इसीलिए विधर्मियों के अत्याचार हो रहे हैं। अब ओम शांति नहीं ओम क्रांति कहना सीखें। महाराज श्री ने कहा कि सभी संत अपने मत मतांतर भुलाकर एक हों, उपासना अपनी करते रहें लेकिन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एक हो जाएं।
महाराजश्री ने दिलवाए पांच प्रण
- बागेश्वर महाराज ने सभी पद यात्रियों को पांच प्रण दिलवाए। पहला प्रण जुड़ो और जोड़ो यानी लोगों से सतत संपर्क बनाएं और दूसरे लोगों को जोड़ें।
- दूसरा संकल्प भगवा अभियान, अपने घर के साथ-साथ आसपास भी लोग अपने घरों में भगवा ध्वज लगाएं।
- तीसरा प्रण साधु संतों का कमंडल और बागेश्वर धाम का सुंदरकांड मंडल, यानि कि गांव गांव सुंदरकांड मंडलों के माध्यम से धर्म की गंगा बहे।
- चौथा प्रण घर वापसी अभियान है, जो भी व्यक्ति किसी कारण से हिंदू धर्म छोड़कर चले गए उन्हें वापस हिंदू धर्म में लाना।
- पांचवा अपने देश के तीर्थ और उनके आसपास के क्षेत्र में मांस मदिरा की दुकान बंद करवाने में अपना योगदान दें।















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