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धमाका ग्रेट: विश्व स्तनपान सप्ताह का मेडिकल कालेज में क्वीज प्रतियोगिता के साथ समापन

रविवार, 7 अगस्त 2022

/ by Vipin Shukla Mama
स्वस्थ बचपन-खुशहाल भविष्य के लिए आवश्यक है बेहतर पोषण, नवजात के लिए स्तनपान है पहला टीका: डॉक्टर पवन जैन सीएमएचओ
शिवपुरी। दुनियाभर में अगस्त महीने के पहले हफ्ते को 'विश्व स्तनपान सप्ताह' के रूप में मनाया जाता है। इसके लिए शक्ति शाली महिला संगठन, महिला बाल विकास, ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन, स्वास्थ विभाग एवम मेडीकल कॉलेज शिवपुरी द्वारा  नवजात के लिए स्तनपान के महत्व को लेकर माताओं को सूचित और जागरूक करने के उद्देश्य से अनेक जागरूकता पैदा करने वाले कार्यक्रम साल 2022 के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम के तहत जिसमे "स्टेप फॉर ब्रेस्टफीडिंग: एजुकेट एंड सपोर्ट''। इस थीम के साथ वैश्विक स्तर पर नवजात स्वास्थ्य कल्याण के लिए स्तनपान को प्रोत्साहित किया बच्चे के शुरुआती विकास में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है इस बात पर जोर दिया। स्तनपान सप्ताह का समापन एसवीआरएस मेडीकल कॉलेज में क्विज प्रतियोगिता के साथ जिसको की शक्ति शाली महिला संगठन, ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन स्वास्थ्य विभाग एवम मेडिकल कॉलेज ने संयुक्त रूप से किया जिसमे की चीफ गेस्ट सीएमएचओ डॉक्टर पवन जैन ने क्विज प्रतियोगिता के विजेता अंडर ग्रेजुएट डॉक्टर को प्रमाण पत्र, ट्राफी एवम एक एक पौधा प्रदान करते हुए कहा की  स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ बचपन को मुख्य आधार माना जाता है। जीवन के पहले 1000 दिन (गर्भधारण से बच्चे के दूसरे जन्मदिन के बीच का समय) बच्चों के विकास का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान  बच्चों के मस्तिष्क, शरीर और प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास हो रहा होता है। जीवन के पहले दो वर्षों में मस्तिष्क भी सबसे तेजी से विकसित होता है। जन्म के बाद वातावरण और कई अन्य कारक मस्तिष्क के विकास को आकार देते हैं। चूंकि इसे भविष्य निर्माण काल माना जाता है ऐसे में इस दौरान पोषण का ख्याल रखना भी अति आवश्यक हो जाता है। पोषण, निर्विवाद रूप से, बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयाम है। जन्म के शुरुआती छह माह तक स्तनपान और उसके बाद स्वस्थ और पौष्टिक आहार बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक होता है प्रोग्राम की अध्यक्षता कर रहे मेडीकल कॉलेज के डीन डॉक्टर केवी वर्मा ने कहा की   गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक किसी कुशल परिचारक और चिकित्सक का साथ भी आवश्यक होता है, हाल के वर्षों में इस दिशा में काफी सुधार हुआ है, जिसका सुखद परिणाम मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी के रूप में देखने को मिल रहा है। जन्म के पहले घंटे के भीतर ही बच्चे को स्तनपान शुरू कराने पर जोर दिया जाता है। मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। प्रोग्राम में पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉक्टर एस के जैन, डॉक्टर प्रियंका बंसल ने भी सम्बोधित किया। प्रोग्राम में शक्ति शाली महिला संगठन की तरफ  प्रोग्राम में भाग लेने वाले अतिथियों को एक एक पौधा,  विजेताओं को पौधा, ट्रॉफी एवम प्रमाण पत्र प्रदान किया। प्रोग्राम में मेडिकल कॉलेज के दो सो से अधिक टीम ए टीम बी टीम सी के डॉक्टर स्टूडेंट्स, कॉलेज के प्राध्यापक डॉक्टर राजेश अहिरवार, डॉक्टर इला गुजरिया के साथ शक्ति शाली महिला संगठन की टीम एवम कॉलेज के प्रोफेसर्स ने भाग लिया।









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